सन्नाटा

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ब्लॉग प्रेषक: स्नेहा सिंह
पद/पेशा: रचनाकार
प्रेषण दिनांक: 30-03-2022
उम्र: 30
पता: लखनऊ, उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर: 9453749772

सन्नाटा

।। सन्नाटा ।।

# चहु ओर सन्नाटे का आलम था

मैं था और मेरी तन्हा ख्वाहिशों

से मेरा दिल ज़ख्मी था ।

सारा ज़माना छोड़ मैं,

मिलने लगा खुद की बेचैनियोँ से,

तो कभी तन्हाइयों से ।।

निकला मैं जब,

खुद की दुनियां से

 मिला एक अजनबी से शहर,गांव और

कुदरत की लड़ियों से ।

कुदरत के हर सन्नाटे में भी अजनबी सा चैन और सुकून था ।

उस,सन्नाटे में सुनी मैंने सरसराहट पत्तों की

झूमती अमवा की डाली को

पंक्षी भी,देखो ना

चहचहा कर, इतरा कर बेफिक्री से 

आपस में बात करते हैं ।

जैसे,प्रेम और झगड़े की कड़ी बुनते हो ।।

सन्नाटे में हौले से सुनी मैंने,

कल कल कर बहते झरने की धुन

जैसे, गुम हो उसमें कई अनजाने से मौसम ।

और नदियों का ठहरा जल जैसे,

करता हो मीठा मीठा सा गुंजन ।।

हां ! 

मैं,अकेले में मिलता हूं हर जगह पसरे सन्नाटे से ।।

स्नेहा कृति

(रचनाकार,पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक)

कानपुर उत्तर प्रदेश

🙏🙏🙏🙏🙏

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