| ब्लॉग प्रेषक: | स्नेहा सिंह |
| पद/पेशा: | Lecturer |
| प्रेषण दिनांक: | 07-06-2022 |
| उम्र: | 29 |
| पता: | लखनऊ |
| मोबाइल नंबर: | 9453749772 |
सूरज तेरी,तपाती सी ये किरणें
।। सूरज की ,तपाती किरने ।।
भोर की किरण सूरज की
ओज से परिपूर्ण ।
मध्यम मध्यम सी रोशनी इसकी
भर जाती मन दर्मियाँ असंख्य पैमाने में
चैन और सुकून ।।
चढ़ता, पारा जैसे जैसे इनका
झुलसाते सा ये मेरा तन ।
जैसे,गुस्सा इनका हो रहा हो इनका अनंत ।।
भरी दोपहरिया,
ये हो जाते और ही जालिम से,
भर भर के अंजुलि से
आग के शोले हैं बरसाते फलक की मुंडेर से
जैसे,
निभा रहे हो मुझसे ,
तहखाने में बंद पड़ी
कोई पुरानी रंजिश
सांझ,
ढलते ढलते ये थोड़ा सा पड़ते जाते नर्म
जैसे, रोष इनका हो रहा हो
हौले हौले से थोड़ा कम ।।
सूरज की ये,
किरने तपाती हैं मुझे
निकलूं जो,बाहर
ये,मेरे तन को जलाती भी हैं ।।
सूरज की ये तपाती किरने............................
स्नेहा कृति
साहित्यकार, पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक
कानपुर उत्तर प्रदेश
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