| ब्लॉग प्रेषक: | नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर |
| पद/पेशा: | ज्योतिषाचार्य व साहित्यकार |
| प्रेषण दिनांक: | 11-05-2025 |
| उम्र: | 64 |
| पता: | गोरखपुर, उत्तर प्रदेश |
| मोबाइल नंबर: | +91 98896 21993 |
आदर्श व्यक्तित्व के धनी नरसिंह बहादुर चंद।
जन्म एवं शिक्षा
युग मे समाज समय काल कि गति के अनुसार चलती रहती है पीछे मुड़ कर नहीं देखती है और नित्य निरंतर चलती जाती है साथ ही साथ अपने अतीत के प्रमाण प्रसंग परिणाम क़ो व्यख्या निष्कर्ष एवं प्रेरणा हेतु छोड़ती जाती है!
विशेषता यह है समय काल गति कि प्रत्येक पल प्रहर परिवर्तन के साथ चलती है जो कभी सुखद तो कभी दुःखद अनुभूति के जीवन स्वाद के रुप मे अविस्मरणीय हो जाते है!
काल समय निर्मम होता है उसे किसी के साथ रहने न रहने का प्रभाव नहीं पड़ता है वह किसी क़ो अपने साथ स्थाई रूप से नहीं रखता स्थाई रुप से उन्हें अवश्य अपने अंतर्मन मे समेटे रहता है जिनके द्वारा काल समय का आदर सम्मान करते हुए सकारात्मकता सार्थकता के साथ समय समाज युग क़ो अपने पराक्रम ज्ञान योग से देने का प्राण पण से जीवन मूल्य का यज्ञ अनुष्ठान मानकर किया गया हो जिया गया हो!
आवश्यक नहीं कि ऐसा व्यक्तित्व वैश्विक स्तर या राष्ट्रीय स्तर पर ही समय समाज काल कि नित्य निरंतर यात्रा के धन्य धरोहर के रूप मे स्वीकार किए जाते हो ऐसे बहुत से उच्च कोटि के व्यक्तित्व हुए है या है जो ज्ञान योग कर्म एवं राष्ट्रीय सामाजिक कर्तव्य दायित्व बोध से ओत प्रोत अपने जीवन क़ो समय काल कि नित्य निरंतर यात्रा मे वर्तमान मे अतीत के आदर्शो अभिमान से प्रेरणा लेकर भविष्य क़ो अपने पराक्रम कि धरोहरों क़ो सौंप जाते है जो पीढ़ीओ क़ो अभिमानित करती उनका पथ प्रदर्शक बनती है!
ऐसे ही अनुकरणीय अविस्मरणीय व्यक्तित्व जिनके द्वारा समय काल परिस्थिति कि पल प्रहर कि युग यात्रा मे अपने परिश्रम पराक्रम से बहुत महत्वपूर्ण योगदान देकर जीवन एवं जीवन कि नैतिकता मर्यादा क़ो व्यखित कर आचरण व्यवहार व्यहारिकता के साधक के रूप मे प्रेषित किया गया है जो मुझे ऐसे ही एक असामान्य बालक का जन्म चौबीस नवंबर सन उन्नीस सौ अड़तीस क़ो ग्राम नर्रे पत्रालय -राजगढ़ जनपद गोरखपुर मे पिता स्वर्गीय अयोध्या चंद एवं माता स्वर्गीय सुदामी देवी के घर जेष्ठ पुत्र के रूप मे हुआ!
माता पिता ने अपने प्रथम कुल दीपक क़ो बड़े गर्व अभिमान से नाम दिया नरसिंह बहादुर चंद प्रिय होनहार संतान का प्रारम्भिक जीवन गांव नर्रे मे ही बीता गाँव से ही प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत उच्च शिक्षा ग्रहण किया!
