खामोशियां चुभती हैं

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ब्लॉग प्रेषक: स्नेहा सिंह
पद/पेशा: रचनाकार
प्रेषण दिनांक: 29-03-2022
उम्र: 30
पता: लखनऊ, उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर: 9453749772

खामोशियां चुभती हैं

।। चुभती हैं खामोशियां ।।

# खामोश हो जाती जुबां अक्सर

जब जख्म ढेर हो भीतर मन के ।

टूटा फूटा ही सही

पर गुबार निकल जाता हैं दर्द का शब्द बनकर ।।

सैलाब बन पीरा का भंवर 

बह ही जाता हैं अक्सर

अक्षर का जाल बनके ।

पर,

जब रूठते हैं शब्द

तब,

प्रलय का समंदर उफानों से भर जाता हैं ।

हर तरफ सन्नाटा पसर जाता हैं।।

हर चीज खामोश हो जाती हैं

और फिर से रवानी की दुहाई

हैं मांगती ।।

खामोशियां टूटे कांच की चुभन सी

सीने को करती जैन लहूलुहान ।।

शुभ रात्रि ।।

स्नेहा कृति

(रचनाकर,पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक)

कानपुर उत्तर प्रदेश

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