शबरी के राम

शबरी बोली, यदि रावण का अंत नहीं करना होता तो राम तुम यहाँ कहाँ से आते ?" राम गंभीर हुए। कहा, "भ्रम में न पड़ो अम्मा! राम क्या रावण का वध करने आया है? छी... अरे रावण का वध तो लक्ष्मण अपने पैर से बाण चला कर कर सकता है। राम हजारों कोस चल कर इस गहन वन...

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       27-04-2022

पहला ख़त हमनवा के नाम

पहला ख़त हमनवा के नाम ।। आज़, बैठा हूं कागज़ के पन्नों पर हाले दिल मोहब्बत के लेकर जितना,सोचता हूं लिखने को जज़्बातों को अपने बेचैनी सी उफान लेकर हैं उतनी उठती सीने में । अंश मोहब्बत कागज़ पे लिखूं या बेताबियों के सैलाब को काबू करूं। घबराहट में

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       27-04-2022

महबूब सा चांद या चांद सा महबूब

चांद महबूब सा या,महबूब चांद सा ।। जब जब,देखता हूं मैं फलक की ओर चांद में भी महबूब का अक्स नजर आता हैं । चहु ओर । ये,चांद महबूब सा हैं या महबूब सा चांद मेरा,ये नादान दिल फर्क ही ना कर पाता हैं ।। चमक, चांद की नूर जैसे महबूब के चेहरे का और हैं...

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       27-04-2022

ख़्वाब से मुलाकातें

ख़्वाब से मुलाकातें ।। # करता हूं रोज ही बातें, मुलाकातें ख़्वाब से मैं ।। कभी,अपनापन कभी,बेगानापन का अहसास दिला जाती हैं । ये, आधी अधूरी मुलाकातें मेरी ख़्वाब से । ख़्वाबो की दुनियां ख्वाबों की मंज़िल से, चाहे ना चाहे,मेरा दिल रोज ही इस,सागर...

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       26-04-2022

परेशानी और विकास

इधर बचाओ बचाओ सुनकर आस पास के लोग को लगा कि उग्रवादी हमला हो गया है, सब एलर्ट मोड पर आ चुके थे, दुकान का शटर बंद होने लगा था

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       26-04-2022

जब तक है जिंदगी

जिंदगी जब तक है गतिमान रहती है, न ठहरती है,न विश्राम करती है। सुख दुख ,ऊँच नीच की गवाह बनती है। जिंदगी के गतिशीलन में राजा हो या रंक सब एक जैसे ही हैं, छोटे हों या बड़े किसी से भेद नहीं है। जन्म से शुरू जिंदगी मौत तक का सफर तय करती है जब तक चलती है...

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       25-04-2022

एक इबारत प्रेम के नाम

लिखनी हैं एक इबारत मुझे प्रेम के नाम ।। # प्रेम को मधुर यादों के साथ अहसास की स्याही से दिल की दहलीज पर सजाना ज़रा,मुश्किल सा मेरे हमसफ़र ।। कतरा कतरा लहू का रग रग में जब जब, अपने होने का वजूद कायम करता हैं । ये,उफान मोहब्बत का मन,मस्तिष्क को..

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       25-04-2022

ले मन होइल महंगा।

जीवन में इससे बड़ा धर्म संकट का सामना हम आज तक नहीं किए थे। बताइए त एगो नींबू भी न से सके जाने जहां को। लगा एक लीटर खून में अगर नींबू वाला खटास घुस जाता त ब्लेड से चीर के गिलास में भर के दे देते लेकिन नींबू .......

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       24-04-2022

!! लक्ष्य का निर्धारण !!

एक बार की बात है, एक निःसंतान राजा था, वह बूढा हो चुका था और उसे राज्य के लिए एक योग्य उत्तराधिकारी की चिंता सताने लगी थी। योग्य उत्तराधिकारी के खोज के लिए राजा ने पुरे राज्य में ढिंढोरा पिटवाया कि अमुक दिन शाम को जो मुझसे मिलने आएगा, उसे मैं अपने...

