एहसासों के रंग कुदरत के संग

।। धरा की हैं यही पुकार बढ़ते ताप से मुझे बचा लो बस,सब आप ।। जंगल,वन और उपवन हो रहे वीरान निस्ते नाबूत हो रही इनकी पहचान अस्तित्व के इनके हमें बचाना हैं पेड़ों की संख्या ,हो रही जो कम उसे,घटने से बचाना हैं ।। अरे,हुजूर! कुदरत को हरा भरा रख

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       12-06-2022

अपना विकास सबका विकास

अपना विकास सबका विकास ************************* विकास, विकास और विकास की चर्चाओं को विराम दीजिए, पहले अपना विकास फिर सबके विकास का विचार कीजिए। सबके विकास की बात करना कहना सोचना बड़ा सरल है क्योंकि इसमें हमारा आपका भला जाता ही क्या है? मगर अपना विकास...

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       12-06-2022

गर्मी

चिलचिलाती, चिपचिपाती गर्मी का रौब हर साल बढ़ रहा है, आमजन का जीवन मुश्किल हो रहा है, क्या कहोगे दोस्तों सितम ये क्यों बढ़ रहा है? आधुनिकता का आवरण ओढ़ जो लिया हमने कंक्रीट के जंगलों को जीवन मान लिया हमने, बड़ी बेहयाई से पेड़ काट रहे हैं धरती की

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सहज स्वभाव

सरल स्वभाव का होना चार चांद लगाना हैं व्यक्तित्व में । कोयले की खान में कोहिनूर की तरह दमकना हैं भरे जहान में । लोग बहुत मिलते हैं सोचे बहुत मिलती हैं जिसमें हो इंसानियत ज़िंदा वही इस दिल की दुनियां में ताउम्र! दिए बनकर जलते हैं ।। दर्द का

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देश सेवा के रूप अनेक

वह एक साठ साल का वृद्ध है,जो रोज सुबह हाथों में एक कनस्तर और करांटी**ले कर, सड़क पर निकल पड़ता है।उस कनस्तर में हमेशा थोड़ा सा सीमेंट होता है!पैदल चलते-चलते सड़क पर जहां भी,उसे खड्ढा नज़र आता है,ठिठक जाता है।अपने कनस्तर को नीचे रख..आस पास से पत्थरों को...

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विद्रोह की पीड़ा

कुछ घाव इतने सालों के पश्चात् फिर से हरे हो रहे थे । जब प्रेरणा एक कलेक्टर के रुप में साक्षात्कार दे रही है। एंकर उससे पूछती हैं " आप ने अपने वैवाहिक संबंध को क्यू तोड़ा है?? अर्थात क्या आपके जीवन में रिश्तों से भी ज्यादा महत्व अधिकार को है?? वह सोच...

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       09-06-2022

बेटियों को पढ़ाना हैं हर कालिक को मिटाना हैं

।। बेटियों को पढ़ाना हैं पुरानी,हर प्रथा या कुरीतियों को जड़ से मिटाना हैं ।। कोख में जब चलता हैं पता बेटी के होने का फिर,संशय में क्यों हो जाता हैं भरा पूरा ज़माना । गर्भपात करा गर्भ को गिराया जाता हैं आखिर! उस,मासूम सी जान को क्यों बोझ...

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माँ गंगा और हम

माँ गंगा का हम कितना मान सम्मान कर रहे हैं, अपने पाप धोते हैं साथ में कपड़ें भी धोते हैं, गंदगी फैलाते हैं प्रदूषण से माँ गंगा का क्या खूबसूरत श्रृंगार करते हैं। कितने भले लोग हैं हम जो अपनी पतित पावनी जीवनदायिनी माँ के आँचल क

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       08-06-2022

कवि हूँ कविता लिखता हूँ

हाँ ! मैं कवि हूँ कविता लिखता हूँ, सत्य से दो चार हो शब्दों से लड़ता झगड़ता हूँ, मन में जो भाव उठे उसे कागज पर उतार देता हूँ। खुद से लेकर आप तक पड़ोसियों से लेकर संसार तक सरहदों की कठिनाईयों से लेकर आकाश की ऊ

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       07-06-2022

सूरज तेरी,तपाती सी ये किरणें

सूरज तेरी,तपाती सी ये किरणें

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       06-06-2022

मौन, भीतर का

मैं! हो जाता हूं मौन ये शब्द भी हो जाते हैं मौन फिर भी,ये दिल बड़ी खामोशी से बात करता हैं । जाने अंजाने, बिन शब्द मुख से कहे बिना आंखों की जरिए ,अपनी बात कहता हैं ।। ये, मौन,हैं बड़ा बेदर्दी हैं बड़ा ज़ालिम हर वक्त मन को बेचैन सा और भीतर ही

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मंदिर के इर्द-गिर्द रोजगार से कई परिवार का भरण-पोषण

पिछले दिनों मैं अपने परिवार के साथ मंदिर गया ।पूजा से पहले दुकान से प्रसाद लिया , चढ़ाने के लिए माला ली । हम तो तुरंत दर्शन कर लिये , बाकी लोग विधि विधान के साथ पूजा पाठ कर रहे थे। जिज्ञासु प्रवृत्ति से मैं मंदिर के चारों तरफ घूमने लगा। हर दुकान , हर...

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पर्यावरण

विज्ञान के नाम से अज्ञान न बनो। परि आवरणों को सुरक्ष रखो। वनों को मत काटो, वृक्षारोपण करो, रासायनोका उपयोग मत करो। जल और वायु को प्रदूषण मत करो। अज्ञान से नही ज्ञान से सोचो। आज नही तो कल नही। प्रदूषण से पृथ्वी को बचावो। जागो। पेड-पौधे ल...

