काव्य

       03-05-2022

भारत तेरा नाम रहे I

देश भक्ति से ओत प्रोत कविता, देश पर बलिदान हुए वीरो के शौर्य की गाथा, भारत तेरा नाम रहे I सोने की चिड़िया थे कहते सिंचित है वीरो के रुधिरो से I माटी है पावन बलिदानी वन्दन करते हम अधरों से I तू हम सब की पहचान रहें, हे भारत तेरा नाम रहे I चन्द्

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       01-05-2022

तुम मजदूर हो

फटे पुराने कपड़ों से लिपटे तन निकल पड़ते हो गेह से । छल-कपट से दूर तुम हो कर्मरत तुम देह से ।। बांध सिर पगड़ी फटी, बेबस -दुखी - मजबूर हो । तुम मजदूर हो ।। मन विकल, काया शिथिल आंखें उम्मीदों से भरी । दो वक्त की रोटी मिले दुविधा यही सबसे बड़ी..

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       30-04-2022

ऐ ज़मीं माँ

ऐ जमीं मां तेरी यह उम्र है सदियों पुरानी मैने सुना था पूर्वजों से तेरी कहानी। वे सुने होंगे अपने पूर्वजों से उनकी जुबानी ।। और आज मैं देख रहा हूं सुन रहा हूं तेरे पिछले कर्मों की कहानी ।। ये अनगिनत जड़-चेतन जिन्हें लादे हुए हो अपनी पीठ पर....

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       28-04-2022

नैनों की तलाश ख्वाब वास्ते एक मनचाही मंजिल

नैना तलाशे खुद दर्मियां पल रहे ख़्वाब का सही ठिकाना ।। ये, ख़्वाब,ये सपने और ये मनचाही सिफारिशें हैं! शायद, कही ना कही मेरे मन की अधूरी सी कुछ ख्वाहिशें । नैना, ना देखे सर्दी की गलन, ज्येष्ठ की तपन और बरसात की टपकन बस,

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       27-04-2022

पहला ख़त हमनवा के नाम

पहला ख़त हमनवा के नाम ।। आज़, बैठा हूं कागज़ के पन्नों पर हाले दिल मोहब्बत के लेकर जितना,सोचता हूं लिखने को जज़्बातों को अपने बेचैनी सी उफान लेकर हैं उतनी उठती सीने में । अंश मोहब्बत कागज़ पे लिखूं या बेताबियों के सैलाब को काबू करूं। घबराहट में

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       27-04-2022

महबूब सा चांद या चांद सा महबूब

चांद महबूब सा या,महबूब चांद सा ।। जब जब,देखता हूं मैं फलक की ओर चांद में भी महबूब का अक्स नजर आता हैं । चहु ओर । ये,चांद महबूब सा हैं या महबूब सा चांद मेरा,ये नादान दिल फर्क ही ना कर पाता हैं ।। चमक, चांद की नूर जैसे महबूब के चेहरे का और हैं...

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       27-04-2022

ख़्वाब से मुलाकातें

ख़्वाब से मुलाकातें ।। # करता हूं रोज ही बातें, मुलाकातें ख़्वाब से मैं ।। कभी,अपनापन कभी,बेगानापन का अहसास दिला जाती हैं । ये, आधी अधूरी मुलाकातें मेरी ख़्वाब से । ख़्वाबो की दुनियां ख्वाबों की मंज़िल से, चाहे ना चाहे,मेरा दिल रोज ही इस,सागर...

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       25-04-2022

एक इबारत प्रेम के नाम

लिखनी हैं एक इबारत मुझे प्रेम के नाम ।। # प्रेम को मधुर यादों के साथ अहसास की स्याही से दिल की दहलीज पर सजाना ज़रा,मुश्किल सा मेरे हमसफ़र ।। कतरा कतरा लहू का रग रग में जब जब, अपने होने का वजूद कायम करता हैं । ये,उफान मोहब्बत का मन,मस्तिष्क को..

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       24-04-2022

माँ की गोंद

नवजीवन धारण करते ही चेतन तन को आश्रय मिलता है । मां की गोद प्रेम का निर्झर असीमित सुख जहां मिलता है ।। अतिशय ममता से पूरित यह सुख देती , शांत चित्त करती । उज्जवल आभा से आलोकित मन की पीड़ा को हर लेती ।। राजमहल से वैभवशाली राजसिंहासन से ऊंचा है

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       24-04-2022

अच्छा हो एक दीप जलाओ

सोए मन दर्पण के भीतर नन्हा सा एक गीत सुनाओ । अलसाई नींदों से जागो खुशियों का संगीत बजाओ अच्छा हो एक दीप जलाओ।। टूटे मन की बेबसी ऐसा सुंदर गीत सुनाओ फूटे नया सवेरा जग में ऐसा एक संदेश फैलाओ । अच्छा हो एक दीप जलाओ ।। रंग, रूप, रस और राग के....

