काव्य
यादों के झरोखों से झांकती वो, कुल्हड़ वाली चाय
थोड़ा खुमार जगाए थोड़ा सा नशे में चूर ये, चाय की प्याली मन को खुद के नशे में मुझे सराबोर सा करे ।। अदरक की थोड़ी कड़वाहट, घुलकर मन को जोश से भरे । शक्कर की मिठास से उदास ज़िंदगी रंगीन और पत्ती चाय की खुद के नशे में मुझे मदहोश सा करे ।।...
Read Moreबहते अश्रु,तस्वीर सी मन की
बिन शोर,बिन किए हलचल बड़े ही आराम से आंखों की कोरो से अक्सर, छलक या बह जाया करते हैं ये आंसू खुशी या गम की तस्वीर बनके । अथाह, सैलाब जब उमड़ता हैं दर्द की ज़ुबान बन बेचैनियाँ,घर करे मन के घर आंगन सब्र का भरम भी, बांध तोड़ने लगे अपना फिर,ये बे
Read Moreमाँ की ममता
वात्सल्य प्रेम की अमूल्य निधि है इसका कोई तोल नहीं है । प्रश्न सदा यह रहा अनुत्तरित मां की ममता का मोल नहीं है ।। जीवन देती जन्मदायिनी स्नेह सदा न्योछावर करती । मां अपने बच्चों की खातिर नवजीवन है धारण करती ।। वक्षस्थल का दूध पिलाकर लालन-पालन
Read Moreलेखिका रंजना लता जी का जीवन परिचय
एक ही आसमान के तले बजती है घंटियां मंदिरों में मस्जिदों में सब हैं शीश नवाए होती हैं प्रार्थनाएं गिरजाघर में सजते हैं गुरुद्वारों में दरबार नए कोयल की कूक बांधती हैं समां उड़ते हैं पंछी पंख फैलाए बारिश की बूंदों से भींगता मन दिल में जगाए प्रीत नए।
Read Moreहमारे प्यारे सूरज दादा
पहली किरण,सूरज की जैसे तेज को अपने करती हो ज़िगर के आर पार ।। तपती धरती,जलते रेगिस्तान बयार भी जैसे,हो बेताब झुलसाने को अपने झोके की तपिश से हर इंसान ।। सूरज दादा के गुस्से का कहर,बरपा रहा हर जगह,हर मंजर गर्मी की मार ।।
Read Moreअधूरी ख्वाहिश
मेरे बाजू की गली में थी एक चांद जो मुझे अपना चांद समझती थी बादलों से ढकी थी उसकी चाहत मैं उसे वो मुझे बहुत प्यार करती थी मिलना तो किस्मत में पता ही नही पर दिलो को धड़कना आता था जब देख मुस्कुराती थी मुझे बस दिन भर उसका चेहरा याद आता था यू ही...
Read Moreभूली बिसरी यादें -2
तरुवर की शीतल छाया में कभी हमारा गांव बसा था । आम नीम महुआ के नीचे घर आंगन परिवार बसा था ।। जहाँ खड़ी थी कभी सुनहरे खुशियों की दिव्य इमारत । नैतिक मूल्यों, संस्कार की होती थी जहां हिफाजत ।। बड़े बुजुर्गो की बातों का शिलापट्ट सा मान सदा था
Read Moreमहात्मा बुद्ध
सत्य, अहिंसा, भाईचारा बंधुत्व, प्रेम संदेश दिया । ज्ञान अलौकिक दिया विश्व को पंचशील सिद्धांत दिया ।। चोरी, हिंसा, व्यभिचार झूठ, नशा का त्याग करो । जीव-जगत परिवार सदृश है विमल हृदय सम्मान करो ।। सुविचारों से संपूर्ण धरा को बुद्धि, विवेक, सम्मान
Read Moreसब्र कहां है जरा सा
सब्र,कहां हैं जरा सा कहा रहता हैं धैर्य जब होता है,दिल बेकल सा । कहां,रुकता हैं एक जगह मन जब,भीतर का धीरज हो जाए अधीर सा ।। प्रेम का ही उदाहरण लीजिए, दीदार हो या हो इंतजार सब्र का बांध ना बांधे बंधता हैं ।। ये, सब्र भी बड़े बड़े कारनामे...
Read Moreतुम मेरी मंजिल
हो मेरी मंजिल तुम्हीं तुमसे बना ये आशियाना। हर गमों को छांव जो दे रूप तेरा ओ सलोना।। हो मेरी मंजिल तुम्हीं, तुमसे बना ये आशियाना।। हर कदम पर साथ तेरा कर्मपथ की हमसफ़र हो । नित्य प्रति उल्लास भर दे भोर सा उजला पहर हो ।। तिमिर का जो नाश कर...
Read Moreभूली बिसरी यादें....
