मौन, भीतर का

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ब्लॉग प्रेषक: स्नेहा सिंह
पद/पेशा: Lecturer
प्रेषण दिनांक: 06-06-2022
उम्र: 29
पता: लखनऊ
मोबाइल नंबर: 9453749772

मौन, भीतर का

मौन

भीतर का

मैं! 

हो जाता हूं मौन 

ये शब्द भी हो जाते हैं मौन

फिर भी,ये दिल बड़ी खामोशी से बात करता हैं ।

जाने अंजाने,

बिन शब्द मुख से कहे बिना

आंखों की जरिए ,अपनी बात कहता हैं ।।


ये,

मौन,हैं बड़ा बेदर्दी

हैं बड़ा ज़ालिम 

हर वक्त मन को बेचैन सा और भीतर ही भीतर

छलनी सा करता हैं ।

पर

जब, दिल में ज़ख्म हो ढेर

फिर,ये जबां भी हो जाती हैं बेवजह ही मौन

मन के भीतर

जलती और सुलगती हैं अंगारे बन

ज्वाला सी हजार 

तब,

मौन का मंजर

खुद बा खुद बांध  लेता हैं समा अपना

और सन्नाटा सा पसर जाता हैं

चहु ओर ।।


स्नेहा कृति

साहित्यकार, पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक

कानपुर उत्तर प्रदेश

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