मेरे मन के उदगार

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ब्लॉग प्रेषक: स्नेहा सिंह
पद/पेशा: रचनाकार
प्रेषण दिनांक: 07-04-2022
उम्र: 30
पता: लखनऊ, उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर: 9453749772

मेरे मन के उदगार

।। मेरे मन के उदगार ।।

# भाव विव्हल हो जब

 मैं पिरोती हूं शब्दों को माला में 

यकीन मानिए,

मन को हर बंदिशों से जैसे 

जंजीरों की कैद से बरी करती हूं ।।

हैं ! मन दरमियान 

एहसासों का ज़खीरा कुछ यूं

बेपनाह,बेहिसाब

कुदरत वास्ते !

प्रेम के कई रंग को जैसे फना करती हूं  ।

भाव विव्हल हो जब मैं पिरो देती हूं

शब्दों को अहसासों की माला में 

मन और मस्तिष्क का पुर्जा पुर्जा 

बहने लगता हो जैसे

एक रवानी में ।

मैं ! पिरोती हूं शब्दों को जब एक माला में

जंग लगी हर याद,हर ख्याल

हुंकार सी भरने लगता हैं 

 जैसे होता हैं 

नए ठिकाने मिल जाने पर ।।

भाव विव्हल हो जब मैं पिरो देती हूं ।

एहसासों को एक माला में 

हर रूठा आलम,हर पल

हो चलता जैसे,

पकड़ नए सुर,नए अफसाने के एक ज़माने में ।।

भाव विव्हल हो जब मैं

स्नेहा कृति

(रचनाकार, पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक)

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