| ब्लॉग प्रेषक: | सुनील कुमार रोहतास |
| पद/पेशा: | कवि लेखक सह पत्रकार |
| प्रेषण दिनांक: | 29-05-2022 |
| उम्र: | 40 वर्ष |
| पता: | ग्राम किशुनपुरा, पोस्ट सरांव, थाना नटवार, जिला रोहतास, राज्य बिहार। |
| मोबाइल नंबर: | 9470605875 |
परिश्रम एवं भाग्य
परिश्रम और भाग्य..
एक पान वाला था। जब भी पान खाने जाओ ऐसा लगता कि वह हमारा ही रास्ता देख रहा हो। हर विषय पर बात करने में उसे बड़ा मज़ा आता। कई बार उसे कहा की भाई देर हो जाती है जल्दी पान लगा दिया करो पर उसकी बात ख़त्म ही नही होती।
एक दिन अचानक कर्म और भाग्य पर बात शुरू हो गई। तक़दीर और तदबीर की बात सुन मैनें सोचा कि चलो आज उसकी फ़िलासफ़ी देख ही लेते हैं। मैंने एक सवाल उछाल दिया।
मेरा सवाल था कि आदमी मेहनत से आगे बढ़ता है या भाग्य से?
और उसके जवाब से मेरे दिमाग़ के सारे जाले ही साफ़ हो गए।
कहने लगा,आपका किसी बैंक में लाकर तो होगा?
उसकी चाभियाँ ही इस सवाल का जवाब है। हर लाकर की दो चाभियाँ होती हैं।
एक आप के पास होती है और एक मैनेजर के पास।
आप के पास जो चाभी है वह है परिश्रम और मैनेजर के पास वाली भाग्य।
जब तक दोनों नहीं लगतीं ताला नही खुल सकता।
आप कर्मयोगी पुरुष हैं ओर मैनेजर भगवान।
आप को अपनी चाभी भी लगाते रहना चाहिये।पता नहीं ऊपर वाला कब अपनी चाभी लगा दे।कहीं ऐसा न हो की भगवान अपनी भाग्यवाली चाभी लगा रहा हो और हम परिश्रम वाली चाभी न लगा पायें और ताला खुलने से रह जाये..!!
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