कलंक या काजल बना मैं

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ब्लॉग प्रेषक: स्नेहा सिंह
पद/पेशा: Lecturer
प्रेषण दिनांक: 19-04-2022
उम्र: 30
पता: Lucknow
मोबाइल नंबर: 9453749772

कलंक या काजल बना मैं

।। मैं ! कलंक बन बदनाम हुआ

या आंखों का सुरमा बन हूं दमका कोरो में ।।

# आंखों की कोरो में  जब जब

सुरमा हैं सजता ।

आंखों की रंगत ही पूरी तरह बदलता ।।

सुरमा ये,

हैं झुकी पलकों संग,शर्मों हया का 

दामन हैं बनता ।

पर जब  जब ,ये ढलता हैं कोरो से

कर उलंघन शरमों हया का

तब तब,ये साहब !

कलंक का टीका हैं बनता ।।

कभी आंचल ढलकने से रिश्ता इसका हैं बंधता

तो कभी,

चरित्र हो जब दांव पर

तब,इसका रिश्ता हम संग हैं जुड़ता ।।

मान मर्यादा,प्रतिष्ठा और रीति रिवाज

को मैंने ढाला परंपराओं संग

इन,कोरो में सुरमे को डालकर

करूंगा,

इनका पूरी शिद्दत से पालन

बिन लगे,

दामन में कलंक की दाग की तरह ।।

स्नेहा कृति

(रचनाकर पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक)

कानपुर उत्तर प्रदेश

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