
ब्लॉग प्रेषक: | राजीव भारद्वाज |
पद/पेशा: | व्यंग्यकार |
प्रेषण दिनांक: | 22-10-2024 |
उम्र: | 36 |
पता: | गढ़वा, झारखंड। |
मोबाइल नंबर: | 9006726655 |
हर सवाल का जवाब एक सवाल।
आईए आईए, कह कर नेता जी ने एक गरीब किसान से हाथ मिलाया और बोले, देखिए एक गरीब आदमी से भी मै हाथ मिला लेता हूं। ये एक बड़े नेता की निशानी होती है। आप जैसे फटीचर और गरीब मेरे घर के दरवाजे के भीतर चुनाव के घोषणा के बाद निडर होकर आते हैं, ये मेरी सहनशीलता और दयालुता को दिखाता है।
देखो राम सकल कोई गरीब हमारे फॉरच्यूनर को छू रहा है, उसे बोलो ये साइकिल नहीं है, इसमें हम चलते हैं। आप सब तो जानते हैं कि हम सेवक हैं, सेवा करना हमारा धर्म है। मुंह धो कर आए हैं तो जलपान कर लीजिए, राशन वाला चावल आदमी कितना दिन खाएगा ! पांच साल में एक महीना हम फटीचरों का पेट भरते हैं। नेताजी का मानना था कि जनता ही जनार्दन होता है, पांच सौ रुपया, एक बोतल दारू से इन सबों का जमीर आसानी से खरीदा जा सकता है। अरे आराम से खड़ा होइए, गोबर से लिपल घर नहीं है ई ! लाखों रुपया का कालीन है। जूता बाहर खोल कर आते, सुने नहीं हैं का की घर एक मंदिर होता है।
तभी एक पत्रकार महोदय आते हैं, नेताजी से चुनावी मुद्दों की जानकारी उन्हें जन जन तक पहुंचाना था।
वार्ता का अंश इस प्रकार है : -
पत्रकार - क्या आपको लगता है जनता विकास को देख कर वोट करेगी ?
नेताजी - आई एम होनेस्ट लीडर बीकॉज होनेस्टी इस द बेस्ट पॉलिसी।
पत्रकार - महोदय कृपया हिंदी में बोलिए क्योंकि आप हिंदी भाषा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं।
नेताजी - बात ये है कि मेरे पूज्य मरहूम पिताजी ने एक अंग्रेजी की अध्यापिका से विवाह किया था। जबकि मेरी अपनी माताजी शुद्ध रूप से गांव की अनपढ़ महिला थी। वैसे मैं पैदा तो अध्यापिका की कोख से होना चाहता था लेकिन टाइमिंग थोड़ा गड़बड़ हो गया। इसलिए अंग्रेजी से प्यार हो गया।
पत्रकार - जनता आपको क्यों चुनेगी ?
नेताजी - जनता प्यार चाहती है, और प्यार पूंजी मांगता है। मेरे पास प्यार भी है और पूंजी भी। मामला साफ है कि जनता मुझे ही चुनेगी।
पत्रकार - लेकिन आपके पार्टी में तो स्थानीय स्तर पर आपका काफी विरोध है ?
नेताजी - देखिए निरोध का बात मत कीजिए, बड़ा कमजोर बनाता है कंपनी वाला आज कल, साला फैमिली प्लानिंग किए थे, लेकिन निरोध ने हर बार धोखा दे दिया, आज सात बच्चों का बाप बन बैठा हूं।
पत्रकार - आपकी जाति का समीकरण इस बार कौन सा रुख अपनाएगी -
नेताजी - देखिए जब से राजनीत में आएं हैं जोड़ घटाव करके ही सत्ता में बने हुए हैं, समीकरण भिड़ाने में हम स्कूल के दिन से ही माहिर रहे हैं। फलाने का चिलाने से संबंध बनाना या बिगाड़ना मेरे बाएं हाथ का खेल रहा है।
पत्रकार - जनता आपको यंग एंग्री मैन और रॉबिनहूड दोनो का कॉकटेल समझती है, आपको क्या लगता है।
नेताजी - एक बार वोदका में माजा मिलाके सब पिला दिया था, रात भर शौचालय में भी रहना पड़ा था उस दिन के बाद अंग्रेजी से नफरत हो गया, महुआ रानी सबसे अच्छा है।
पत्रकार - आप अपने परिवार को कितना समय दे पाते हैं।
नेताजी - पांच साल का कार्यकाल रहता है मेरा, आचार संहिता का अगर महीना दो महीना छोड़ दिया जाए तो बाकी का सारा समय मेरा मेहरारू और बाल बुतरु में ही निकल जाता है।
पत्रकार - आपको लोकतंत्र में पूरा भरोसा है।
नेताजी - ये तो चुनाव परिणाम पर निर्भर करता है, यदि हमारी पार्टी जीती तो लोकतंत्र जिंदा है और यदि हारी तो ईवीएम का खेल हो गया।
पत्रकार - मुसलमान .....
नेताजी - जी हमने नहीं बनाया वो पहले से मुसलमान हैं।
पत्रकार - पहले प्रश्न सुन तो लीजिए ! अच्छा छोड़िए ये बताइए आप पक्ष पर भरोसा ज्यादा रखते हैं कि विपक्ष पर ।
नेताजी - बात ऐसा है कि ये जो नेतागिरी है इसके कुछ आदर्श होते हैं, इसकी कुछ राजनीति होती है तो हम उसी आदर्श पर चल रहे हैं।
पत्रकार - आप दक्षिण पंथी हैं या उत्तर पंथी।
नेताजी - जब आप प्रश्न पूछ ही लिए हैं तो सुनिए, आपका सवाल क्या था।
पत्रकार - आप भगवा हैं या हरा।
नेताजी - पिछली इलेक्शन के पहले हम भगवा थे लेकिन सरकार हरे की बनी तो हम हरि हो गए।
पत्रकार - तो फिर आपके आदर्श कहां गए।
नेताजी - हमारे परिवार को भोजन कहां से मिलेगा यदि आप भार उठाते है तो हम फिर से भगवाधारी हो जाते हैं।
पत्रकार - एक अंतिम सवाल .....।
नेताजी - देखिए हमारे जमाने के एक मशहूर गायक रफी साहब ने भी कहा है, एक सवाल तुम करो, एक सवाल हम करें, हर सवाल का जवाब ही सवाल हो।
पत्रकार - तो नेताजी जवाब कौन देगा।
नेताजी - जवाब तो भगवान देगा, उसे जो हमे वोट नहीं देगा। जाइए अब जनता की सेवा में लगना है मुझे।
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