| ब्लॉग प्रेषक: | राजीव भारद्वाज |
| पद/पेशा: | व्यंगकार |
| प्रेषण दिनांक: | 08-11-2022 |
| उम्र: | 35 |
| पता: | गढ़वा, झारखण्ड |
| मोबाइल नंबर: | 9006726655 |
मंगरू - छान उजाड़ विशेषज्ञ
मंगरू - छान उजाड़ विशेषज्ञ।
"ए हो मंगरू अब का करब, अबकी केकर छान उजड़ब" वाला मंगरू।
मंगरू कोई साधारण प्राणी नही है और इस दुनिया में अकेला भी नही है। हर गली, हर मोहल्ले, हर जिले, हर राज्य और हर देश में मंगरू अपने जगह पर व्याप्त है। मंगरू बड़ा ही मृदभाषी, सौम्य, सुशिल और कोमल हृदय का स्वामी होता है। मंगरू के अंदर चिपकू नामक पदार्थ भरा होता है जो समयानुकूल कहीं भी चिपक सकता है।
मंगरू जैसे लोग जब जन्म लेते हैं तो नर्स को भी दबी ज़बान से बोलते होंगे, धत निकाल दिया।
मंगरू किसी भी कार्यालय में बॉस का भरोसेमंद सेवक होता है, बॉस के मुंह से पा..... निकलते ही पान लाकर अपनी सेवा का उत्कृष्टता दिखाता है भले ही बॉस पानी कहना चाह रहे हों।
मंगरू कलयुग का संजय भी होता है, उसकी दिव्य दृष्टि बॉस के समूचे क्रियाकलापों पर होता है। जब भी कोई धृतराष्ट्र उसे मिलता है तो वो बॉस के महाभारत का पूरा वृतांत उन्हें सुनाकर अपनी श्रेष्ठता को साबित करता है। लेकिन बॉस के सामने अनेक मंगरू होते हैं कभी कभी और कई प्रकार के केस में तो बॉस मंगरू से भी बड़े मंगरू साबित हुए हैं।
मंगरू का पसंदीदा पेय चाय होता है, चाय पीते पीते वो कार्ययोजना बना लेता है की किसका छान उजाड़ना है।
आज कल लोकल नेता, प्रसिद्ध जनप्रतिनिधि, मंत्री आदि के पास मंगरुओं की भीड़ मधुमक्खी की भांति मौजूद होती है।
सब मंगरू अलग अलग अपने नेता जी के पास उनके कसीदे में प्रतिदिन चालीसा का निर्माण करते हैं और बड़े भावविभोर होकर अपने श्रीमुख से उवाचते हैं। जब वो चालीसा का पठन कर रहे होते हैं तो नेता जी के कोमल हृदय में घर भी बसा रहे होते हैं।
और यहीं से प्रारंभ होता है उनकी विशेषज्ञता छान उजाड़ने वाली। जानते हैं नेता जी! आप जो काम किए न इस से जनता श्री राम से तुलना करने लगा आपका। आप राम राज्य ला दिए कलयुग में। नेता जी एक बार सोचे " साला हम अभी तो कुछ किए ही नही लेकिन मंगरू द्वारा प्रस्तुति इतनी भावनात्मक थी और नेता जी कान के बड़े कच्चे तथा गुस्सैल स्वभाव के थे सो उन्हे अच्छा लगा। मंगरू को मिठाई खिलाइए, भुखल होंगे।
मंगरू सत्ता पक्ष के पास भी हैं और विपक्ष के पास भी। सत्ता पक्ष वाले मंगरू दिन पर दिन अपने नेता के वोट में बढ़ोतरी की बात हमेशा करते पाए गए हैं, भले ही नेता जी का अगले चुनाव में जमानत जब्त हो जाए लेकिन मंगरू के जमानत में खजाने इसके इसी गुण के आधार पर भरते जाता है।
विपक्ष का मंगरू बड़ा शानदार होता है, इनमे मच्छर वाली विशेषज्ञता भी होती है ये अपने नेता का दौलत उसी प्रकार धीरे धीरे चूसते हैं जिस प्रकार मच्छर हम सबों का।
अब आइए असली मंगरू पर - ये वो हैं जो तीन महीना सत्ता पक्ष के पास और तीन महीना विपक्ष के पास रहते हैं, ये घुमंतू प्रवृति के होते हैं और एक जगह इनका मन लग ही नहीं सकता। ये विचारधारा से परे, धर्म से परे, सिद्धांत से परे होते हैं। इनका धर्म सिर्फ और सिर्फ रुपया होता है। ये किसी के लिए कुछ नही करते बस छान उजाड़ना और नामोनिशान मिटा देना ही इनका खासियत होता है।
तो आइए इस मंदी के दौर में मंगरू बनते हैं और शुरू करते हैं छान उजाड़ना - चुनाव तक भले ही नेता जी का घर द्वारा बिक जाए, हम सबों का बन जायेगा।
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