प्लेटफार्म

अति विशिष्ट व्यक्ति का सनिध्य कुछ घण्टे प्लेटफार्म पर मुलाकात ने जीवन को दीश दृष्टिकोण प्रदान करते हुए पथ प्रकाश देते हुए प्रेरणा दायक है। भूपेंद्र दीक्षित जी ने अपने जीवन के शिखर यात्रा का प्रथम शुभारम्भ किया और शिखर पर स्थापित हुए वहा जब समय काल एवं...

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आराच पन्नक

कहानी अतीत कि घटित सत्य घटनाएं जो वर्तमान एव भविष्य के लिए दिशा दृष्टिकोण का मार्ग प्रदान करते हुए शिक्षा एव संवेदनाओ के लिए प्रेरणा परक होते है । रामायण मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जीवन ऐश्वर्य का सत्यार्थ ब्रह्मर्षि वाल्मीकि जी के द्वारा प्रस्तुत

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अपकर्म

यह कहानी वास्तविकता का दर्पण है जो परिवार समाज समय एव काल मे व्यक्ति के कर्मो का सत्यार्थ प्रस्तुत करता है। भारत के महत्पूर्ण नगरी काशी वाराणसी बनारस कि सांस्कृतिक शैक्षिक प्रवृति से विधिवत परिचित हूं अपने पंद्रह वर्षों के प्रवास में बहुत से मित्र एवं..

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       06-01-2023

मुस्कुराते चेहरे

युवाओं के लिए अपने लेख प्रस्तुत करने का यह एक सुअवसर है। धन्यवाद!

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       06-01-2023

संस्मरण -जंत्री

जंत्री संस्मरण संस्कृति और सामाजिक मूल्यों को जीवित रखने का प्रयास। पिछले साल जब पिताजी नहीं रहे तो हमारा पूरा महिना गांव में ही गुजरा । तत्पश्चात बड़े भाई साहब माताजी को भी साथ ही शहर में ले आए । हमने घर की सभी आवश्यक और कीमती चीजें भी साथ ही लाने का...

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       05-01-2023

(काश मैं एक आजाद परिंदा होती)

(काश मैं आजाद परिंदा होती) काश मैं, एक आजाद परिंदा होती दूर गगन की सैर मैं पल में कर आती न किसी की शिकवा होती चारों तरफ बस खुशियां होती जब कोई आता तो उड़ जाती न किसी के हाथ मैं आती फूलों की क्यारी में यूं बसेरा होता जहां मन भाता वहाँ..

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       04-01-2023

भूत, भगवान और मैं।

भगवान और मैं। बोलते बोलते हार मान गए थे घरवाले की हनुमान चालीसा याद कर लो, जब भी डर लगे जोर जोर से उच्चारण करने लगना। लेकिन मैं निकम्मा आज तक विद्यालय में भी, हिंदी की कक्षा में पढ़ाई जाने वाली कविता में भी, सिर्फ "हवा हूं हवा, मैं बसंती हवा".........

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       03-01-2023

अटल बिहारी वाजपेयी

जय माँ शारदे नमन मंच दिनांक- 25/12/22 अटल बिहारी वाजपेयी भारत माँ के लाल थे, अटल सपूत महान| मधुर बड़ी मुस्कान थी, जन -मन के अभिमान || मीठे उनके बोल थे, चम- चम चमके भाल ~ कविताओं में जान थी, करें जगत गुणगान || अटल बिहारी लाल के, बड़े सुघड़ थे काम क..

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कबीर साहेब एक महान व्यक्तित्व

महान संत कबीर साहेब जी का नाम अत्यंत श्रद्धा के साथ लिया जाता है। समूचा संसार कबीर दासकब जी के नाम से परिचित है ।यह रहस्यवादी महान संत हुए हैं। उनका जन्म काशी में, जो कि वर्तमान में वाराणसी नाम से जाना जाता है, में हुआ था। कबीर दास जी ने उस समय प्रचलित...

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       02-01-2023

तू कैकई, मैं दसरथ।

शादी के वक्त सात वचन क्या दिया की वो अपने आप को कैकई और मुझे दशरथ समझने लगी। कैकई ने तो एक वचन राज्याभिषेक के लिए मांगा लेकिन मेरी वाली तो एकवचन को बहुवचन में शामिल कर, प्रतिदिन वचन की मांग करती है, ताकि मैं उसकी मांग पूरी करते करते मांग कर खाना शुरू कर..

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दिव्य प्रेरक कहानियाँ भारतीय भाषा समन्वय एवं सहयोग परिषद का गठन...

आज दिनांक 31/12/2022 को सद्गुरु कबीर आश्रम सेवा संस्थान के महंत श्री डॉ. नानक दास जी महाराज के संरक्षण मार्गदर्शन में भारत साहित्य रत्न श्री अभिषेक कुमार (जयहिन्द तेंदुआ, औरंगाबाद, बिहार) के द्वारा "भारतीय भाषा समन्वय एवं सहयोग परिषद" गठन के आधिकारिक...

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स्वागत है नववर्ष

नव वर्ष का स्वागत और वास्तविक चित्रण

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       01-01-2023

मुर्गा, खस्सी, मदिरा, नववर्ष और आंग्ल वर्ष के विरोधी।

जगत चचा का तोंद हजारों खस्सियों का कब्रगाह था, उनकी बांह भी चिकन सरीखा हो गई थी और तो और मुंह भी जमुनापारी नस्ल की बकरी से मिलने लगी थी, वो तो उनकी किस्मत थी की बकरी के शौकीनों की नजर उन पर नही पड़ी नही तो बेचारे कहीं मुंह दिखाने लायक नही रहते...

