13-03-2022

गरीबों का दर्द कौन समझे

आधा नंगा बदन में, बदहोश जो होता रहा। सड़क पर होकर खड़ा,

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       13-03-2022

गाजर के बहाने किसान विमर्श

किसान और गाजर को उपहास के नजर से देखा जाता है लोग कहते है- "का हो काका... गाजर कमाएल बड़? " का चाची... गाजर बेचत बड़.... हा हा हा हा हा "! इतना ही नही किसान तो तब सर्मसार हो जाता है जब उसे खालिस्तानी, पाकिस्तानी और आतंकवादी जैसे शब्दों से संबोधित किया जाता है तो ऐसा लगता है जैसे कानों में शीसा पिघलाकर डाला जा रहा हो। मेरे मित्रों! ये साक्षात अन्नपूर्णा है, अन्नदाता है, ऐ सम्मान के पात्र है।

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       13-03-2022

इस आसमां में उड़ने की अब बारी हमारी है

इस आसमां में उड़ने की अब बारी हमारी है। औरों से क्या लड़ना अभी तो खुद से लड़ने की बारी है। इन परिंदों से कहेंगे कि हमें अपना दोस्त बना लें,

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       13-03-2022

प्रेम रंग से हृदय रंगो

हमारे तीज त्योहार हमेशा ही हमें आपसी एकता, भाईचारे के संदेश देते आ रहे हैं।आधुनिकता की अंधी दौड़ में हम भले ही कहाँ से कहाँ पहुंच गये...

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       12-03-2022

मेला बना झमेला।

अरे केतना अलता होंठ में घसोगी, फेगू चचा का एतना कहना था कि कबूतरी चाची शुरू हो गई। का जी आपको आलता आऊ लिपिस्टिक में फर्क नहीं बुझाता है, खाली लड़े के ओर खोजत रहते हैं। आइएगा मेला से त सब गरमी उतार देंगे। फ़ेगु चचा के भक मार गया। लड़ाई की रणभेदी बज चुकी थी।

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       12-03-2022

दोस्त चंद है

स्वाभिमानी लोगों के लिए रचना

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       12-03-2022

कविता

कौन है तू, कहाँ है तू क्या रिश्ता है तेरे दिल के दरमियां क्यों

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युद्ध के बाद सन्नाटा

युद्ध कोई भी है उसकी परिणति एक ही होती है, जहां जीवन महकता था...

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चाहे जीवन की राहे हो या सफर की, दोनो में एक ही समानता...

यदि सफर की बात की जाए तो ये पूरी सृष्टि, अनंतकोटि ब्रह्मांड ही सफर कर रहा है। यहाँ कुछ स्थिर नहीं है सभी अपने-अपने गति के नियमानुसार गतिशील है। सूर्य, चंद्र, ग्रह एवं...

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       11-03-2022

भावों संग होली के रंग

होली रंगों का त्योहार है आपस में मिलने जुलने शिकवा शिकायतें मिटाने का...

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       11-03-2022

मैं मुसाफ़िर

मेरी रचना एक मुसाफ़िर से संबंधित हैं, जो बिना सोचे निकल पड़ा हैं.

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       11-03-2022

लोकतंत्र के मौन मार्गदर्शक

मनीष कुमार तिवारी,
विचारधारा को फैलने के लिए यह जरूरी है कि विचारों के भांग पूरे कुएं में घोल दिए जाएं...

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       11-03-2022

गांव के गलियारे शहरों में कहां मिलते..

गांव के गलियारे शहरों में कहां मिलते..

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       11-03-2022

अंजुली भर अनाज

अंजुली भर अनाज

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       10-03-2022

वोटर्स का चाबुक

वोटर्स का चाबुक चला हुए विरोधी ढ़ेर । यूपी में फिर कमल खिला...

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       10-03-2022

विधानसभा चुनाव: समाजवादी पार्टी के हार मायने

राजनीतिक ऊंट किस करवट बैठेगा, यह अनुमान लगाना मुश्किल होता है लेकिन अगर ऊंट का रखवाला सही समय पर और सही ढंग से लगाम कस कर ऊंट पर अपनी पकड़ बनाए रखे...

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       10-03-2022

बस में यात्रा, बस हो गया।

डाल्टनगंज बस स्टैंड में चहल पहल - रांची रांची, सासाराम औरंगाबाद, जपला छतरपुर, हरिहरगंज, गढ़वा अंबिकापुर की आवाज मानो सुपर सोनिक मिसाइल की भांति कान को फाड़े जा रही थी लेकिन औरंगाबाद की आवाज लता मंगेशकर के गानों की भांति कान में रस घोल रही थी, कारण था - सजनी से मिलने जो जाना था। औरंगाबाद शब्द मानो ऐसा लग रहा था जैसे लता जी गा रही हों - "आ लौट के आज मेरे मीत तुझे मेरे गीत बुलाते हैं"।

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       10-03-2022

मेरी माँ

अमिट प्रेम की पीयूष निर्झर क्षमा दया की सरिता हो । गीत ग़ज़ल चौपाई तुम हो...

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       10-03-2022

नारी शक्ति

अबला से सबला बनकर इतिहास नया रच डाला । छूकर नित नई बुलंदी को...

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       10-03-2022

नाम करूँगी रौशन मेरे पापा

बेटी हूँ तो क्या हुआ किसी का दिल नहीं दुखाना आता। नहीं किसी पर बोझ बनूँगी...

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       10-03-2022

विधा, ज्ञान और शिक्षा एक दूसरे के पूरक एवं भिन्न: अभिषेक कुमार

विधा, ज्ञान और शिक्षा ये तीनो सामान्य दृष्टिकोण से एक ही प्रतीत होते हैं परंतु वास्तव में ये तीनों एक दूसरे के दिव्यात्मक पूरक एवं भिन्न है...

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       09-03-2022

उनसे कह दो गद्दार नहीं हूँ

हिंदुस्तान के हर गाँव से शहर तक पहचान है मेरी किसी शोहरत् किसी ओहदे का तलबग़ार नहीं हूँ...

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       09-03-2022

नारी तू महान

नारी तू महान है, कविता स्नेहा सिंह

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       09-03-2022

मैं हिंदुस्तान का हूँ

नहीं कोई भी अपना है, किसी की बात क्या है। इस भीड़ भरी दुनियाँ...

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जिन चीजों से वायु प्रदूषण हो रहा है हमें उन चीजों को अपनी दैनिक दिनचर्या से हटाना होगा..

जलवायु परिवर्तन के कारण हरितगृह (ग्रीनहाउस) प्रभाव और वैश्विक ताप में वृद्धि, ओजोन...

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