सगाई की रस्म
दिल से दिल का मिलना जरूरी हैं सोच और समझ के विस्तार, को पकड़कर ताउम्र चलना भी जरूरी हैं । अंगूठी का आदान प्रदान कर हम सब बांधते हैं,गांठ दिल के रिश्तों की । पर,दिल से दिल का एक रंग में रंगना भी उतना ही जरूरी हैं ।। सगाई गर, करनी हैं तो मन
Read Moreमासिक धर्म और उससे जुड़ी विडंबनाए
।। मासिक धर्म और उससे जुड़ी विडंबनाएं ।। तेरह,चौदह की वो, लडप्पन की उम्र और उस पर बोझ, छोटे से मन पर मासिक धर्म का । वो, डरती हैं, सहमती हैं बतलाने में पहली दफा,जब घटता हैं ये सारा प्रसंग । घर वाले से कैसे कहूं पल पल हैं ये सोचती, बाहर कैस
Read Moreमैं! कोई बदलते मौसम की घटा नही
मैं! कोई मौसम नही जो वक्त बेवक्त बदल जाऊं । स्थिर हूं मैं धरा की धीरज की तरह, टिका हूं मैं अंबर के सीने की विशालता की तरह ।। घाटा मुनाफा देख इंसान की फितरत हैं बदलती मैं! कोई गिरगिट नही जो, ईमान का सौदा कर, रंग बेमानी के भर दिल को इसके
Read Moreमेरी,अनकही सी एक उलझन
दुनियां, जहान से बेखबर फिर से,हो चला खुद की ही हस्ती में आज से थोड़ा, मशरूफ सा मैं । हो चला, थोड़ा बेखबर, थोड़ा हर बात से अंजान सा, मैं! बहुत भीड़ थी भरे पूरे ज़माने में मगर, भीतर ही भीतर,तन्हा था मैं! शिकायत थी औरों से बहोत पर उफ्फ! त..
Read Moreसोशल मीडिया से उदधृत आयुर्वेदिक जड़ीबूटी का जानकारी
आज हम आपको ऐसे पौधे के बारे में बताएँगे जिसका तना, पत्ती, बीज, फूल, और जड़ पौधे का हर हिस्सा औषधि है, इस पौधे को अपामार्ग या चिरचिटा (Chaff Tree), लटजीरा कहते है। अपामार्ग या चिरचिटा (Chaff Tree) का पौधा भारत के सभी सूखे क्षेत्रों में उत्पन्न होता है यह..
Read Moreलेखिका भारती पवॉर जी का जन्म परिचय
पिता - श्री रामबीर सिंह माता - श्रीमति गीता देवी जन्म - उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के शबगा गॉव मे एक साधारण किसान परिवार मे हुआ| शिक्षा - सीएचएस (CHS) हायर सेकेन्ड्री स्कूल आदर्श नंगला तथा जनता वैदिक कॉलिज से स्नातक व परास्नातक की परीक्षा पास की| स...
Read Moreढाल बना धर्म हैं।
धर्म की आड़ मर कैसे देश की जनता को बहकाया जाता हैं और एक कशमकश पैदा कर की ऐसी स्थिति निर्मित की जाती हैं। राजनीति के चेहरे पर ढाल बना धर्म हैं जो जानते नहीं धर्म को कहते उसे धर्म हैं। धर्म, धर्म की कुछ बाते बनाकर देश मे धर्म की आड़ से रखते राजनीति को...
Read Moreहाइकु -भाई
मैं भी तो आपकी तरह ही हाड़ माँस की ही बनी हूँ, मुझे भी मेरी माँ ने जन्मा प्रसव पीड़ा भी झेली थी, मगर मुझे पाकर भी खुश होने के बजाय मुँह मोड़ ली थी। पिता मायूस थे किंकर्तव्यविमूढ़ से हुए, समाज के डर से गैरों की गोद जाने से मुझे रोकने की हिम्मत न जुटा सके दूर..
Read Moreदिल दिमाग़ से मुख्तलिफ
हमने देखा है दिल को ठोकरें खाते हुये, क्योंकि दिल ज़रा दिमाग़ से मुख्तलिफ होता है। दिमाग सोंच समझ कर कदम बढ़ाता है, पर दिल तो किसी का एक नहीं सुनता। और अगर इश्क़ हो जाये फिर तो पूछो ही मत, ख्वाबों के पीछे दिल पागल सा फिरता है। कभी-कभी इश्क़ में लोग दिल की
Read Moreखेतो में पाया जाने वाला खरपतवार बना कीमती औषधि
मैं ननिहाल के ग्राम रसूलपुर जा रहा था तभी रास्ते में पड़ने वाले एक ग्राम के रोड पर कुछ लाल घाँस पड़े दिखा। वह घाँस जो रवि के सीजन में खेतों में फसलों के साथ यत्र-तत्र-सर्वत्र खर पतवार के रूप में पाया जाता है जिसे स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है तथा यह भारी..
Read Moreलेखक जयप्रकाश सूर्य वंशी जी का जीवन परिचय
अभिरुचि_ साहित्य, सामाजिक कार्य, धार्मिक कार्य।योग प्रशिक्षक प्रचार प्रसार में योगदान लेखन कार्य समाचार पत्र में रचनाएं प्रकाशित करना। सेवाकाल_ मध्य रेलवे नागपुर से कार्य अधिक्षक पद से सेवानिवृत्त पुरस्कार प्रशस्ति पत्र स्मृति चिन्ह अनेक प्राप्त। ...
