दिल के आईने में
नैन किसी से जब लड़ जाएं चैन ह्रदय फिर कहाँ पाए छत पर बैठ बस राह ताकते हैं दिल के आईने में बस वही झांकते है। हवाएं सर सर लहरायें फूलों में बसंत छा जाए चुनरी धानी सरक सरक जाए दुआओं में हम बस तुम्हें मांगते है दिल के आईने में बस......। दुनिया से...
Read Moreस्वदेशी मिठाई लकठो की भूली बिसरी यादें
पिछले शताब्दी के वर्ष एवं 21 वीं सदी प्रारंभिक दशक तक स्वदेशी मिठाई लकठो की खूब धूम हुआ करता था। बाल मनुहार तथा बडें, बुजुर्गों के चित्त को भी यह मिठाई खूब भाता था। लकठो मिठाई का केंद्र बिहार होने के साथ-साथ यह देश के कई प्रान्तों में बड़ी सहजता एवं स...
Read More... कल की परछाईं!🗿
करदो आजाद मुझे,उन रूढ़ीवादी प्रपंचों से, मुझे नवीन विचारों की सोच में रहने दो.. तोड़ के उन प्राचीन धाराओं का आडंबर.. मुझे नवीन धाराओं की प्रवाह में बहने दो। धरोहर में मिली संस्कारों की पूंजी को.. विकास की इस प्रतिस्पर्धा में जी लेने दो, भारतीय...
Read More... अब मेरी उम्र हो गई है!🍁
उसने धीरे से हिलाया,और मेरी आंख खुल गई, नज़र सामने खड़ी मुस्का रही,पत्नी पे पड़ गई, हौले से वो बोली.."आपकी चाय ठंडी हो गई.!" "ओह..अच्छा"कह,चेतना जैसे सचेत हो गई! एक हाथ में ऐनक,दूजे में अख़बार लटक रहा था, अभी कुछ देर पहले ही तो,अख़बार पढ़ रहा था...
Read Moreक्योंकि शिक्षक भी कभी विद्यार्थी थे
मुझे प्रिंसिपल ने समझाया, देखिए इस विद्यालय के बच्चे बड़े बदमाश हैं, संभल कर रहना होगा। उदंडता की हद तक चले जाते हैं, कभी कभी बच के रहिएगा। मैने कहा आप मेरी फिक्र मत करो, अगर करना ही है तो उन सबों की करो। क्योंकि मैट्रिक के बाद पांच साल मैं उनसे ज्यादा शा
Read Moreदरवाजे से आते हैं, खिड़की से निकलते हैं
वैसे तो मेरा जन्म ही स्त्री उद्धार के लिए हुआ था, लेकिन उद्धार करने में कई बार मेरे शरीर का भी पुरजोर उद्धार किया नामाकुलों और नाकाम आशिकों ने मिल कर।
Read Moreबाल कहानी-वादा
आम के पेड़ पर एक चिड़िया अपने दो बच्चों के साथ रहती थी। बच्चे अभी काफी छोटे थे इसलिए चिड़िया जब दाने की तलाश में दूर जाती तो बच्चों को समझा-बुझाकर पेड़ पर ही रहने की सलाह देती थी, पर बच्चे बहुत शरारती थे। वे अभी उड़ना नहीं जानते थे, पर फुदक-फुदककर कूदते-उल...
Read Moreउल्लू, राष्ट्र और गधा
लेकिन एक परेशानी थी की उल्लू जी महाराज सिर्फ रात को ही देख पाते थे, दिन के उजाले में उन्हें कुछ दिखाई नहीं पड़ता था। वैसे भी जो उजाले को नही देख पाते वो अंधेरे में सब कुछ देख लेते हैं।
Read Moreझांसी की रानी..
बनारस में 1828 में,एक बच्ची का जन्म हुआ, मणिकर्णिका नाम था पर,मनु नाम प्रचलित हुआ। अति सुंदर,चंचल,चप्पल थी वो, गुण सब को लुभाते थे, इसी अदाके चलते लोग उसे, "छबीली"कह बुलाते थे। माता के देहांत के बाद, पापा ने उसे पाला था, संस्कार,युद्धकला,साहस के,स...
