| ब्लॉग प्रेषक: | राजीव भारद्वाज |
| पद/पेशा: | व्यंगकार |
| प्रेषण दिनांक: | 22-11-2022 |
| उम्र: | 35 |
| पता: | गढ़वा, झारखण्ड |
| मोबाइल नंबर: | 9006726655 |
उल्लू, राष्ट्र और गधा
उल्लू, राष्ट्र और गधा।
गधों की एक टोली दिन भर माल ढुलाई से निवृत होकर आपस में चाय दुकान पर बैठ कर ढेंचू ढेंचू करने में व्यस्त था। ठीक उसी समय कहीं से एक उल्लू उड़ता हुआ आया, उल्लू लक्ष्मी माता का सवारी है, और लक्ष्मी जीवन में कितनी महत्वपूर्ण हैं, हम सभी जानते हैं। उल्लू को देखते ही सर्वप्रथम सभी गधे श्रद्धा से नतमस्तक हुए। मस्ताने नाम के एक गधे ने लक्ष्मी वाहन उल्लू के कसीदे में कुछ शब्द जोड़े " इस महान ग्रह के महानतम धन की देवी लक्ष्मी के वाहन पक्षियों में सर्वश्रेष्ठ, जिनके विचार मानसरोवर के झील के समान गहरे, जिनका कद एवरेस्ट की चोटी जितना लंबा श्री श्री उल्लू जी महाराज का हम सभी गधे हृदय की गहराइयों से स्वागत करते हैं। आपमें ओज है, तेज है, सबलता है, निर्भीकता है, आप बलवान हैं, ठीक हुआ जो आप इंसान नही उल्लू जी महाराज हैं।
देखिए हम सभी गधों को दिन की उजाले में भी अपने देश का विकास नहीं दिखता और एक आप हैं अंधेरी रात में भी सब कुछ देख लेते हैं। आप वो भी देख लेते हैं जो उजाले में भी नही दिखता, कहीं नहीं दिखता। आप अंतर्मन से देखते हैं, आपकी बंद आंखे भी बहुत कुछ देखती हैं। आप जो देखते हैं हमे दिखाते हैं। हम गधे उन भाग्यशाली में हैं जो आपके सानिध्य में जीवन पाया। अब तो ऐसा लगता है की अगर आप न होते तो हम कौन से उल्लू की नजर से दुनिया देखते।
आपसे अनुरोध है की आप हम सबों के नेतृत्वकर्ता बने, आप मंत्री बने, मुख्यमंत्री बने, प्रधानमंत्री बने। लेकिन कुछ बने, ताकि एक ही झटके में हम सभी गधों का कल्याण हो सके।
उल्लुधिराज जी महाराज को गधे की बात पसंद आई और उन्होंने प्रतिनिधि बनना स्वीकार किया। चुकी अब जनता बदलाव चाहती थी इसलिए अब इंसानों की जगह उल्लू ने ले रखी।
महाराज जी ने सबसे पहले पग यात्रा की घोषणा की। फिर क्या था - हजारों गधे सुबह सुबह अपने पूंछ में उल्लू छाप झंडे को लेकर निकल पड़े सड़क पर। " जहां उल्लू वहां समाधान" "हर हर उल्लू घर घर घर उल्लू, "हम उल्लू हैं रात में देख सकते हैं" जैसे नारों से पूरा वातावरण शुद्ध हो रहा था।
लेकिन एक परेशानी थी की उल्लू जी महाराज सिर्फ रात को ही देख पाते थे, दिन के उजाले में उन्हें कुछ दिखाई नहीं पड़ता था। वैसे भी जो उजाले को नही देख पाते वो अंधेरे में सब कुछ देख लेते हैं।
उल्लू जी महाराज आगे आगे और सारे गधे उनके पीछे पीछे। दिखाई नही देने के कारण उल्लू जी महाराज चार फीट के गड्ढे में फिसल कर गिर पड़े, फिर किसी तरह उन्हें निकाला गया। अब सभी गधे उस गड्ढे में जान बूझ कर गिरने लगे, गिरते क्यों नही उन्हे अपने नेता जी के पद चिन्ह पर जो चलना था। कइयों के पैर टूटे, गंभीर चोट आई। उधर उल्लू जी महाराज ये सब देख कर बोलें ' घबराइए मत जिनका पैर टूटा उनको परमवीर चक्र, महावीर चक्र और शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाएगा और अगर इस पद यात्रा में कोई शहीद हो जाता है तो इस स्थान पर शहीद स्मारक बना कर यहां प्रतिवर्ष मेला लगाया जाएगा ताकि लोग समझे की हमारी उल्लू की सरकार जनता के कितने करीब है।
हमारी सरकार गड्ढों में गिर कर मरे हुए लोगों को प्रमाणपत्र देगी, नुक्कड़ और चौराहों पर उनकी फोटो लगेगी। ऐसे ही तो देश बनता है, जब तक कोई मरेगा नहीं देश कैसे बनेगा। सिर्फ मुझ उल्लू पर विश्वास करो क्योंकि विश्वास फलदाई है, सोच विचार मत करो, सोच विचार करने लगोगे तो देश मर जाएगा। ये काम हम उल्लुओं का हैं, और यही एक काम हम उल्लू बड़े चाव से करते हैं।
खैर, चलते चलते आखिर राज पथ आ ही गया। लेकिन इस पथ पर उल्लू जी महाराज और उनके मंत्रिमंडल के कुछ और उल्लू के साथ चंद गधे ही इस राजपथ पर पहुंचे थे। तभी सामने से एक एक ट्रक करीब चालीस पचास की रफ्तार से आता दिखाई दिया। लेकिन उल्लू जी महाराज को तो दिखता ही नही था, सो वो वही खड़ा रहा। इतने पर एक गधे ने कहा की देखो ऐसी हो निर्भीकता वाले की जरूरत थी। ये हटने वाले नही हैं । तभी ट्रक आई और उल्लुओं को रौंदते हुए निकल गई, उधर गधे जिन्हे दिन में दिखता था वो किनारे खड़े होने की वजह से बच गए। एक गधे ने ट्रक के पीछे लिखा पढ़ा - "समय, चक्र का गणना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है"।
संकलन तथा संदर्भ - दादाजी की स्मृति।
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