शिक्षा के उपरांत देश के अनेक संस्थानों मे अपनी सेवाए दिया एवं जेष्ठ पुत्र होने के पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन किया इसी काल खंड में विवाह हुआ एवं एक पुत्र एवं तीन पुत्रीयो के पिता के रूप में पारिवारिक जिम्मेदारी कि
जिम्मेदारी के साथ अपने जीवन के मूल उद्देश्य क़ो लिए अंतर्मन में समाज एवं राष्ट्र कि सेवा का संकल्प लिए उद्धत विचारों के स्वतंत्र स्वाभिमानी प्रवृति के कारण नौकरी करना गंवारा नहीं था!
अतः उन्होंने नौकरी कि परतन्त्रता एवं सिमित जीवन के विकल्प मार्ग का त्याग कर स्वतंत्र विचारो कि जीवन शैली क़ो चुनते हुए उन्नीस सौ चौरासी क़ो स्थाई रूप से अपने गृहजनपद गोरख़पुर आ गए और स्वंय क़ो राष्ट्र हितार्थ समर्पित करते हुए सामाजिक सेवा एवं सामाजिक विसंगतियों के समापन हेतु संघर्ष क़ो समर्पित कर दिया!
स्वतंत्र अभिव्यक्ति एवं अन्याय के विरुद्ध साहस दृढ़ता से मुखर होते हुए अपने स्वतंत्र विचारों के साथ विरोध जनजागरण का कठिन यज्ञ अनुष्ठान ही अपने जीवन के उद्देश्य लिए अपने सामजिक सोच विचार क़ो यथार्थ के धरातल पर पराक्रम परिणाम के रूप मे स्थापित करने के लिए साहित्यिक आत्मबोध क़ो अपना जीवन पथ सहचर बनाया और गोरखपुर मे सांस्कृतिक साहित्यिक एवं सामजिक #संगम #कि स्थापना किया!
गोरखपुर के साहित्यिक समाज, जागरूक शिक्षित वर्ग क़ो जोड़ना शुरू किया उनकी मेहनत एवं समर्पण ने गोरखपुर के प्रबुद्ध वर्ग पर गहरी छाप छोड़ी परिणाम स्वरूप संगम धीरे धीरे विराट रूप लेकर गोरखपुर एवं पूर्वांचल के साहित्यिक समाज एवं प्रबुद्ध वर्ग क़ो प्रेरित आकर्षित करने लगा
और एक बड़े अनुष्ठान यज्ञ का रूप ग्रहण करने लगा जो उनके जीवन काल मे उनके विचारो कि अभिव्यक्ति का सामूहिक मंच बना!
साहित्य सेवा
नरसिंह बहादुर चंद एक नाम ही नहीं सिद्धांत सोच यथार्थ के परिणाम आंदोलन के स्वतंत्र निष्पक्ष जीवन यात्री तो थे ही साथ ही साथ पथ प्रदर्शक भी थे उन्होंने अपने अथक प्रयास से गोरखपुर एवं पूर्वांचल से एक से बढ़कर एक साहित्यकारों लेखकों कवियों परिचित कराया उन्हें उनकी लेखनी भावभिव्यक्ति के लिए मार्गदर्शन दिया और और
संस्कृतिक साहित्यिक सामाजिक संस्था कि विराटता कि छाया में फलने फूलने का अवसर प्रदान करते हुए जाने कितने नवंकूर साहित्य सेवकों क़ो उनकी आकांक्षा कि अवनी आकाश प्रदान करने में महत्वपूर्ण मार्गदर्शन देते हुए उन्हें स्थापित करने का पावन कार्य जीवनपर्यंत किया गोरखपुर एवं पूर्वांचल मे उनकी छाया आभा में पल्लवीत पुष्पपीत साहित्य साधको सेवकों का बहुत बड़ा समाज परिवार है
जो उनके जीवंत जीवन नैतिक मूल्यों आदर्श उद्देश्यों कि पताका क़ो अंबर में लहराते हुए उनके जीवन यश गाथा क़ो जीवंतता प्रदान करते हुए जागृत रखा है!
