काव्य

       18-02-2025

वे दिन भी क्या दिन थे

वे दिन भी क्या दिन थे, वे दिन भी क्या दिन थे। जब हमें कोई जिम्मेदारी न थी, जब हमें कोई परेशानी न थी, जब वक्त कटता था हंसने - हँसाने में, जब वक्त कटता था सुननें -सुनाने में, वे दिन भी क्या दिन थे। जब सुबह चिड़ियों की आवाजें कानों में गूँजती थी, जब शा..

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       02-08-2024

सावन

यह सावन आधारित गीत है, सावन माह की विभिन्न अठखेलियों का सजीव चित्रण किया गया है। नाचे मेरा तन- मन- मोर मेघ- वेग से नभ आच्छादित वन में बेमन डाल चकोर तभी अचानक मेघ गगन से छँटे सो विधु दिखा हँसे चकोर। मरुत् नहाती युवती सम है जलकण शीतल लिए हुए, चहु

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       05-07-2024

त्रिरंगम्

यह गीत मानव मात्र को देश के तिरंगे के प्रति उसके जिम्मेदारी हूं तथा कर्तव्यों का बोध कराने वाला है यह गीत संस्कृत भाषा में लिखा गया है इस जीत के मूल में यह भावना है कि सभी भारतीयों का तिरंगे के प्रति सम्मान हो ऐसी भावनाओं के साथ इस जीत का सृजन हुआ है..

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       08-03-2024

नारी...

नारी... नारी से जन्म... नारी से पलन... नारी से ललन... नारी से मिलन... नारी का दमन... नारी का दलन... नारी का शमन... नारी को नमन... नारी को पूजन... नारी को वंदन... नारी ही सनम... नारी ही सजन... नारी ही चमन... देख के पीड़ा नारी की... 'विमल' व्यथित है...

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       29-01-2024

अभिमान तिरंगा है।

तिरंगे की शान में अर्पित श्रद्धा सुमन अभिमान तिरंगा है हर घर तिरंगा है उत्तर में हिमालय है दक्षिण में सागर है पश्चिम के रेतीले मैदान पूरब हरियाली है ब्रम्हपुत्रा, सरयू ,कावेरी यमुना और गंगा है अभिमान तिरंगा ............ केसरिया वीरों का है..

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       24-10-2023

गीत नया गाता हूँ

काल समय समाज युग राष्ट्र के अतीत के परिपेक्ष्य में वर्तमान में उत्कृष्ट भविष्य के लिए आमंत्रण आवाहनं करती काव्य रचना । निश्चय निश्चित निष्छल काल दौर स्वीकारता कर्तव्य परम्परा के दायरे में सिमटना नही चाहता युग के साथ स्वछंद दौर को पुकारता काल कि स्वछंद..

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       31-08-2023

हम तुम्हारे हुए

तुम हमारे हुए, कितने प्यारे हुए। इक मुलाक़ात में, हम तुम्हारे हुए।। इश्क़ आगाज़ है, चांदनी रात है, जगमगाता ये तारों की बारात है। हौले-हौले मोहब्बत की शुरुआत है, आशिकाना सनम तेरा अंदाज़ है। दोनों इक दूजे के अब सहारे हुए। इक मुलाक़ात...

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       21-05-2023

दिल कृष्ण कृष्ण हो गया

मेरे दिल की बातों को कविता के माध्यम से बताया है। क्या कहता है दिल ? सुनो इसकी बाते सुनाए । दिल हो गया है कृष्ण कृष्ण, मन वृंदावन मे बस जाए । क्या कहता है दिल ? सुनो इसकी बाते सुनाए । दिल हो गया है राम राम

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       01-05-2023

तुम मजदूर हो

तुम मजदूर हो ।। मन विकल, काया शिथिल आंखें उम्मीदों से भरी । दो वक्त की रोटी मिले दुविधा यही सबसे बड़ी ।। बन प्रजा सेवक सदा,निभाते सदा दस्तूर हो । तुम मजदूर हो ।। दर-बदर हो तुम भटकते कुछ कार्य की तलाश में । कर्म से जो धन मिले जीवन कटे उल्ल..

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       02-04-2023

बधाईयां रामलला जन्में हैं अयोध्या

रामलला जन्मे हैं अयोध्या धाम ।। ढोल ताशे मृदंग ने दी हैं अपनी थाप और वीना ने भी छेड़ी हैं अपनी तान रामलला हैं जो जन्में, कायनात भी झूमकर द्वार लला के बधाईयां देनी हज़ार आज हैं आई ।। कौशल्या दशरथ नंदन चराचर जगत के स्वामी रघुवर के श्री चरणों.

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       02-04-2023

कोरी कल्पना

एक कवि की कोरी कल्पना को पूरा सा करती हैं एक कविता ।। मन,मस्तिष्क और कलम के खालीपन को भावों से सुसज्जित सा करती हैं एक कविता ।। जज़्बात बिखरते हैं जब कागज़ की फर्श पर स्याही के रंग हो अक्षर अक्षर संग मोतियों की माला जैसी पिरों सा जाती हैं एक..

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       20-02-2023

हाय कैसी किस्मत!

जन्म से बुढ़ापे तक एक औरत के राजकुमारी से भिखारि होने तक दशा को कविता के माध्यम से बताया गया है। जनमी तो वो भी माँ की कोख से थी पिता की गोद उसका राज सिंहासन था भाई की राजकुमारी थी वो बड़ी बहनो का सर पर स्नेहिल आचल था बड़ी दुलारी थी सबकी प्यारी थी एक प..