Read Moreतिरंगे में लिपटा आऊंगा..🇮🇳
रोको ना मुझको.. मुझे जाने दो मां, देखो...धरती मां पुकार रही है.. दुश्मन के...जुल्मों सितम से देखो, मां भारती कैसे...कराह रही है! वादा किया है ... रक्षा करने का.. उस कसम का..मान निभाना है, मार के दुश्मन...
Read Moreडॉक्टर साक्षात्कार ऍलोपैथ बनाम होम्योपैथ एवं आयुर्वेद
धरती पर डॉक्टर (चिकित्सक) भगवान का दूसरा रूप माना गया है जिनमें भगवान की ही तरह सूझ-बूझ, धीर-गंभीर, मंद मुस्कान, विनम्रता और आत्मविश्वास से रोगियों के साथ कुशल प्रेम स्नेह से सनी वार्ता जिससे आधा बीमारी यह विश्वास दिलाने से ही ठीक हो जाये कि रोग-व्याधि...
Read Moreहम सब बच्चे
मन चंचल, वाणी प्रियस्वादु, मनहर रूप, दिल के सच्चे हैं । आभा आलोकित मुखमंडल है, हम बच्चे सबसे अच्छे हैं ।। निश्छल, निर्मल पावन मन है, चंद्रलोक संसार हमारा । धवल चांदनी सा जीवन है, उज्ज्वल कान्तिमय नूर हमारा ।। छल पाखंड रहित मन मेरा, अधर पर है...
Read Moreआम के पेड़ो की व्यथा-कथा
पूरे भारत वर्ष के ग्रामीण अंचलों से लेकर शहरों तक आम के पेड़ देखने को मिल जाएंगे। जीवनोपयोगी, आध्यात्मिक, पर्यावरण, स्वास्थ्य एवं पोषण के दृष्टिकोण से आम के पेड़ बहुत ही महत्वपूर्ण है। साथ ही साथ आम को राष्ट्रीय फल होने का गौरव भी प्राप्त है। ग्रामीण इ...
Read Moreबाल कहानी-प्यारे चाचा
गोपाल स्कूल से जैसे ही घर आया, उसने देखा कि घर के पास साइकिल खड़ी है। साइकिल देखकर गोपाल समझ गया कि चाचा जी आये हैं। साइकिल देखकर गोपाल का मन ललचाया। गोपाल को साइकिल चलाना अच्छा लगता था, पर गोपाल साइकिल नहीं चला पाता था। चाचा की साइकिल देखकर गोपाल का म..
Read Moreमन की जीत - मन की हार
हार - जीत मन अंश जीवन का क्यों निराश करते मन को । लक्ष्य और आएंगे पथ में लो संकल्प, भूलो ग़म को ।। फूलों सा कोमल जीवन है पर कांटे भी हैं राहों में । निकल गया जो बचकर इससे खुशियां सिमटी बांहों में ।। बसंत ऋतु की सुखद प्रतिक्षा पतझड़ भी कर...
Read Moreछेड़ू सिंह छेड़ा उर्फ मजनू भाई
करतूत तो मेरे पिता जी की भी वही थी इसलिए एक कहावत है न की " बापे पूत परापत घोड़ा, कुछ नही तो थोड़ा थोड़ा" असर तो आना ही था। का छेड़ा भाई सुने की कल ही जेल से बाहर आए। देखो हर कोई जे जनम लेता है ऊ किसी खास मकसद से ही इस मृत्युलोक में अवतरित होता है, और...