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       24-04-2022

रामधारी सिंह दिनकर

प्रबल लेखनी के सर्जक तुम सुंदर शब्दों के शिल्पकार । 'रेणुका' 'रसवन्ती' 'द्वंद्वगीत' 'कविश्री' की हुंकार ।। 'रश्मिरथी' की किरणों से फैला चहुंओर उजाला । 'कुरूक्षेत्र' की रणभेरी से जग में फैली भीषण ज्वाला ।।

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       24-04-2022

माँ की गोंद

नवजीवन धारण करते ही चेतन तन को आश्रय मिलता है । मां की गोद प्रेम का निर्झर असीमित सुख जहां मिलता है ।। अतिशय ममता से पूरित यह सुख देती , शांत चित्त करती । उज्जवल आभा से आलोकित मन की पीड़ा को हर लेती ।। राजमहल से वैभवशाली राजसिंहासन से ऊंचा है

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       24-04-2022

अच्छा हो एक दीप जलाओ

सोए मन दर्पण के भीतर नन्हा सा एक गीत सुनाओ । अलसाई नींदों से जागो खुशियों का संगीत बजाओ अच्छा हो एक दीप जलाओ।। टूटे मन की बेबसी ऐसा सुंदर गीत सुनाओ फूटे नया सवेरा जग में ऐसा एक संदेश फैलाओ । अच्छा हो एक दीप जलाओ ।। रंग, रूप, रस और राग के....

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       23-04-2022

मन के तारों की शक्ति

मन के भावों की स्वीकार्यता से भागना आसान नहीं होता, आपके चाहने न चाहने से पीछा छुड़ाना और भी मुश्किल होता। हम चाहते भी नहीं पर उन भावों में उलझकर रह जाते हैं कुछ अच्छे तो कुछ तीखे अनुभव भी पाते हैं कभी हंसते मुस्कुराते हैं

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       23-04-2022

किताब और मैं

किताबों में मेरा दिल हैं बसा और मुझमें समाया एक अंश इनका ।। # एक लेखक, एक साहित्यकार या एक रचनाकार का दिल की गहराई से लगाव होता हैं किताबों और पुस्तकों के संग ।। जब जब,कोई रचना रची जाती हैं पन्नों पर जो भरी होती हैं । जज़्बातों के रस से लबालब ।।

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दौलत की चमक के मारे रिश्ते बेचते

दौलत,शोहरत की चमक के मारे रिश्ते बेचारे ।। ।। वक्त की मार कहे या बुद्धिहीनता का शिकार दबे और कुचले जाते हैं । दिल के जज़्बात रिश्ते नातों की टूटती डोर से अमिट निशान दिल पर पड जाते हैं । यूं,मानो बतला रहे हो कोई सबक की कहानी ।। # ये, दिल के

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       22-04-2022

सरगम के सात सुर और मेरी पायल की रुनझुन रुनझुन

सरगम के सात सुर और मेरी घुंघरू की रुनझुन ।। सरगम के सात सुर सजते हैं जब जब, मेरे पांव में बंधी हर एक घुंघरू करती हैं ।। तेरी मोहब्बत में, रुनझुन रुनझुन तब तब ।। पांव की किस्मत भी गुलज़ार हुई पायल के पांव पर अलंकृत होने पर ।। कब कि, बेचैनी,

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लक्ष्य

लक्ष्य वो जिसे पाकर जिसको आपमें संतृप्ता हो जाए। कल्याण हो प्रकृति का और आत्मियता हो जाए।। क्या होता है लक्ष्य? जिसके बिना जीवन का कोई मोल नहीं है। जब जन्म होता है उस समय लक्ष्य होता है अपने आप को जीवित रखना और दूसरे पर आश्रित रहना। उस लक्ष्य को भी...

