कविता/दोहा

       20-04-2022

दुआएं दे रहा हूं

आँख भर आती है जब मन की आंखों में तैरने लगती ही तुम्हारे भावों की तरलता, तुम्हारे अपनत्व का वो समंदर जो पाया देखा और महसूस किया था मैंने उस दिन मिले थे जब हम पहली बार बिना किसी योजना के। पर तुम्हारे जिद भरे प्यार अनूठे रिश्तों ने जो दिया उसे व्यक्त करना...

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       17-04-2022

धैर्य

कब तक मेरे धैर्य की परीक्षा का ये क्रम चलेगा, मेरे सब्र का बांध आखिर कब तक मजबूत रह सकेगा। आखिर इसे भी एक दिन टूटना ही है आज, कल या फिर आने वाले कल में। क्योंकि हर चीज की एक सीमा होती है और मेरे धैर्य की सीमा अब सीमा पार कर रही है, मेरे धैर्य की पतवार फिस

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       11-04-2022

वजनी नाम हैं चर्चित बहोत

बाबू मोशाय जिस दिन,तेरे नाम की गूंज होगी चहु ओर अच्छे अच्छे,बड़े से बड़े सितारे गिरफ्त में होगे तेरी सख्शियत के दायरे में । कभी कभी,

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       09-04-2022

मां की कोख

जब नन्ही सी जां पनपती हैं मां की कोख में अनगिनत एहसासों,अनगिनत ख्यालों और अनगिनत मस्तिष्क में लेकर सवालों को पलती,बढ़ती होगी वो ,जां मां की कोख में ।। जिस सुख ,दुख ,हैरानी और परेशानी के अनुभव

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       09-04-2022

ममता का आंचल

मां की ममता का रंग ना कभी फीका पड़ता, मां के आंगन में है खुशियों का पिटारा। मां शब्द से ही है प्रेम की परिभाषा परिपूर्ण, ममता का सागर

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       08-04-2022

बिन मौसम की बरसात

बिन मौसम की बारिश में भीगा भीगा सा मैं ! जैसे, एहसासों के हाथों से थोड़ा फिसला सा मैं बिन मौसम की बारिश में मैं । बिन मौसम की बारिश में मैं,

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       07-04-2022

मां की परछाई बेटी

नियति का अजीब ही खेल है पिता के लिए बेटी मां है अनकहा अनोखा यह रिश्ता मां का कलिजा बेटी में समाया। पिता के लिए बेटी मां की परछाई है पिता की कलाई थामे

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       07-04-2022

मेरे मन के उदगार

भाव विव्हल हो जब मैं पिरोती हूं शब्दों को माला में यकीन मानिए, मन को हर बंदिशों से जैसे जंजीरों की कैद से बरी करती हूं ।। हैं ! मन दरमियान एहसासों का ज़खीरा कुछ यूं बेपनाह,बेहिसाब

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       06-04-2022

भावों की खुशबू

सब कुछ योजनानुसार चल रहा अचानक जो हुआ उम्मीद से बहुत आगे, सब कुछ इतना तीव्र था कि समझना मुश्किल था। ऐसा भी हो सकता है, मन हाँ- न के उहापोह में उलझकर रह गया।

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       06-04-2022

अहम की भाषा

हर एक भाषा का ज्ञान अर्जित किया मैंने बड़े ही सहज भाव से । पर न कर सका दिल के क़रीब मुंह की जबानी भाषा अहम,गुरुर और घमंड की बेशर्मियत की अदाओं में । अदब, लिहाज़ और सौम्यता की चादर

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       04-04-2022

बेटी

जिसकी सुगबुगाहट ने तन बदन मन को आनंदित किया। जिसकी आगमन के उत्सव में फूलों ने सुगंध बिखराया। जिसकी आने के उमंग में पक्षियों ने रोज चहचहाया।

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       04-04-2022

पहली मोहब्बत

पहली मोहब्बत का गम भी बड़ा अजब हैं । जैसे,फलक पर सितारे कुछ कम हैं । घड़ियां इंतजार की पड़े भारी इस दिल पर लगता हैं ऐसा इश्क में मिठास की चासनी थोड़ी कम हैं ।।

