| ब्लॉग प्रेषक: | राजीव भारद्वाज |
| पद/पेशा: | व्यंग्यकार |
| प्रेषण दिनांक: | 26-06-2025 |
| उम्र: | 38 |
| पता: | गढ़वा, झारखंड |
| मोबाइल नंबर: | 9006726655 |
डिप्रेशन में जा रहे हैं।
डिप्रेशन में जा रहे हैं।
पांच क्लास में पढ़ते थे, उसी समय हम दिल दे चुके सनम का पोस्टर देखा, अजय देवगन हाथ में बंदूक लेके दांत चिहारले था, मुंह खूने खून था, हम समझे बड़ी मार धाड़ वाला सनिमा होगा। स्कूल से भाग के, कॉपी पैंट में लुका के, तुरंत सिनेमा हॉल पहुंचे। साला इंटरवल तक सिनेमा देखे, सीधे डिप्रेशन में चले गए। एक बार तो मन किया था, आपन जीवन लीला यहीं समाप्त कर दें। जैसे तैसे आधा सिनेमा में ही भागे। कुछ जवानी जैसन बुझाने लगा तो लड़कियों के प्रति आसक्ति बढ़ी, लड़की के देख के उन्मादी हो जाते थे हम। एक दिन पान गुमटी के पास खड़े थे कि एक लड़की दिखी, उ भी हमरा गौर से निहारी, फिर क्या था उसी समय दिमाग में टाइम नोट हुआ और एक महीना तक उस जगह पर पूरे आठ घंटा ड्यूटी दिए, लेकिन वो दुबारा कभी नहीं दिखी। हां इसका फायदा भविष्य में हुआ जब नौकरी में एको मिनट आज तक लेट नहीं हुए। उसका न मिलने वाला इंतेज़ार भी एक महीना मुझे डिप्रेशन में ला दिया था, लगने लगा था अगर वो नहीं मिली जो जीवन लीला समाप्त कर लूंगा।
कई बार तो लड़कियों को प्रेमपत्र देने के बाद सार्वजनिक जगह पर सार्वजनिक रूप से प्रेमिका के भाइयों ने मुझे दम भर कूटा। जब जब काम भर कूटाता था, जीवन लीला समाप्त करने का मन करता था। इसी बीच एक बार सेना चयन के लिए दौड़ में गया, दौड़ते वक्त यही सोचा कि हम किसी लड़की को छेड़ दिए हैं और उसका रिश्तेदार सब मारने के लिए दौड़ा रहा है, दौड़ में मेरा पहला स्थान रहा, लेकिन जब मेडिकल टेस्ट में मूतने के लिए बोला और ये बोला कि पेशाब टुलू पंप के पानी जैसा निकलना चाहिए, बस उसी में फेल हो गए। फिर उसके बाद नौकरी के लिए एक हजार परीक्षा दिए, हर बार फेल होते गए। मन ऐसा निराश हुआ कि मत पूछिए, लगा गलती से भगवान हमको इस पावन धरा पर भेज दिया है, मेरी कोई उपयोगिता इस संसार में नहीं है। फिर लगा जीवन का बाकी बचा उम्र ईश्वर को वापस कर दूं।
साला जब गर्लफ्रेंड खोजने का उम्र था, उस समय हम ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन का उत्तर खोजने में रह गए। बाद में जब मेहरारू को उल्टी कराने का उम्र आया उस समय अपने बस में परीक्षा देने जाते वक्त उल्टी करते थे।
आज से बीस बरस पहले हमको पेट्रोल पंप में पेट्रोल भरने का काम मिला था, खूब मेहनत से काम करते थे, एक दिन एक हिरोईंची ने मेरा बीस हजार रुपया चुरा लिया, उसका इलज़ाम मुझ पर आया। मुझे चोर समझा गया, मेरी अंतरात्मा इतनी आहत हुई कि एक महीना डिप्रेशन में रहा और प्रतिदिन मरने से अच्छा एक दिन की मौत लगी। लेकिन हिम्मत ने साथ न छोड़ा, धीरे धीरे दिन बीत जाते हैं, लोग भी भूल जाते हैं।
एक दिन मेरे एक मित्र का फोन मेरे पास आया, जब उसने रुआंसे स्वर में मुझ से हैलो बोला तभी मैं समझ गया कि कुछ बात है। फिर उसने मुझ से कहा कि मैं जीवन से परेशान हूं, हाथ में सलफास है, फोन इसलिए किए हैं कि यदि मुझे कुछ हो जाए तो तुम मेरे घर वालों को बता देना कि मेरा बॉडी अमुक स्थान पर है। उसके इतना कहते हो मैने कहा कि भाई, जिस फोन से तुम हमको फोन किए पुलिस को जब पता चलेगा कि आखिरी कॉल मेरे पास की गई है तो, तोर मरे के बाद हमर गान पर लाठी मार मार के हमको मार देगा। मेरा इतना कहना था कि वो हस दिया, तुरंत सलफास फेंका और घर वापस लौट आया।
हर इंसान के जीवन में कठिनाई है, लोग परेशान हैं। लेकिन समस्या है तो समाधान भी है।
