गाजर के बहाने किसान विमर्श
गाजर के बहाने किसान विमर्श
मेरे भाइयों- बहनों,
जोहार ! नमस्कार !! राम-राम !!!
मेरे प्यारे भारतवासियों आज मैं फिर एक लंबे अरसे के बाद आप से रूबरू होने आया हूं। जिसमें हिंदुस्तान के एक तिहाई जनता के लिए विशेष अपील करना चाहूंगा। जिसमें उनका तो भला है ही, उससे ज्यादा आपका भी भला है। क्या आप मेरे अपील को ध्यान से सुनेंगे और अमल करेंगे? आपने भारत को आत्मनिर्भर बनाने, स्वदेशी वस्तुओं को व्यवहार में लाने, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत बनाने, कोरोना महामारी को रोकने इत्यादि- इत्यादि का खूब समर्थन किया है। मेरा विश्वास है,यह अपील भी आपको खूब अच्छा लगेगा और आप जरूर अमल करेंगे।
मेरे भाइयों एवं बहनों!
परम पुरुष के बनाए सृष्टि को देखने के लिए दृष्टि (रौशनी) की आवश्यकता होती है और असमय आंख से रौशनी कम होने पर या चले जाने पर मेरे मां- पिता तुल्य बुजुर्गों को कितनी असुविधा होती है, यह किसी से छुपी नहीं है। आप इसे बखूबी जानते हैं। आंख की रौशनी को बचाए रखना आज की चका -चौंध जीवन में डिजिटल दुनिया में बड़ी चुनौतियां है। जहां छोटे -छोटे बच्चे टीवी, मोबाइल और लैपटॉप से नई ज्ञान को घर बैठे सात समुंदर पार विशेषज्ञों से पा रहे हैं। वहीं उनके आंखों पर बुरा प्रभाव भी पड़ रहा है इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता।
आप सभी यह भी जानते हैं कि आंख के जांच शिविर जनवरी- फरवरी के महीनों में सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं निशुल्क सेवा के लिए आगे आती हैं और इसी समय में टोकरी में गाजर लेकर किसान। खैर। आपके कीमती समय को मैं अपने बातों में नष्ट नहीं करना चाहता, न हीं मैं आपको डराना चाहता हूं। मेरा आपसे संवाद का मात्र एक उदेश्य है- *"एक विनम्र अपील"* ।
मेरे भाइयों! आज मैं सवा अरब देशवासियों से पूछता हूं क्या किसानों की स्थिति अच्छी होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? इनकी स्थिति और अच्छी होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? इनका आय 2-3 गुना बढ़ना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? इनके बच्चे महंगे और अच्छे संस्थान में शिक्षा ले सकते है कि नहीं सकते है? राजनेता जैसा कपड़े और सफारी गाड़ी बदल सकते है कि नही? दुनियां के वास्तव हीरो को सम्मान मिलना चाहिए की नहीं मिलना चाहिए? यदि आपका जवाब हां है, तो मुझे विश्वास है आप मेरे विनम्र अपील को बड़ी गंभीरता से लेंगे और उसे अमल करेंगे।
मेरे मित्रों! यदि आपको जवाब हां है तो सुनिए प्रकृति का नियम है जहां समस्या होती है वही समाधान भी होता है। चाहे उस समाधान को मनुष्य समझे या न समझे। जहां आखों में कृत्रिम शाल्य चिकित्सा से रौशनी डाली जाती है उसी मौसम में किसान कड़ी मेहनत और बड़ी लागत से बाजार में गाजर लाते है। बसंत पंचमी के समय मेरे लिए विशेष खास होता है और इसी समय में बड़ी आसानी से गाजर उपलब्ध होता है। यह गाजर (Carrot) में बड़ी प्रचुर मात्रा में 'विटामिन- ए' पाया जाता है। आंखों की रौशनी के लिए सस्ते और सर्व सुलभ उपलब्ध हो जाता है। विटामिन -ए' के प्राप्ति के लिए न तो प्रकृति विरूद्ध 'जल की रानी- मछली' को अपना आहार बनाना पड़ता है न ही जीव हत्या जैसे पाप। आप सभी बखूबी जानते हैं कि यह गाजर पर किसान आर्थिक विकास के लिए निर्भर है। बड़ी उम्मीद, कठिन परिश्रम और बड़ी लागत से बड़े-बड़ें सपने संजोए होते हैं। यह योजना बना बैठते हैं, कि- अमुख वर्ष गाजर से जो आय होगी उससे बच्चों की पढ़ाई, बूढ़ी मां की दवाई, बेटी की विदाई इत्यादि इत्यादि पर खर्च करेंगे। लेकिन बड़े ही दुख पूर्वक मैं इसे स्वीकार करता हूं कि उनके सारे सपने चूर-चूर हो जाते हैं। मात्र और मात्र निराशा ही हाथ लगती है। क्योंकि खेतों की जुताई, महंगे बीज, खरपतवार नाशक दवा, और बेमौसम बारिश से यदि कुछ बचता भी है तो उनके गाजर को चूहे बर्बाद कर देते हैं। फिर क्या? अपने कर्म और किस्मत को दोष देकर औने -पौने भाव में बेचकर किसान खेत खाली कर देते हैं। किसान और गाजर को उपहास के नजर से देखा जाता है लोग कहते है- "का हो काका... गाजर कमाएल बड़? " का चाची... गाजर बेचत बड़.... हा हा हा हा हा "! इतना ही नही किसान तो तब सर्मसार हो जाता है जब उसे खालिस्तानी, पाकिस्तानी और आतंकवादी जैसे शब्दों से संबोधित किया जाता है तो ऐसा लगता है जैसे कानों में शीसा पिघलाकर डाला जा रहा हो। मेरे मित्रों! ये साक्षात अन्नपूर्णा है, अन्नदाता है, ऐ सम्मान के पात्र है।