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       23-04-2022

किताब और मैं

किताबों में मेरा दिल हैं बसा और मुझमें समाया एक अंश इनका ।। # एक लेखक, एक साहित्यकार या एक रचनाकार का दिल की गहराई से लगाव होता हैं किताबों और पुस्तकों के संग ।। जब जब,कोई रचना रची जाती हैं पन्नों पर जो भरी होती हैं । जज़्बातों के रस से लबालब ।।

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       22-04-2022

सरगम के सात सुर और मेरी पायल की रुनझुन रुनझुन

सरगम के सात सुर और मेरी घुंघरू की रुनझुन ।। सरगम के सात सुर सजते हैं जब जब, मेरे पांव में बंधी हर एक घुंघरू करती हैं ।। तेरी मोहब्बत में, रुनझुन रुनझुन तब तब ।। पांव की किस्मत भी गुलज़ार हुई पायल के पांव पर अलंकृत होने पर ।। कब कि, बेचैनी,

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       21-04-2022

बदरिया संग मेरा नाता

मैं बदरिया को तकता अपनी छत की मुंडेर से ।। # आसमान की दहलीज पर ये,जो बादल का दिल हैं । मेरे और उसके रिश्ते का एक अनूठा संगम हैं । नीला नीला अंबर उस पर,धरा पर बिखरा मेरा धानी सा आंचल जैसे,लगता हैं हो,कई जन्मों के प्रेम का संगम ।। काले काले बदरा

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       19-04-2022

कलंक या काजल बना मैं

मैं ! कलंक बन बदनाम हुआ या आंखों का सुरमा बन हूं दमका कोरो में ।। # आंखों की कोरो में जब जब सुरमा हैं सजता । आंखों की रंगत ही पूरी तरह बदलता ।। सुरमा ये, हैं झुकी पलकों संग,शर्मों हया का दामन हैं बनता । पर जब जब ,ये ढलता हैं कोरो से कर उलंघन श

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       18-04-2022

रूह का परिंदा

ये, रूह का परिंदा ना जाने क्या गुहार करे । बस,हो बेबस सा तुझसे मिलने की पुकार करे ।। मन में ख़्वाब सजाएं हजार अपने हमनवा संग मिलकर बस,उनके पूरे होने की दरकार करे । ये, रूह का परिंदा भी ना जाने क्या गुहार करे ।। तस्वीर से तसव्वर तक के सफर में, हु

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       18-04-2022

दंगे का दावानल

हिंदू न मरता है न मुसलमान मरता है। दंगे के दावानल में एक इंसान मरता है ।। क्यों आग लगी , कैसे लगी किसने लगाई प्रश्नों के समंदर में बस ईमान मरता है ।। जिन्होंने खड़ी की है मजहब की दीवारें उनको क्या खबर थी घातक होंगी दरारें धर्म के ठेकेदारों

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       17-04-2022

क्या यही है मानव जीवन ??

मानव जीवन की सोचनीय दशा को प्रदर्शित करती एक काव्य रचना I

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       11-04-2022

मुक्कमल

यह जग को मंजूर नहीं है ‌। सुख समृद्धि यश मिले सभी को दुनिया का दस्तूर नहीं है ।। उलझा हुआ गणित जीवन का दो-दो चार नहीं हो पाते ।

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       09-04-2022

हे शारदे मां

धवल वस्त्र, सिर मुकुट सुशोभित कर-पुस्तक , वीणा का स्वर है । कमल आसने , हंस विराजती हे शारदे मां नमन तुम्हें है ।। अज्ञानता का तिमिर नाशकर तुम

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       06-04-2022

जिंदगी

वाह री जिंदगी तू भी कितनी अजीब जाने क्या क्या गुल खिलाती है कभी हंसाती, कभी रुलाती है और तो और कभी जीने तो कभी मरने नहीं देती। जो जीवन चाहता है उससे छीन लेती है

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       29-03-2022

परछाई/ अक्स

ख्वाबों में सूरत बसी थी बन हकीकत छा गई है । अक्स बनकर आंखों में अंतःकरण में भा गई है ।। मन मंदिर के निलय में

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       28-03-2022

मनहर तेरा परिधान प्रिए

दिलकश मनहर अनुपम प्यारा आकर्षक परिधान तुम्हारा । नवयौवना सा सजी-धजी तुम मनभावन है रूप तुम्हारा ।। तन से लिपटे हुए ढंग से

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       28-03-2022

स्वागत है मधुमास

नवसमवत्सर का स्वागत गीत नवसम्वत्सर की बेला है, नवऋतुओ ने श्रृंगार किये I आमों पर हैं खिली मंजरी, स्वागत है मधुमास प्रिये II

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       27-03-2022

सरिता संगीत पथ प्रेम मृत्यु

यह कविता एक नदी के प्रवाह को दर्शाती है उस नदी की बहाती हुई धारा को समझती है कि जब नदी बहाती है तो एक संगीत के साथ कलकल करती हुई और मनोरम संगीत के साथ मन को लुभाती हुई जीवन की प्यास बुझती हुई और ये समझाती हुई कि मेरा जीवन एक वैराग्य सा है जो निस्वार्थ है

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       21-03-2022

साहित्य की ताकत

संस्कृति सभ्यता का उपवन साहित्य ज्ञान की झांकी है। प्रगतिशील होता वह देश साहित्य जहां की साखी है ।।

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