Read Moreमंगरू - छान उजाड़ विशेषज्ञ
मंगरू कोई साधारण प्राणी नही है और इस दुनिया में अकेला भी नही है। हर गली, हर मोहल्ले, हर जिले, हर राज्य और हर देश में मंगरू अपने जगह पर व्याप्त है। मंगरू बड़ा ही मृदभाषी, सौम्य, सुशिल और कोमल हृदय का स्वामी होता है। मंगरू के अंदर चिपकू नामक पदार्थ भरा होता
Read Moreजो बीत गया है वो पल न आएगा
हवा हूं हवा मैं बसंती हवा हूं" कविता जो केदारनाथ अग्रवाल द्वारा रचित थी वो उस समय हम सबों की प्रिय कविता हुआ करती थी, रात को लैंप या लालटेन की रोशनी में जोर जोर से इस कविता का पाठ करने में जो मजा आता था, शायद ही आज कल के बच्चे उस मजा को आत्मसात कर पाएंगे।
Read Moreबाल कहानी- गणतंत्र दिवस
आज गणतंत्र दिवस है। रेशमी और नानी आपस में बातें कर रही हैं। रेशमी- "आज गणतंत्र दिवस है। नानी मुझे तैयार कर दो, आज मुझे विद्यालय में लड्डू मिलेगा।" नानी- "ठीक है, आती हूँ, बिटिया! इतना शोर क्यों मचा रही हो?" रेशमी-"बहुत देर हो गयी है, नानी! ज...
Read Moreमीठे पानी का कुआँ
तेजगढ़ राज्य दुखों की चपेट में आ गया, लोग पानी के लिये तरसने लगे. तेजगढ़ के राजा को अपनी प्रजा की कोई चिंता न थीं.राजा अपने में ही मस्त रहते थे , ज़्यादातर समय शिकार खेलने में ही व्यस्त रहता था.प्रजा पानी के लिए तरस रही थी.राज्य के लोग बड़े ही परेशान...
Read Moreसाहित्यकार/कलाकार पेंशन योजना और कल्याण कोष की जानकारी
इस स्कीम को ‘कलाकार पेंशन स्कीम और कल्याण निधि’ के रूप में जाना जाएगा। इस स्कीम के तहत निम्नलिखित दो प्रकार के अनुरोधों पर विचार किया जाएगा : वर्ष 1961 की स्कीम के अधीन विद्यमान लाभार्थी; और लेखकों, कलाकारों आदि के नए मामले, जो उक्त स्कीम के अधीन अनु...
Read Moreबाल कहानी-वियोग की पीड़ा
सोनू और मोनू आपस में बात करते हैं। सोनू-"आज स्कूल में बहुत मजा आया।" मोनू-"हाँ! मुझे भी आज बहुत अच्छा लगा। मेरा सब काम भी पूरा हो गया।बस! घर पहुँचकर थोड़ा अभ्यास करना है।" सोनू-"ये पेड़ पर चीं-चीं की आवाज़ कैसी आ रही है?" मोनू-"चलो! पास जाकर देखते...
Read Moreराष्ट्रीय युवा पुरस्कार-2020-2021 हेतु आवेदन
पुरस्कार का उद्देश्य युवा व्यक्तियों को राष्ट्रीय विकास या समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करना और उनमें समुदाय के प्रति जिम्मेदारी की भावना विकसित करना और इस प्रकार अच्छे नागरिकों के रूप में अपनी व्यक्तिगत क्षमता में...
Read More❤️ चाहतों की डोली..❤️
मैंने सजाए थे जो,अरमान दुल्हन की तरह, वो देखो जा रही है,मेरी चाहतों की डोली, खाए कसमें-वादे,प्यार वफ़ा के मुझ संग, अब बांह पकड़..किसी और की हो ली! ख़ता उसकी नहीं..वो तो नादान है, शायद मेरी वफाएं ही उसके काबिल ना थीं, नाज़ था मुझे,अपनी मोहब्बत पे...
Read Moreप्रकृति का पर्व :छठ महापर्व
छठ चार दिन का पर्व होता है जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष चतुर्थी से आरम्भ हो कर सप्तमी तक चलती है | छठ मात्र एक पर्व नहीं है | इसमें भावना है, आस्था है, विश्वास है, श्रद्धा है | इस महापर्व में व्रती 48 घंटे निर्जला उपवास करते हैं | छठ पर्व...
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