दिल दिमाग़ से मुख्तलिफ

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ब्लॉग प्रेषक: शेख रहमत अली
पद/पेशा: साहित्यकार
प्रेषण दिनांक: 24-05-2022
उम्र: 29
पता: बस्ती उ. प्र. (भारत)
मोबाइल नंबर: 7317035246

दिल दिमाग़ से मुख्तलिफ

दिल दिमाग़ से मुख्तलिफ

हमने देखा है दिल को ठोकरें खाते हुये,
क्योंकि दिल ज़रा दिमाग़ से मुख्तलिफ होता है।
दिमाग सोंच समझ कर कदम बढ़ाता है,
पर दिल तो किसी का एक नहीं सुनता।
और अगर इश्क़ हो जाये फिर तो पूछो ही मत,
ख्वाबों के पीछे दिल पागल सा फिरता है।
कभी-कभी इश्क़ में लोग दिल की सुनते हैं,
उन्हें बर्बादी के सिवा कुछ हंसिल नहीं होता।
दिमाग घाटे या मुनाफे पे हजार दफा,
बिना बिचार किये आगे नहीं बढ़ सकता।
क्योंकि उसे तो रिश्ते-नाते घर-गृहस्ती,
देश दुनियाँ के बारे में जो सोंचनी होती है।
दिल को घाटे या मुनाफे से क्या लेना देना,
वह तो ख़ुद का भी नहीं सुनता।
जिस तरफ़ दिल ने रुख कर लिया,
फिर चाहे जमीं पलटे या आसमान गिरे,
दिल पीछे मुड़कर नहीं देखता।
ख़ुद पर संयम रखना कोई दिमाग से पूछे,
जो हर परिस्थिति से गुजर सकता है।
इंसान दिमाग़ की सुने तो शायद?,,,
वो अपनी ज़िंदगी जी सकता है।
सिर्फ दिल के सुनने वाले की ज़िंदगी,
जहन्नुम से भी बदतर हो जाती है ।

शेख रहमत अली बस्तवी
बस्ती उ, प्र, (भारत)
मौलिक स्वरचित

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