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       21-01-2023

कितना अजीब हैं ना

।। कितना अजीब हैं ना ।।

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       01-01-2023

नव वर्ष का सवेरा

नये साल पर कविता फूलों सा कलियों सा मन मुस्करायें भौंरों के गीतों सा हम गुनगुनायें धरती गगन गूंजें चिड़ियों का कलरव आओ मन की माला में हम गूथ जायें मोहक मनोहर लगे दुनिया प्यारा | नये साल का आया.............

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       31-12-2022

अंग्रेजी नव वर्ष क्यों मनाएं.....।।

फूलों सा कलियों सा मन मुस्करायें भौंरों के गीतों सा हम गुनगुनायें धरती गगन गूंजें चिड़ियों का कलरव आओ मन की माला में हम गूथ जायें मोहक मनोहर लगे दुनिया प्यारा | नये साल का आया पावन सवेरा || अम्बर..............

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       31-12-2022

नूतन वर्षाभिनंदन

नव उमंग नव खुशी मिलेजी, वन को नव आयाम मिले। सुख समृद्धि यश बल वैभव से, परिपूरित सम्मान मिले।। बीत गया जो वर्ष भूलकरन, वयुग का सत्कार करो । दीन-दुखी-निर्धन-निर्बल का, बन सेवक उद्धार करो ।। धरा गगन झूमे खुशियों से, कुछ ऐसा संकल्प करो ! निर्भय......

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       31-12-2022

समय

समय चल रहा है। हम सभी से कुछ न कुछ कह रहा।।

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       11-12-2022

तेरे घर की खिड़कियां

अब नहीं दिखती मेरे छत से, तेरे घर की खिड़कियां। जब से गली में ऊंचे-ऊंचे, मकान बन गए ।। खुशबुओं से महक उठती थी, राहों की जो फिज़ा ।। बहती वे हवाएं भी, तूफां में बदल गए ।। मिलते थे जिस गली के, नुक्कड़ पर हम कभी हमने सुना है उस जगह, चाय की दुकान खुल गए...

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       11-12-2022

तुम्हारी डीपी/DP

ढलती सुहानी शाम में जल उठी घरों में शमां । धवल-उज्ज्वल रोशनी से, निखर उठा आसमां ।। सिमट रही रवि किरणें, हो रहीं ओझल बन बावरी । श्वेता-श्याम घूंघट काढ़े, अवतरित हो रही विभावरी ।। बादलों की ओट से झांकता चाँद, बिखेर रहा जग में प्रकाश । मन हरती धवल चांद...

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       11-11-2022

मन की जीत - मन की हार

हार - जीत मन अंश जीवन का क्यों निराश करते मन को । लक्ष्य और आएंगे पथ में लो संकल्प, भूलो ग़म को ।। फूलों सा कोमल जीवन है पर कांटे भी हैं राहों में । निकल गया जो बचकर इससे खुशियां सिमटी बांहों में ।। बसंत ऋतु की सुखद प्रतिक्षा पतझड़ भी कर...

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       04-10-2022

चंदृबरदाई को पढ़ लेना......

रचनाकार क्या होता है...हम जो one mane army काॅसेप्ट कहते है उसे परम आदरणीय चन्दृबरदाई जी नें कर के दिखाया है ..कवि मित्रों... कोरा कागज क्या व्यक्त करता है, लेखनी ही इतिहास लिखती है । बीरता और वेदना अभिव्यक्त कर.. सत्ता ओर शाशन से लड़ती है ।। कलम...

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       30-09-2022

लेखक

दर्द को शब्दों में ढाल मरहम सा कर देता हूं मैं, दिल का हूं गर खफा थोड़ा सा भी कागज़ पर लिखकर उस खलिस को मिटा सा देता हूं चांदनी रात में तारों संग जाग अक्सर,कई घड़ियां बिता देता हूं मैं मिलने को खुद से तो,हुजूर! हो गए कई ज़माने फुरसत के चंद..

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       30-09-2022

बरसात

बहुत दिनों पहले की बात है। बरसात का दिन था। मौसम बहुत खराब था। कई दिनों से लगातार बारिश हो रही थी। चारों तरफ पेड़-पौधें हरे-भरे दिख रहे थे। चिड़ियाँ पेडों पर बैठीं मानो कोई बारिश का गीत गा रहीं हो। बादल ऐसे झूम रहे थे जैसे बहुत खुश हो। हवाएँ भी मस्ती में...

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       28-09-2022

सफलता चूमेगी कदम

जीवन के शिखर बिंदु तक पहुंचने के लिए त्याग,तपस्या और कठिन श्रम की आवश्यकता पड़ती हैं ।। बिना इनके,बड़े से बड़ा लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता हैं निरंतर प्रगति के लिए,जरूरी हैं ।। ईमानदारी,सत्यता और कर्मठता से कर्म किए जाएं जीवन पथ पर तभी,उज्ज्वल भवि..

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       12-09-2022

साहित्य की ताकत

संस्कृति सभ्यता का उपवन साहित्य ज्ञान की झांकी है। प्रगतिशील होता वह देश साहित्य जहां की साखी है ।। नर जीवन अधम अगोचर है साहित्य बिना संज्ञान कहां बंधुत्व प्रेम वात्सल्य निहित साहित्य जहां है, स्वर्ग वहां ।। दिशा मोड़ देता साहित्य उद्दंड सम..

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