नहीं आती कच्चे मकानों के सोंधी मिट्टी की महक। अब नहीं आता कोई कागा बैठने मुंडेर पर। जब से तन गई हैं ऊंची मिनारे जब से लग गए हैं द्वारों पर ओहदों के पट्ट खिंच गई है बिखराव की लकीरें । ज्यों पड़ गई हों मकानों में दरारें ।। भूल गए
Read Moreमेरा किरदार महका कस्तूरी जैसा
।। दूर दूर, तक महका महका सा मेरा किरदार हो मृग की कस्तूरी जैसा ।। ख्वाहिश मेरी,चाहत मेरी मेरे नाम की चर्चा भीं हो हर गली,हर शहर ।। व्यक्तित्व भी हो मेरा सबसे अलग,सबसे जुदा भीड़ में भी दमकू कोहिनूर की तरह ।। मन हो पवित्र इतना जैसे, उजला...
Read Moreबंजारा बन ढूंढता मैं मन की खुशी
।। बंजारा बन ढूंढा फिरता खुशी मन की ।। मैं! मुकम्मल होकर भी ना मुकम्मल सा इस, जहान को भी ना रास आई मेरी खुशी ।। सुकून,जो ढूंढा जरा सा ज़िंदगी वास्ते! हज़ार की हाथ में मेरे अरमानों को कत्ल करने वास्ते,खंजर सा निकला ।। दुश्मनी सी थी हर किसी को
Read Moreलहरों में समाया एक उफान सा, क्यूं
।। लहरों में समाया उफान सा ,क्यूं ।। आज,बेवजह ही निकला सागर किनारे की सैर को सहसा,मुलाकात हो गई वेग के साथ आगे बढ़ती हुई लहरों से । बड़ी, बेचैन सी लगी जैसे,उठती लहरों के उफान में भीतर ही भीतर मची हो एक खलबली ।। एक पीर का समंदर था । हर..
Read Moreमैं भोलाभाला मरुवासी
मरु प्रदेश से बेइंतहा मोहब्बत। जन्मभूमि के प्रति सभी को समर्पित होना चाहिए मरुभूमि का मैं कृषक मिट्टी का कण कण करता मुझसे कानाफूसी कब बारिश की बुंदे गिरे कब मरुभूमि का कण कण खिले इसका हूं मैं अभिलाषी । मैं भोलाभाला मरुवासी मरुभूमि का...
Read Moreमेरी कहानी
जिसे पाने के लिए सोचा कभी उसे पाया नहीं मंजिल की राह में हमसफ़र कभी आया नहीं बस खुद में ही खोया रहता हूं। कभी रो देता हूँ कभी मैं हंसता हूं कभी खुशी पा लेता हूं गमगीन कभी हो जाता हूं बस खुद में ही खोया रहता हूं। अपनी मजबूरी को
Read Moreग्राम्य जीवन
बदल गए सुर-ताल गांव के बदल गई परिपाटी। धरती बदली अंबर बदला बदल गई यह माटी ।। 'चाक' रघु के नहीं सुहाते गीत स्नेह के नहीं लुभाते भाई से भाई कतराते आंगन में दिवारें खिंच गई सिमट गई दिन- राती ...।। बदल गए ..।। नहीं कोकिला तान सुनाती नहीं भ्रमर...
Read Moreहर धड़कन की गति बढ़ाती हैं ये चूड़ियां
कंगन,चूड़ियां हैं साजो श्रृंगार नारी की कलाई का । हैं! कांच की मगर रिश्तों की डोर को अपनी खनक से खनकाती हैं ये चूड़ियां ।। मन से कही ना कही एक, डोर सी बांधे हैं ये रंग बिरंगी सी चूड़ियां ।। सूने हाथों को भी अपनी रंगत से भरे हैं ये....
Read Moreदिलो अजीज़ मेरी पहली मोहब्बत सा कश्मीर
तेरी,हर अदा का मैं , ओ दिले अजीज़ कश्मीर ।। ज़िक्र,तेरा मैं अक्सर बहने वाली हवाओं से करता हूं । तू,खुशुब सा बन ना जाने कबसे इन,सांसों में जैसे बसता हो ।। ये, तेरी ऊंचे ऊंचे पर्वत की सफेद बर्फ़ से ढकी श्रृंखलाएं । घाटियां और कल कल बहती झीलों
Read Moreखुदा की इबादत जैसी मेरी मोहब्बत
खुदा की इबादत जैसी,पाक मेरी मोहब्बत ।। मोहब्बत के फनकार पर सदियों से फना गालिब और मिर्ज़ा की शायरी साहब! हर अल्फाज़,हर गज़ल सजे इनकी बस ,मोहब्बत के कसीदे पर । मोहब्बत,प्यार,प्रेम,लगाव और अपनापन हैं महज़ एक ही किताब के ढेर पन्ने ये,प्रेम और....
Read More






.jpeg)

