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प्रकृति का दोहन

मानव के क्रियाकलापों से बिखर रहा प्रकृति का संतुलन । बिंध रही धरती की छाती मनुष्य कर रहा इसका दोहन ।। चित्कार कर रही धरती कुपित हो, मचा रही तांडव । दरक रहा पहाड़ों का सीना मिट रहा नदियों का उद्भव ।। जल-जंगल-जमीन से हमारा सदियों का बंधन है ।

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       04-06-2022

क्रिकेट संग नारी

महिलाओं को में प्रेरणा हेतु महिला क्रिकेट के अवसर पर लिखी गई यह रचना। नारी शक्ति की पुकार यही , कुछ नया करके है दिखाना क्रिकेट खेलेंगे हम शान से देखेगा हमको भी ये जमाना ।। अब जो निकले हैं मैदान में पहिचान अपनी बनाने के लिए जो देखा है एक सपना ह..

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       04-06-2022

गुमनाम सा लगता है

आज कल शहर ये अंजान सा लगता है। भीड़ तो है यहाँ मग़र वीरान सा लगता है।। रिश्तों की बवंडर में हम उलझ गये हैं ऐसे। सुनामी के संग उठता तूफ़ान सा लगता है।। ये जो सूरत ईक मिरे ज़ेहन में बस गई है न। ख़ुदा क़सम ग़ैर होके भी जान सा लगता है।। उसके न होन

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       02-06-2022

कर्ज वाली लक्ष्मी

एक 15 साल का भाई अपने पापा से कहा "पापा पापा दीदी के होने वाले ससुर और सास कल आ रहे है" अभी जीजाजी ने फोन पर बताया। दीदी मतलब उसकी बड़ी बहन की सगाई कुछ दिन पहले एक अच्छे घर में तय हुई थी। दीनदयाल जी पहले से ही उदास बैठे थे धीरे से बोले... हां बेटा..

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       02-06-2022

मायाजाल

क्या जी, बचपने से चेहरा अइसा है की ऑर्डर देके बनवाए हो ! उड़ा लीजिए मजाक 'परीक्षा देके आ रहे हैं न, जब जा रहे थे तो रितिक रोशन लग रहे थे, लेकिन बेरोजगार के फौज से जब सामना हुआ तो एकदम नवाजुद्दीन बन गए। का हुआ विस्तार से बताएंगे - जरूर बताएंगे सु...

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प्राणिमात्र के कल्याणार्थ सनातन सभ्यता संस्कृति प्रकृति के पूजक

विश्व की सबसे प्राचीन और प्रथम धर्म है सत्य सनातन धर्म। धर्म कोई विवादित शब्द नहीं हो सकता धर्म का एक ही तात्पर्य है जो सत्य अहिंसा, आपसी एकता सौहार्द प्रेम एवं भाईचारे पर आधारित जाती-पाती भेद-भाव, ऊँच-नीच से परे आत्मिक कल्याण और सामाजिक कल्याण तथा सरो...

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सिया के राम और राम की सिया

आदर्श की पराकाष्ठा हैं श्रीराम और चरित्र की वास्तविक प्रतिबिंब हैं सीता जी ।। सर्वगुण संपन्न से सियाराम जैसे,एक दूजे के अक्सो को पूरा सा करते हो सियाराम । एक कुशल राजा,एक कुशल शासक आदर्श पुत्र और सभी के प्यारे श्रीराम एक पतिव्रता,एक आदर्श

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       31-05-2022

एक साया आया

एक साया आया *************** मन में बेचैनी संग अनचाहा डर समाया था, उलझनों का फैसला मकड़जाल जाने क्यों समझ से बाहर था। नींद आँखों से कोसों दूर थी, जैसे नींद और आँखो की न कोई प्रीति थी। कैसे भी चैन नहीं मिल रहा था बेचैनी से बचने के चक्कर में मैं बार बार बा..

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       31-05-2022

युवता

उठो युवक, नींद में से उठो। आप की हात मे देश का भविष्य है। लक्ष की ओर चलते रहो। न रूखो, न डरो, न जुखो बस आगे चलते रहो। आलसी और बेपरवाह मत बनो। समय को वृदा न करो। परिश्रम करो, विजयी पावो। स्वार्थ, क्रोध को छोड़ो। देश के लिए काम करो। पैसों...

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       31-05-2022

भ्रूण हत्या

भ्रूण हत्या एक ऐसा विषय है , जो बहुत मार्मिक है कई बार न चाहते हुए भी करवाना पड़ता है । परंतु इसका दोष फिर करवाने वाले को पीड़ा जरूर देता है। वह नन्नी कोमल सी कली जिस के एहसास को ह्रदय महसूस करके ही बहुत रोया, मार दिया जिसे जन्म से पहले हाय पाप का बीज

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परिश्रम एवं भाग्य

इंटरनेशनल जर्निलज्म अवार्ड, अंतरराष्ट्रीय शोध एवं राष्ट्रीय पत्रकारिता आवार्ड, महर्षि वेदव्यास अवार्ड सहित तीन सौ पचास से अधिक अवार्ड व सम्मान पत्र से सम्मानित।

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       29-05-2022

व्यथा - निरीह चुनावी कर्मी का।

अवधेश जी चुनाव में जाना है, काहे नहीं कार्मिक कोषांग के बड़ा बाबू से कह के नाम कटवा लेते हैं। देखिए तो राजू और अमलेश जी दो सौ में ही नाम कटवा लिए, कम से कम बक्सा कंधा पर ढोना तो नही पड़ेगा। कटवा तो लेते जी, लेकिन सुने हैं तीन हजार रुपया देगा, चुनाव करवाने

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