किसी को बच्चा नहीं हो रहा, दुनिया ताना दे रहा है, डिप्रेशन गजब का है। किसी के घर बच्चा विकलांग पैदा हो वहां भी डिप्रेशन है।
मेरे पास बेल्ट नहीं था, एक हाथ से हमेशा पैंट को पकड़े रखते थे, एक दिन ऑनलाइन वुडलैंड का बेल्ट मंगवाया, तीन दिन बाद मेहरारू के बनाए खाने में नुक़्स निकाल दिया, उस दिन बेल्ट की मजबूती से अवगत हुआ कि ब्रांड भी कोई चीज है, आठ महीने पीठ पर बाम रहा, डिप्रेशन में भी रहा, लेकिन गलत कदम नहीं उठाया, अब आदत हो गया है, चोट भी नहीं लगता है।
मेरे अजीज़ मित्र मनीष तिवारी जी कहते हैं, जब आप किसी बात को ज्यादा सोचने लगते हैं, प्रश्न करने लगते हैं और उत्तर भी स्वयं देने लगते हैं, दुनिया आपको नीरस लगने लगती है, आप एकांत पसंद करने लगते हैं, अपनी पीड़ा को दबाने लगते हैं तो समझिए अनहोनी को आमंत्रण देकर आप जग हंसाई करने की राह में आगे बढ़ रहे हैं।
आप कुछ गलत कीजिए, देखिएगा की सारा जमाना आपकी समीक्षा में लग जाएगा। मैने तो ऐसे ऐसे लोगों को देखा है कि जिसकी बहन खुद किसी के साथ भाग गई हो, वो भी दूसरे का चरित्र प्रमाण पत्र जारी करने में अव्वल मिला है। जिसका अपना चरित्र रोज कोठे पर नंगी अवस्था में रहता है वो भी दूसरे को प्रमाण पत्र बांट रहे होते हैं। एक घूसखोर अधिकारी को भ्रष्टाचार खात्मे पर एक एक घंटा बोलते हुए सुना है, फिर एक महीना के अंदर रिश्वत के जुर्म में जेल जाते भी देखा है। कहने का तात्पर्य है कि आप सोचिए लेकिन उस स्तर तक नहीं की कोई गलत कदम उठ जाए। हमने तो यह पढ़ा है कि बारहवीं बीबी के प्रेम की निशानी के तौर पर ताज महल बनाया जाता है। हाय रे प्रेम और उसके उपासक। चौदह साल जेल का सजा काट कर वापस आने वाले को धार्मिक प्रवचन भी करते सुना है। विकलांग होने पर दुनिया का उपहास फिर बाद में प्रशासनिक पदाधिकारी बनने के बाद चालीसा बनते भी देखा है।
डिप्रेशन आत्महत्या की पहली सीढ़ी है, याद रखिएगा की आप दुनिया से खुद जाकर उपहास का पात्र बनते हैं, और हां आप खुद नहीं मरते, आपके साथ मरता है आपका पूरा परिवार।
और सुने हैं कि मरला के बाद ऐसे लोग ही भूत बनते हैं और दूसरों के ऊपर सवार होकर उत्पात मचाते हैं। अरे भाई जब मकसद उत्पात मचाना ही है तो जीवन का मजा लेकर मचाओ। नरक कर दो दुनिया को, लेकिन अपना जीवन बचाओ।
कोई प्रेम में बौरा के ट्रेन से कट जाता है तो कोई प्रेम विवाह के पश्चात घरेलू कलह के कारण फांसी पर लटक जाता है। साला इन सब में प्रेम कहां है। आज तक समझ नहीं आया।
लौंडों, मेहनत करो छः हजार जमा करो, प्रेम से अच्छा आज कल रसिया का ऑप्शन है। आरोप, प्रत्यारोप, जमीर, ईमानदारी सिर्फ और सिर्फ कहने की चीज है। मित्रों में रहिए, बात बनाए, खुद खुश रहिए औरों को भी रहने दीजिए। जब भी मन में इस प्रकार का भावना आए अपने प्रिय मित्र से बात कीजिए, यकीन मानिए बाद में पता चलेगा आप खुद ही एक समस्या हो और आप ही समाधान भी। जब बाद में कभी अपने आवेश और डिप्रेशन को याद कीजियेगा तो खुद हंसी आएगा। और अंत में, मै आज भी फेल हूं, न ढंग का घर है, न उड़ानें लायक पेमेंट, लेकिन मस्त हूं। क्योंकि मेरे पास मेरे अच्छे मित्र हैं। जो मुझे समझते हैं और मैं उन्हें। यहां यह लिखना भी चाहूंगा कि पैसे के लेन देन में मित्रों का सहयोग, और खुद मेरा सहयोग शून्य होता है। हम और हमारे मित्र मंडली एक दूसरे के लिए तन और मन से सदैव साथ रहते हैं, धन का जिक्र होते ही, हमलोग को घर से मेहरारू का फोन आ जाता है फिर तुरंत घर निकलना पड़ता है।
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