मां ने कुछ नहीं सिखाया
आज सब्जी में नमक अधिक हो गया, ससुर जी ने कहा, मां ने कुछ नहीं सिखाया। रोटियां थोड़ी टेढ़ी - मेढ़ी थी, सास ने कहा, मां ने कुछ नहीं सिखाया। जल्दी - जल्दी में, टिफिन पैक करना भूल गई, पति ने कहा, मां ने कुछ नहीं सिखाया। ननद का मेक-अप थोड़ा...
Read Moreजहां जैसा माहौल, वहां वैसा ही बोल।
यह मिथ्या नहीं हो सकता की जहां जैसा माहौल, वहां वैसा बोल नहीं होगा..? यह सत्य है की बिहार के वायुमंडल में भोजपुरी अश्लील गाने और फिल्मों का घना कोहरा छाया हुआ है। हमने हाल ही में हिंदी, भोजपुरी सिनेजगत में व्याप्त अश्लीलता पर एक आलेख लिखा था जिसका...
Read Moreआध्यात्मिक रहस्य का ज्ञान ही मानव की श्रेष्ठ सफलता है।
मानव संसाधनों को इकट्ठा करके अपने आपको सफल मानता है,यही उसके जीवन की सबसे बडी भूल है क्योंकि दुनिया की हर वह चीज को चेतना से पृथक है,वह अनित्य है फिर अनित्य वस्तु की प्राप्ति से जीवन की सफलता का निर्धारण कैसे,यह सोच इन्सान को अज्ञान के दुख में गिराती है।
Read Moreअश्लील गाने और फिल्मों का होड़ समाज के लिए कोढ़।
अश्लील गाने और फिल्मों के गीतकार, कलाकारों पर सरकार को त्वरित लगाम लगाना चाहिए न की इनके अनुयायियों की संख्या बहुतायत के दृष्टिगत इन्हे विधायक सांसद की टिकट देना चाहिए। इनकी अश्लील हरकत से दूरगामी परिणाम बड़ा ही भयंकर है जो अभी अपने आस पास के परिवेश में..
Read Moreगीत नया गाता हूँ
काल समय समाज युग राष्ट्र के अतीत के परिपेक्ष्य में वर्तमान में उत्कृष्ट भविष्य के लिए आमंत्रण आवाहनं करती काव्य रचना । निश्चय निश्चित निष्छल काल दौर स्वीकारता कर्तव्य परम्परा के दायरे में सिमटना नही चाहता युग के साथ स्वछंद दौर को पुकारता काल कि स्वछंद..
Read Moreथक गई हूं।
थक गई हूं। लड़की हूं इस अपराध की सजा भुगतते-भुगतते, जमाने के ताने सुनते-सुनते, थक गई हूं। अपने लक्ष्य के लिए लड़ते, उसे पूरा करते। थक गई हूं। अपनी निर्दोषिता प्रमाणित करते-करते। अपनी सफाई देते देते। थक गई हूं। अपने परिवार के लिए लड़ते-लड़ते..
Read Moreसोच का रहस्यमयी असर
सोच इस सृष्टि का रहस्यमयी आयाम है। पशु पक्षी, जीव जंतु, कीट पतंग, मानव और यहां तक कि पूरी सृष्टि सोच में डूबी हुई है। सोच के द्वारा ही परम पिता परमेश्वर ने इस अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का रचना किया है। यूं कहे तो बिना सोच के कोई कर्म भी नहीं होता..! आखिर...
Read Moreसुकून जिंदगी की
इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में लोग कैसे पैसा कमाने के लिए निकल पड़ते हैं सिर्फ अपने परिवार और खुद भरण पोषण के लिए। भागदौड़ भरी जिंदगी में, हर कोई चाहता तलाश सुकून की। थोड़ा आराम कर चल पड़ते, यही तो दस्तूर है जिंदगी की।।
Read Moreराजतंत्र, प्रजातंत्र से अलग सरकार चलाने का एक नया विकल्प संगणकतंत्र (तुलनात्मक विश्लेषण)
किसी भी देश को नियंत्रित, समृद्ध तथा संतुलन में रखने के लिए सरकार की महत्ती भूमिका होती है। किसी भी राष्ट्र संचालन के लिए सरकार का होना अत्यंत आवश्यक है। अभी तक किसी देश में सरकार चलाने के लिए हम सभी राजतंत्र और प्रजातंत्र के बारे में ही जानते आएं हैं...
Read Moreआचार्य श्री सत्यस्वरूप साहिब के चिंतन
प्रेम और आनंद में गिरे हुए आसुओं से पवित्र इस धरा पर कुछ भी नही है, प्रेम से उठे अन्तर्नाद से हृदय आविर्भूत हो कर अस्तित्व की निर्मलतम धारा आंखों से मुखरित होती है,यह अस्तित्व की भावनाओ की गंगा धारा है,जो जीवन को परम विशुद्ध निर्मल व पवित्र बनाती है...