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       01-01-2023

कैसे मनाऊँ

जिस ने 200 सालों तक, हम पर शासन किया, उनका त्यौहार मैं कैसे मनाऊँ। जिसने मंगल पाण्डेय को, फांसी पर लटकाया, उनका त्यौहार मैं कैसे मनाऊँ। जिसने हमारी वीरांगना, लक्ष्मीबाई को मारा, उनका त्यौहार मैं कैसे मनाऊँ। जिसने 18 साल के, लड़के को..........

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       01-01-2023

नव वर्ष का सवेरा

नये साल पर कविता फूलों सा कलियों सा मन मुस्करायें भौंरों के गीतों सा हम गुनगुनायें धरती गगन गूंजें चिड़ियों का कलरव आओ मन की माला में हम गूथ जायें मोहक मनोहर लगे दुनिया प्यारा | नये साल का आया.............

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       31-12-2022

अंग्रेजी नव वर्ष क्यों मनाएं.....।।

फूलों सा कलियों सा मन मुस्करायें भौंरों के गीतों सा हम गुनगुनायें धरती गगन गूंजें चिड़ियों का कलरव आओ मन की माला में हम गूथ जायें मोहक मनोहर लगे दुनिया प्यारा | नये साल का आया पावन सवेरा || अम्बर..............

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       31-12-2022

नूतन वर्षाभिनंदन

नव उमंग नव खुशी मिलेजी, वन को नव आयाम मिले। सुख समृद्धि यश बल वैभव से, परिपूरित सम्मान मिले।। बीत गया जो वर्ष भूलकरन, वयुग का सत्कार करो । दीन-दुखी-निर्धन-निर्बल का, बन सेवक उद्धार करो ।। धरा गगन झूमे खुशियों से, कुछ ऐसा संकल्प करो ! निर्भय......

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       31-12-2022

नव वर्ष की मंगल कामनाएं

बीत रहा है वर्ष यह, कृपा करो रघुराज । मंगलमय नववर्ष हो, पूरण हो हर काज ।। सुख-समृद्धि, यश-कीर्ति मिले, चहुं दिश हो यश गान। मंगल नूतन वर्ष हो, मिले मान सम्मान ।। कृपादृष्टि राखो प्रभु,दो अनुपम उपहार । कर्म परायण से मिले, खुशियों का..........

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       31-12-2022

समय

समय चल रहा है। हम सभी से कुछ न कुछ कह रहा।।

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प्रेम गीत

मनुष्य जीवन में प्रेम का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है, प्रेम व्यक्ति को एक दूसरे के पास लाता है और जीवन जीने की कला सिखाता है। प्रेमी के लिए प्रेमिका का आलिंगन जैसे बादलों में चांद को छिपा लिया हो। प्रेम को परिलक्षित करती काव्य रचना प्रस्तुत है।

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धन्यवाद कोरोना! (Thanks Corona!)

आजकल सर्वत्र व्याप्त भय रूपी, कोरोना का "अभिवादन" निश्चित ही विरोधाभासी है, किन्तु इसका अन्य पक्ष सकारात्मक भी है। इससे सब में समय, व्यक्तियों, समाज, स्वच्छता जैसे संवेदनशील मुद्दों के प्रति नैतिकता, जिम्मेदारी, कार्यकुशलता, जैसे अनेक गुण विकसित हुए हैं।

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       29-12-2022

सीरियल पगला देगा...

सीरियल के मुताबिक यहां हिंदुस्तान में हर आदमी अपने घर में तो बच्चे पैदा कर ही रहा है साथ में कई अन्य घरों में भी इनके योगदान में कोई कमी नहीं है।

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       25-12-2022

कद और पद, बड़ा कौन..?

एक बार कवर्ग और पवर्ग में बहस हो गई कि बड़ा कौन? कवर्ग का प्रतिनिधित्व 'कद' ने किया तो पवर्ग का प्रतिनिधित्व 'पद' ने किया। प्रतिनिधियों का नाम सामने आने के बाद दोनों ने अपने जीत के लिए भ्रमण शुरू कर दिया। कद ने कहा कि मैं बड़ा हूं हर जगह लोग कहते हैं कि..

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जानिए कौन हैं सौहार्दशिरोमणि ‘गुरूदेव’ ऑनरेरी प्रोफेसर/डॉ.सौरभ पाण्डेय (मानद कुलपति) जी

उत्तर प्रदेश के शहर गोरखपुर के ग्राम भस्मा – डवरपार में स्थित ‘धराधाम’ परिसर में धराधाम निर्माणाधीन अवस्था में है। बता दें कि यह वह अद्भुत पुण्यपुंज परिसर है जिसमें सभी धर्मों के आस्था स्थल मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर आदि एक ही परिसर में होगें। जोकि विश्व...

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       22-12-2022

मुझ बेवड़ा की बात मत पूछो जी।

अब मैं दिन भर शाम का इंतजार करता ताकि दुःखी हो जाऊ और दोस्त सब मुझे दारू का भोग लगाए।अब रोज रोज मुझे विदेशी कौन पिलाता सो मैं मशालेदार पर उतर गया। पैसे कहां से आते थे - महाराज मुझे घर में ही चोरी करने की आदत पड़ गई। लेकिन मैने सिर्फ चोरी ही नही की बल्कि

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