Read Moreलेखिका माला सिंह जी का जीवन परिचय
(विज्ञान शिक्षिका) बे. शिक्षा विभाग जनपद - मेरठ उत्तर प्रदेश ब्लॉक गाइड कैप्टन, सरधना मेरठ उत्तर प्रदेश स्टेट मास्टर ट्रेनर, डिस्ट्रिक्ट रिसोर्स पर्सन ए. आर. पी.(अकादमिक रिसोर्स पर्सन समाज सेविका ओजस्वी कवयित्री फोन नंबर 7060227360 Email id
Read Moreवर्षा आई रे ...।।
छा गई चहुंओर घटाएं घिर गई काले बादलों से दिशाएं चमकती बादलों की ओट से बिजली संदेश लाई है । मिलजुल गाओ मल्हार कि वर्षा आई है । बादलों से निकलकर गिर रही बूंदें धरा पर पायलों की सी खनकती आवाज कर रही छम-छम बुझा प्यास धरा की, खुशियां लाई है। मि..
Read Moreआदिवासी स्वाभिमान का प्रतीक : राजा मेदिनी राय
पलामू के चेरो राजवंशोत्पन्न महाराज मेदिनी राय का नाम सर्वाधिक पराक्रमी, प्रजावत्सल,न्यायकारी तथा लोकप्रिय राजा के रूप में आदर के साथ लिया जाता है।12वीं शताब्दी में जपला (पलामू) के प्रतापी खरवार शासक प्रताप धवल देव के बाद मेदिनी राय को पलामू का सर्वाधिक...
Read Moreसम्राट पृथ्वी राज चौहान विषय अंतर्गत कविता
मैं दिल्ली का सिंहासन हूँ, मुझ पर वीरों ने राज किया उन वीरों में एक सिंह था, पृथ्वी जिनका नाम हुआ I शौर्य वीरता अद्भुत जिनकी तीर तलवार क्षत्रिय निशानी पृथ्वी रासो लिखी चन्द्र ने संयोगिता की प्रेम कहानी I गौरी था बर्बरीक आक्रान्ता सोलह
Read Moreसनातन संस्कृति
समय के साथ हम भी कितने सयाने हो गए हैं, वेद पुराण गीता उपनिषद घोलकर हम पी गए हैं। भूल गए संस्कृति सभ्यता भूल गए सब लोकाचार भूल पुरातनपंथी धारा भूल गए सब शिष्टाचार। भूल गए सभ्यता संस्कृति भूल गए करना सम्मान, भूल रहे माँ बाप को हम तनिक नहीं हो रहा भान।....
Read Moreयादों के झरोखों से झांकती वो, कुल्हड़ वाली चाय
थोड़ा खुमार जगाए थोड़ा सा नशे में चूर ये, चाय की प्याली मन को खुद के नशे में मुझे सराबोर सा करे ।। अदरक की थोड़ी कड़वाहट, घुलकर मन को जोश से भरे । शक्कर की मिठास से उदास ज़िंदगी रंगीन और पत्ती चाय की खुद के नशे में मुझे मदहोश सा करे ।।...
Read Moreबहते अश्रु,तस्वीर सी मन की
बिन शोर,बिन किए हलचल बड़े ही आराम से आंखों की कोरो से अक्सर, छलक या बह जाया करते हैं ये आंसू खुशी या गम की तस्वीर बनके । अथाह, सैलाब जब उमड़ता हैं दर्द की ज़ुबान बन बेचैनियाँ,घर करे मन के घर आंगन सब्र का भरम भी, बांध तोड़ने लगे अपना फिर,ये बे
Read Moreमाँ की ममता
वात्सल्य प्रेम की अमूल्य निधि है इसका कोई तोल नहीं है । प्रश्न सदा यह रहा अनुत्तरित मां की ममता का मोल नहीं है ।। जीवन देती जन्मदायिनी स्नेह सदा न्योछावर करती । मां अपने बच्चों की खातिर नवजीवन है धारण करती ।। वक्षस्थल का दूध पिलाकर लालन-पालन
Read Moreलेखिका रंजना लता जी का जीवन परिचय
एक ही आसमान के तले बजती है घंटियां मंदिरों में मस्जिदों में सब हैं शीश नवाए होती हैं प्रार्थनाएं गिरजाघर में सजते हैं गुरुद्वारों में दरबार नए कोयल की कूक बांधती हैं समां उड़ते हैं पंछी पंख फैलाए बारिश की बूंदों से भींगता मन दिल में जगाए प्रीत नए।
Read Moreबुढ़ापे केववो लड़खड़ाते कदम
वो लड़खड़ाते कदम ।। उम्रदराज, कि कगार में खड़ा हो गया हूं मैं, जैसे,हो आजकल की ही बात । लेकर,जो लाठी औरों को डराने वास्ते उठाता था मैं! आज,उसी को लेकर चलने लगा हूं मैं ।। घर के अपने और बाहर के लोग समझने लगे हैं मुझे लाचार सा जैसे,उनके ही सहारे हो
Read Moreलेखक ए.एन. रमेशजी गुब्बि जी का जीवन परिचय
कर्णाटक प्रांत के तुमकूर जिला, गुब्बी में जन्मे श्री ए.एन. रमेशजी, पेशे में भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम में काम करते हैं। वे प्रवृत्ति में साहित्यकार हैं। श्रीरमेशजी - राष्ट्रस्तर के कवि हैं। वे कविता, कहानी, नाटक, चित्रकथा जैसे विभिन्न प्रकारों..
Read More






.jpg)

.png)




.jpg)


.jpeg)
.jpg)