Read Moreस्त्री हूं मैं.......
स्त्री जागरण की दृष्टि से मेरे द्वारा लिखा गया यह लेख सभी स्त्रियों को समर्पित है। इसे पढ़ के स्त्रियों को खुद को जानने ,समझने और पहचानने का अवसर मिलेगा।
Read Moreसत्य श्री सत्यस्वरूप महाराज जी के अनमोल वचन।
तुम जब प्रेम में होते हो,प्यार में होते हो,भक्ति में होते हो,श्रध्दा और समर्पण में होते हो तो फूल चुनते हो कांटे क्यों नही चुनते हो
Read Moreमंटू और चिड़ियाँ
बारिश का दिन था। सब तरफ हरा-भरा खूबसूरत नज़ारा था। मंटू खिड़की के पास चुपचाप बैठा बाहर की ओर देख रहा था कि कैसे बारिश बन्द हो और वह दोस्तों के साथ बाहर खेलने जाये। अचानक उसकी नज़र आँगन की तरफ़ पड़ी। उसे कुछ गिरने की आवाज़ सुनायी दी। मंटू आँगन की तरफ़ दौड़क...
Read Moreमन को शान्त रख कर ही जीवन में सफलता हासिल कर सकते हो।
मन की शान्ति के सही तरीके। भूली-बिसरी बातों पर सोच-सोच कर खुद को खपाने का कोई फायदा नहीं। बीते कल को आप बदल नहीं सकते और आने वाला कल अभी आया नहीं है। अपना सारा ध्यान अपने आज पर केन्द्रित कर खुश रहें। अपनी चिंता को दरकिनार कर एक गहरी सांस लें। पांच..
Read Moreजीवन क्या है?
हमारे अस्तित्व के ७ स्तर हैं - शरीर, श्वास, मन, बुद्धि, स्मृति, अहम् और आत्मा। मन तुम्हारी चेतना में विचार और अनुभूति की समझ है जो निरंतर बदलते रहते हैं।
Read Moreतनाव और समस्या
तनाव और समस्या जब तुम तनाव में होते हो, तब तुम्हारो भौहें चढ़ जातीं हैं। जब तुम इस तरह त्योरी चढाते हो, तब तुम चेहरे की ७२ नसें और माँस-पेश्यियाँ उपयोग में लाते हो। लेकिन जब तुम मुस्कुराते हो तब उन में से केवल ४ का उपयोग करते हो।अधिक कार्य का अर्थ है...
Read Moreशीशा नीचे करके बोली तू पीयूष हैं ना ….
बात बहुत पुरानी हैं,मैं वृंदावन में बाँके बिहारी के दर्शन करने के लिये अकेला ही जा रहा था,सामने से आ रही एक बहुत सुंदर सी गाड़ी जिसको एक महिला चला रही थी,अचानक मेरे पास आ कर रुकी, शीशा नीचे करके बोली आप पीयूष हैं ना, मैं बोला,हाँ मैं पीयूष हूँ.उसने गाड़ी किनारे लगाकर मेरे पास आई और बोली पहचाना मुझे,मैं बोला नहीं मैं पहचान नहीं पाया, उसने कुछ समय दिया मुझे पहचानने के लिये,मैं फि
Read Moreहम तुम्हारे हुए
तुम हमारे हुए, कितने प्यारे हुए। इक मुलाक़ात में, हम तुम्हारे हुए।। इश्क़ आगाज़ है, चांदनी रात है, जगमगाता ये तारों की बारात है। हौले-हौले मोहब्बत की शुरुआत है, आशिकाना सनम तेरा अंदाज़ है। दोनों इक दूजे के अब सहारे हुए। इक मुलाक़ात...
Read Moreभगवान शिव को दूध से स्नान क्यों?
भगवान शिव को दूध से स्नान क्यों करवाते हैं? शिव, महादेव, भोले शंकर या फिर नीलकंठ। भगवान शिव को न जाने कितने ही नामों से जाना जाता है। भगवान शिव के बारे में कहा जाता है कि वो विनाश के देवता है यानि सृष्टि में जब-जब पाप की अधिकता हो जाती है तो शिव प्रलय..
Read Moreमानव चेतना की श्रेष्ठता
ब्रह्मांड में अनन्त अन्तरिक्ष है,अनन्त चन्द्र और सूर्य है।अनन्त ग्रह नक्षत्र है,बाहरी प्रकृति की खोज मानव चेतना का एक लघू प्रयास है,मानव चेतना इतना व्यापक और विस्तृत है कि उसकी खोज से मनुष्य सर्वस्व का ज्ञाता हो जाता है।इसलिए मानव शरीर और मानव चेतना का अ
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