विटामिन ए का मुख्य स्रोत और कई असाध्य बीमारियों में सहायक गाजर को उचित मूल्य न मिलने पर उपहास भरे शब्दों में लोग कहते हैं "गजरा के भाव में बेच देली"। किसानों और गाजर के सम्मान के साथ साथ उनके उत्पादन का उचित मूल्य मिले, ताकि नहीं मुन्नी की पढ़ाई की फीस जमा हो, नहीं मां की दवाई आ जाए और बेटी की..... ! लेकिन सपना अधूरा ही रह जाता है। उनका जीवन हमेशा की तरह निराशा में बदल जाता है।
मेरे मित्रों! मैं किसान परिवार से संबंध रखता हूं। इसलिए हमारी गहरी संवेदना है। जब मैं उनके बारे में चिंतन करता हूँ, तो दुख से मन भर जाता है। काश! इनके लिए भी हम कुछ कर पाते हैं। कृषि को उद्योग का दर्जा दे पाते। इनकी भी आय दोगुनी, तीनगुणी,चारगुनी ...................... हो जाती। काश! इनके भी बच्चे अच्छे संस्थान में पढ़ते और जीवन यापन का अच्छा (कैरियर) माध्यम प्राप्त करते हैं। लेकिन मात्र मात्र यह एक विडंबना ही तो है, और क्या?
इसलिए हिंदुस्तान वासिओं से मात्र "एक विनम्र अपील" करता हूं ताकि किसानों का मेहनत न व्यर्थ जाए, उन्हें भी सम्मान मिले, उनके हौसले नहीं टूटे न हीं न ही आर्थिक तंगी से किसान आत्महत्या करे। उनकी न्यूनतम आवश्यकताओं कि पूर्ति में कोई असुविधा ना हो। इसलिए पुनः सवा अरब जनता से हाथ जोड़कर अपील करता हूं कि :-
👉 किसान से गाजर लें और दूसरे को भी लेने का सलाह दें। साथ ही साथ गाजर के फायदे को भी बताएं।
👉अपने रिश्तेदारों को गाजर उपहार स्वरूप भेजें उसी तरह जिस तरह आप आम और लीची भेजते हैं।
👉किसानों से छुट्टे पैसे वापस न ले, उन्हें सम्मान पूर्वक छोड़ दें। जैसे आप होटलों और रेस्टोरेंट में छोड़ देते हैं।
👉 गाजर का हलवा सप्ताह में दो- तीन बार बनवाएं।
👉 हर उत्सव में गाजर के हलवा बनाने का सलाह दें।
👉अच्छे होटलों में गाजर के हलवा का मांग करें।
👉 सलाद और आचार में गाजर का प्रयोग करें।
👉 दैनिक जीवन में कच्चे गाजर को खाएं।
👉प्रबुद्ध जन गाजर के उपयोगिता, लाभ और वर्तमान समय में उपयोगिता पर कविता, लोकसंगीत, लघु कहानी, गजल, श्लोगन्स, उपन्यास यानी हर विधा पर अपनी कलम से लिखें, वीडियो बनाये और सोशल मीडिया पर साझा करें और प्रतिक्रिया दें।
इसी तरह के तमाम जनजागरण का मंच तैयार करें। गाजर के कच्चा या पका कर जो खाने की विधि हैं उस विधि से आप अधिक से अधिक मात्रा में गाजर खाएं। ताकि 'विटामिन ए' की पर्याप्त मात्रा में मिल सके, आपकी दृष्टि अच्छी रहे और लंबे वर्षों तक आप इस परम पुरुष के बनाए सृष्टि को आप देख सकें। इससे किसानों का जितना भला है उससे ज्यादा भला आपका भी होगा। इससे गाजर से जुड़े छोटे बड़े व्यापारियों का आए तो जुड़ा है।
इस लिए मित्रों! आप इस अपील को स्वीकार करें और आज से अमल करें। जैसा:-
आदिगुरु शिव ने पार्वती को कहां था-
"शुभस्य शीघ्रम् , अशुभस्य काल हरणं"।
इससे किसानों में आत्मविश्वास जगेगा वहीं आर्थिक निर्भरता भी बढ़ेगी तो दूसरी ओर किसानों में आत्महत्या का प्रतिशत कम भी होगा। अच्छे कीमत पाकर 72% आबादी आबाद होगा, खुशहाल होगा वही आपकी रौशनी बरकरार रहेगी। तब हमारा सपनों का भारत साकार होगा।
मित्रों! मेरे भाइयों और बहनों!! पुनः विनम्र अपील करता हूं। सवा अरब हिंदुस्तान के जनता -जनार्धन का पैर पकड़ता हूं। अन्नदाता का सम्मान करें और इनकी स्थिति पर विचार करें। किसानों के लिए गाजर और आपके लिए स्वास्थ्य का अन्योन्याश्रित संबंध है। इस संदेश को जनहित में जारी करें।
जय हिंद! जय भारत!! जय भारतवासी!!!
✒️राज मोहन "राज"
rajmohanraj084@gmail.com
05 मार्च 2022, संध्या 07:48 बजे
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