कविता/दोहा
दुआएं दे रहा हूं
आँख भर आती है जब मन की आंखों में तैरने लगती ही तुम्हारे भावों की तरलता, तुम्हारे अपनत्व का वो समंदर जो पाया देखा और महसूस किया था मैंने उस दिन मिले थे जब हम पहली बार बिना किसी योजना के। पर तुम्हारे जिद भरे प्यार अनूठे रिश्तों ने जो दिया उसे व्यक्त करना...
Read Moreवजनी नाम हैं चर्चित बहोत
बाबू मोशाय जिस दिन,तेरे नाम की गूंज होगी चहु ओर अच्छे अच्छे,बड़े से बड़े सितारे गिरफ्त में होगे तेरी सख्शियत के दायरे में । कभी कभी,
Read Moreमां की कोख
जब नन्ही सी जां पनपती हैं मां की कोख में अनगिनत एहसासों,अनगिनत ख्यालों और अनगिनत मस्तिष्क में लेकर सवालों को पलती,बढ़ती होगी वो ,जां मां की कोख में ।। जिस सुख ,दुख ,हैरानी और परेशानी के अनुभव
Read Moreममता का आंचल
मां की ममता का रंग ना कभी फीका पड़ता, मां के आंगन में है खुशियों का पिटारा। मां शब्द से ही है प्रेम की परिभाषा परिपूर्ण, ममता का सागर
Read Moreबिन मौसम की बरसात
बिन मौसम की बारिश में भीगा भीगा सा मैं ! जैसे, एहसासों के हाथों से थोड़ा फिसला सा मैं बिन मौसम की बारिश में मैं । बिन मौसम की बारिश में मैं,
Read Moreमां की परछाई बेटी
नियति का अजीब ही खेल है पिता के लिए बेटी मां है अनकहा अनोखा यह रिश्ता मां का कलिजा बेटी में समाया। पिता के लिए बेटी मां की परछाई है पिता की कलाई थामे
Read Moreमेरे मन के उदगार
भाव विव्हल हो जब मैं पिरोती हूं शब्दों को माला में यकीन मानिए, मन को हर बंदिशों से जैसे जंजीरों की कैद से बरी करती हूं ।। हैं ! मन दरमियान एहसासों का ज़खीरा कुछ यूं बेपनाह,बेहिसाब
Read Moreभावों की खुशबू
सब कुछ योजनानुसार चल रहा अचानक जो हुआ उम्मीद से बहुत आगे, सब कुछ इतना तीव्र था कि समझना मुश्किल था। ऐसा भी हो सकता है, मन हाँ- न के उहापोह में उलझकर रह गया।
Read Moreअहम की भाषा
हर एक भाषा का ज्ञान अर्जित किया मैंने बड़े ही सहज भाव से । पर न कर सका दिल के क़रीब मुंह की जबानी भाषा अहम,गुरुर और घमंड की बेशर्मियत की अदाओं में । अदब, लिहाज़ और सौम्यता की चादर
Read Moreपहली मोहब्बत
पहली मोहब्बत का गम भी बड़ा अजब हैं । जैसे,फलक पर सितारे कुछ कम हैं । घड़ियां इंतजार की पड़े भारी इस दिल पर लगता हैं ऐसा इश्क में मिठास की चासनी थोड़ी कम हैं ।।
Read Moreसिलवट माथे की
जैसे, उबाई संग तन ले रहा हो करवट जरा सा खटका,तनिक सा मन को झटका आखिर! आ ही जाती हैं मस्तक पर सिलवट ।। वस्त्र की सिलवट चली जाती हैं स्त्री के बाद पर ये माथे की सिलवट ना जाए लाख जतन के बाद । आखिर ! क्यूं आती हैं रेखाएं माथे पर थकन और उलझन की क्यूं,द
Read Moreभगत और भगवान
रिश्ता आसान ना भगत और भगवान का । एक तन धारण कर धरा पर आता हैं तो, दूजा उसकी परवाह पालन,पोषण की फ़िक्र में तमाम घडिया और समय का चक्र ही घूमा देता हैं । आसान ना संबंध
Read Moreजज़्बात बनाम सौदे दिल के
बिक जाते हैं बड़े ही सस्ते दाम में दिल के रिश्ते । आजकल, वफ़ा के बाजार में । जज़्बात धरे के धरे रह जाते हैं रस्मों,वादों और नीयत की ताक पर । सजाई गई महफ़िल एहसासों की
Read Moreशहीदों को नमन
शहीदों को नमन खुली हवा में सांस जो ली है, गुलामी की जंजीरें तोड़ी है, अत्याचार सहन न करे कोई बदन आओ मिलकर सभी करे, वीर शहीदों को नमन।
Read Moreअलविदा दीदी
अमर आत्मा का अनंत सफ़र दे गया अश्रु करोड़ों नयनों में, वेदनाओं का यह पल क्यू न थम जाएं यहीं पर। ममत्व के आंचल में जिसने
Read Moreखामोशियां चुभती हैं
खामोश हो जाती जुबां अक्सर जब जख्म ढेर हो भीतर मन के । टूटा फूटा ही सही पर गुबार निकल जाता हैं दर्द का शब्द बनकर ।। सैलाब बन पीरा का भंवर
Read Moreमुसाफिर सा मैं
मुसाफ़िर बन मैं भटकता रहा मंज़िल की तलाश में । दूर दूर तक ना अता पता था । मंज़िल का मैंने खोजा उसे,हाथ में चराग़ लेकर ।
Read Moreसपने का राजकुमार
बड़ी चाहत थी मेरी मिलने की ख्वाबों के राजकुंवर से । सुना था दादी, नानी से किस्से कहानियों में उस, राजकुंवर के तारीफों की अनगिनत कड़ियों के बारे में । होगा वो ऐसा,
Read Moreगांव का आंचल
सुन ज़रा, रुका जा ज़रा, मुड़कर देख तो लें ज़रा क्या है तेरी संस्कृति क्या है तेरी परंपरा मुड़ कर देख तो ज़रा क्यू दौड़ता है पगले आधुनिकता के माया जाल में कुछ पल थम तो जा थोड़ा प्रीत के मीत में डुबकी लगा तो लें ज़रा
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