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       03-04-2022

सिलवट माथे की

जैसे, उबाई संग तन ले रहा हो करवट जरा सा खटका,तनिक सा मन को झटका आखिर! आ ही जाती हैं मस्तक पर सिलवट ।। वस्त्र की सिलवट चली जाती हैं स्त्री के बाद पर ये माथे की सिलवट ना जाए लाख जतन के बाद । आखिर ! क्यूं आती हैं रेखाएं माथे पर थकन और उलझन की क्यूं,द

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       02-04-2022

भगत और भगवान

रिश्ता आसान ना भगत और भगवान का । एक तन धारण कर धरा पर आता हैं तो, दूजा उसकी परवाह पालन,पोषण की फ़िक्र में तमाम घडिया और समय का चक्र ही घूमा देता हैं । आसान ना संबंध

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       01-04-2022

जज़्बात बनाम सौदे दिल के

बिक जाते हैं बड़े ही सस्ते दाम में दिल के रिश्ते । आजकल, वफ़ा के बाजार में । जज़्बात धरे के धरे रह जाते हैं रस्मों,वादों और नीयत की ताक पर । सजाई गई महफ़िल एहसासों की

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       31-03-2022

शहीदों को नमन

शहीदों को नमन खुली हवा में सांस जो ली है, गुलामी की जंजीरें तोड़ी है, अत्याचार सहन न करे कोई बदन आओ मिलकर सभी करे, वीर शहीदों को नमन।

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       30-03-2022

सन्नाटा

चहु ओर सन्नाटे का आलम था मैं था और मेरी तन्हा ख्वाहिशों से मेरा दिल ज़ख्मी था । सारा ज़माना छोड़ मैं, मिलने लगा खुद की बेचैनियोँ से, तो कभी तन्हाइयों से ।।

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       30-03-2022

अलविदा दीदी

अमर आत्मा का अनंत सफ़र दे गया अश्रु करोड़ों नयनों में, वेदनाओं का यह पल क्यू न थम जाएं यहीं पर। ममत्व के आंचल में जिसने

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       29-03-2022

खामोशियां चुभती हैं

खामोश हो जाती जुबां अक्सर जब जख्म ढेर हो भीतर मन के । टूटा फूटा ही सही पर गुबार निकल जाता हैं दर्द का शब्द बनकर ।। सैलाब बन पीरा का भंवर

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       29-03-2022

मुसाफिर सा मैं

मुसाफ़िर बन मैं भटकता रहा मंज़िल की तलाश में । दूर दूर तक ना अता पता था । मंज़िल का मैंने खोजा उसे,हाथ में चराग़ लेकर ।

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       29-03-2022

शहादत

तिरंगे की शान की खातिर और मातृभूमि की आन की खातिर लाखों कर गए जान फिदा देश की माटी की खातिर । कौन सा लहू का रिश्ता था

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       29-03-2022

लावारिस

चुका रहा हूं मोल में, न जानें किस गुनाह का। हूं मैं दर्पण सभ्य खोखले समाज का, जिसकी विशाल दृष्टि कोनता में न मिला मुझे कोई सम्मान।

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       28-03-2022

सपने का राजकुमार

बड़ी चाहत थी मेरी मिलने की ख्वाबों के राजकुंवर से । सुना था दादी, नानी से किस्से कहानियों में उस, राजकुंवर के तारीफों की अनगिनत कड़ियों के बारे में । होगा वो ऐसा,

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       28-03-2022

पवित्र मन

मन जब,पवित्र होता हैं तो, उसमें झलकती हैं कुदरत की सारी सुंदर कृति । होता हैं आइना एक साफ मन बस्ती हैं उसमें सारी जहान की खूबसूरती स्वयं,उसमें आकर रहती हैं सारी सृष्टि की कला ।।

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       28-03-2022

गांव का आंचल

सुन ज़रा, रुका जा ज़रा, मुड़कर देख तो लें ज़रा क्या है तेरी संस्कृति क्या है तेरी परंपरा मुड़ कर देख तो ज़रा क्यू दौड़ता है पगले आधुनिकता के माया जाल में कुछ पल थम तो जा थोड़ा प्रीत के मीत में डुबकी लगा तो लें ज़रा

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