साहित्यिक उपलब्धि
नरसिंह बहादुर चंद #कौशिक # गोरखपुर पूर्वांचल कि माटी कि सुगंध के शाश्वत सत्य थे पूर्वांचल कि मातृ भाषा भोजपुरी है अतः चंद जी ने भोजपुरी भाषा क़ो संवृद्ध एवं साहित्य के धरोहर के रूप में स्थापित करने के लिए सम्पूर्ण जीवन प्राण पण से समर्पित रहे उनकि इच्छा थी भोजपुरी भाषा क़ो संविधान कि आठवीं अनुसूचि में सम्मिलित किया जाए इस अपूर्ण इच्छा के साथ उन्होंने भौतिक कया का त्याग किया किन्तु भोजपुरी के प्रति उनकी सोच समझ का सत्यार्थ है उनकी पहली कलाजयी कृति --
1-हर सिंगार( भोजपुरी संग्रह)
2-वर्ष 2011 में उनकी महत्वपूर्ण साहित्यिक कृति क़ब तक मौन रहोगे कविता संग्रह का प्रकशन हुआ!
3- दर्द कि दीवार गजल संग्रह!
साहित्यिक यज्ञ अनुष्ठान कि ज्योति क़ो मशाल बनाने के परमार्थ पराक्रम नरसिंग बहादुर चंद कौशिक #इंडियन मिडिया वेलफेयर फाउंडेशन #के अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण भूमिकाओ का निर्वहन किया!
4- द्विवर्षीय साहित्यिक पत्रिका संगम स्वर के सम्पादक के रूप मे
नवंकूर साहित्यकारों क़ो परिचित कराते हुए उन्हें उत्साहित करते हुए ऊर्जा प्रदान करने का महत्वपूर्ण कार्य किया!
5- हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र #शब्द पटल # का सम्पादन किया!
6- बिभिन्न कवि गोष्ठीयो में सम्मिललित होना एवं आयोजित करना गीत, गजल, दोहे आदि का नियमित सृजन करना आकाशवाणी, दूरदर्शन रचनाओ का अनेको बार पाठ आदि नरसिंह बहदुर चंद कौशिक कि जीवन यात्रा संकल्प कि साध्य साधना के कुछ सत्यार्थ मात्र है!
सम्मान-- नरसिंह बहादुर चंद कौशिक जी क़ो किसी भी सम्मान के पलड़े पर ना तो तौला जा सकता है ना ही मूल्यांकन किया जा सकता है फिर भी बताना आवश्यक है कि चंद जी क़ो अनेको सम्मान साहित्यिक सामाजिक संस्थाओ से प्राप्त हुए
मृत्यु से कुछ दिन पूर्व उत्तर पदेश साहित्यिक अकादमी द्वारा महत्वपूर्ण सम्मान से सम्मानित कर उनकी साहित्यिक सेवा क़ो मर्यादित एवं उचित सम्मान प्रदान किया गया!
सारगर्भित व्यक्तित्व
मेरी मुलाक़ात 2019 में नरसिंह बहादुर चंद जी से उन्ही के द्वारा स्थापित संगम कि नियमित मासिक काव्य गोष्टि में हुई थी मै प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका तब से नियमित ज़ब भी कोई अवसर मिलता मै चंद जी से मिलने कि कोशिश अवश्य करता
वास्तव में नरसिंह बहादुर चंद सरिखे लोग शांत निश्छल निर्विवाद निर्विरोध निर्विकार भाव से अपने जीवन क़ो समाज राष्ट्र कि सेवा सम्पूर्णता के साथ समर्पित कर देते है और उसी निश्चित भाव से समय समाज राष्ट्र क़ो भविष्य के लिए दृष्टि दृष्टिकोण दिशा अपने जीवन मूल्यों से प्रदान कर वेदना के स्मरण में छोड़ जाते है बहुत मुश्किल है लगभग असम्भव है नरसिंह बहादुर चंद हो पाना जीवन जी पाना नरसिंह बहादुर चंद प्रेरणा पराक्रम परमार्थ का प्रणाणिक पुरुष काल है!
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
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