| ब्लॉग प्रेषक: | Deepali Mirekar |
| पद/पेशा: | रचनाकार |
| प्रेषण दिनांक: | 07-04-2022 |
| उम्र: | 27 |
| पता: | कर्नाटक |
| मोबाइल नंबर: | 7353581756 |
मां की परछाई बेटी
मां की परछाई बेटी
नियति का अजीब ही खेल है
पिता के लिए बेटी मां है
अनकहा अनोखा यह रिश्ता
मां का कलिजा बेटी में समाया।
पिता के लिए बेटी मां की परछाई है
पिता की कलाई थामे
नन्ने नन्ने कदमों से चलना सिखती बेटी
न जानें कब इतनी बड़ी हो जाती है की
पिता की बनती मां
उसके सुख दुःख की साथी बनती
कभी कभी डॉट देती गलती पर
तो कभी समझदारी का पाठ पढ़ाती।
पिता के लिए बेटी मां की परछाई है
मातृत्व का प्रेम लुटाती
पिता की नादानियां संभालती
पिता का गर्व बनती
परिवार को बांधती खुशियों की डोरी से
हारे थके पिता की प्रेरणा बनती
लगता है पिता को
है वह मेरी पत्नी की परछाई पर
मेरे मां का पुनर्जन्म है ले आयी।
संघर्ष के संसार में
कोई न किसका अपना
मां पिता बिन उजड़ा जीवन
सवारा है बेटी ने बिखरा हुवा मन।
बेटी मेरी मां की परछाई
बनाती जीवन को
स्वर्ग सा सुंदर
बेटी कहकर उसको मार न देना
अपने ही मां का गला न घोटना
क्यू बने इंसान
बेटी के नाम पर मां का हत्यारा
आंखें खोल कर देखते तो सही
बेटी होती अपने मां की परछाई।
मेरी बेटी मेरी मां
स्वर्ग से सुंदर मेरा संसार।
दिपाली......
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