| ब्लॉग प्रेषक: | डॉ आर सी यादव |
| पद/पेशा: | शिक्षक/ लेखक/ कवि/मोटीवेशन स्पीकर/ फ्रीलांस जर्नलिस्ट |
| प्रेषण दिनांक: | 31-12-2022 |
| उम्र: | 49 |
| पता: | डोभी, केराकत, जौनपुर, यूपी |
| मोबाइल नंबर: | 9818488852 |
अंग्रेजी नव वर्ष क्यों मनाएं.....।।
सूर्य अवतरित नहीं गगन में, बिखरा नहीं प्रकाश।
पाश्चात्य संस्कृति अपनाकर करते क्यों उल्हास ।।
यह अपनी संस्कृति नहीं है, सभ्य कुलीनता रीति नहीं है ।
मध्य रात्रि के तिमिर प्रहर में, धर्म परायण नीति नहीं है ।।
धर्म नीति जो रही सनातन, भूल रहे गौरव परिपाटी ।
वाह्य आडंबर की चकाचौंध में, धूल धूसरित अपनी थाती ।।
नवप्रभात तो गति सूचक है, हँसी, खुशी, उल्लास, प्रदाता ।
दिनकर की रौशन किरणों से, धरा - गगन आलोकित होता ।।
वन उपवन संपदा समेटे, भरी अपनी वसुंधरा ।
फसलों से आच्छादित धरती, धन्य धान्य की खान वसुंधरा ।।
नए अन्न का पूजन अर्चन, सूर्य उपासना मान नहीं है ।
हरे भरे पत्तों के पीछे, चिड़ियों का कलरव गान नहीं है ।।
आई कहां नई कोंपले, परिमल बिखरा नहीं गगन हो ।
विकसित नहीं पुष्प कलियां भी, मधुकर का गुंजन नहीं चमन में ।।
धर्म सनातन रहा हमारा, ऋषि - मुनियों की भूमि रही है ।
मंत्रोच्चार, यज्ञ वेदिका, शंखनाद से दिव्य मही है ।।
वेद - पुराणों की गाथाएं, संस्कृति -सभ्यता की शान रही है ।
गीता - रामायण की बातें, जन जन अभिमान रही है ।।
नई संस्कृति क्यों अपनाएं, गौरवशाली धर्म हमारा ।
पर्वों का संगम देश हमारा, सबसे सुंदर, सबसे न्यारा ।।
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