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महाप्रतापी राजा राणा सांगा के संदर्भ में रोचक तथ्य

शरीर पर 84 घावों के कारण महाराणा सांगा को "मानवों का खंडहर" भी कहा जाता है। * इन महाराणा का कद मंझला, चेहरा मोटा, बड़ी आँखें, लम्बे हाथ व गेहुआँ रंग था। दिल के बड़े मजबूत व नेतृत्व करने में माहिर थे। युद्धों में लड़ने के शौकीन ऐसे कि जहां सिर्फ अपनी फौ

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पृथ्वी दिवस

धरती का दिल रंगा कुदरत ने हरियाली के रंग से । पेड़ पौधे,वृक्ष लताएं पशु और पंक्षी हैं इसकी गोद में पलती बढ़ती कई पीढ़ियों की अनगिनत कलाए ।। नदियां,झरना का कल कल करता पानी कहता हैं ऐ,मानव ! मुझसे ही हैं तेरी ज़िंदगी की रवानी ।। कली का फूल बनना और

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       21-04-2022

न जिएंगे न जीने देंगे

अजी छोड़िए आप भी क्या मजाक करते हैं दोस्त होकर दुश्मनों सा काम करते हैं। एक तो जीने की बात करते हैं ऊपर से जीने भी दें मुफ्त में सलाह देते हैं। अब मेरी सलाह सुनिए चाहें तो एकाध खोखा ले लीजिए न जिएंगे न जीने देंगे दुश्मन तो खैर दुश्मन ही है, दोस्तों को भी

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       21-04-2022

बदरिया संग मेरा नाता

मैं बदरिया को तकता अपनी छत की मुंडेर से ।। # आसमान की दहलीज पर ये,जो बादल का दिल हैं । मेरे और उसके रिश्ते का एक अनूठा संगम हैं । नीला नीला अंबर उस पर,धरा पर बिखरा मेरा धानी सा आंचल जैसे,लगता हैं हो,कई जन्मों के प्रेम का संगम ।। काले काले बदरा

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अहसान फरामोश इंसान

इस दुनियां, जहान के रंग मेल नहीं खाते, मेरे मन के रंग से ।। # खुदगर्ज इंसान,मतलबी जहान फिर, मैं ही क्यूं करूं इन सबकी परवाह । रंग बदलते,गिरगिट माफिक इंसान फिर, मैं ही क्यूं करूं हर दिल के जज़्बातों की परवाह । हाल वही हैं साहब ! जैसे,मुंह में रा

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       20-04-2022

दुआएं दे रहा हूं

आँख भर आती है जब मन की आंखों में तैरने लगती ही तुम्हारे भावों की तरलता, तुम्हारे अपनत्व का वो समंदर जो पाया देखा और महसूस किया था मैंने उस दिन मिले थे जब हम पहली बार बिना किसी योजना के। पर तुम्हारे जिद भरे प्यार अनूठे रिश्तों ने जो दिया उसे व्यक्त करना...

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       20-04-2022

जायज बनाम नाजायज

दौर बदले,ढंग बदले जीवन जीने की शैली भी बदली । कहां,हम एक मानसिक रूप से स्वस्थ रिश्ते में बंधना पसंद करते हैं और कहा अब, भाई सब चलता हैं । क्या,जायज क्या नाजायज, बस,दौलत की चमक और जरूरतों की लालसा ने इंसानों को अंधा बना दिया हैं । शायद,वो सही और

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कहां गए वो दिन पुराने, वो दिन सुहाने

बच्चों में चर्चा होने लगती थी कि अब होली आने में 10 दिन बाकि है तो, कोई बच्चा अंगुली पर गिनकर बताता कि नहीं अब सिर्फ 8 दिन ही बचे हुए हैं। बच्चे शाम होते ही सनकोई (एक पौधा का सूखा डंठल जिससे सुतरी बनाया जाता है) जमा करने लगते, कोई साइकिल की पुरानी टायरों

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