
ब्लॉग प्रेषक: | नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर |
पद/पेशा: | सेवा निवृत्त प्रचार्य |
प्रेषण दिनांक: | 06-10-2024 |
उम्र: | 62 वर्ष |
पता: | गोरखपुर, उत्तर प्रदेश |
मोबाइल नंबर: | 09889621993 |
भोजपुरी के तुलसीदास रामजियावन दास
भोज पूरी के तुलसीदास--
राम ज़ियावन दास वावला-----
खले खले के जाती धरम करम रीति रिवाज बोली भाषा के मिलल जुलल बहुते विचित्रता से भरल बा भारत. भारत जईसन देशवा घर परिवार समाज की खतिर घमंड के बात बा.अईसन माटी ह जेकरे अचरा में किसिम किसिम के संस्कृति आचरण संस्कार के रंग विरंगा सुंदर सुंदर फूलन के महकत बागीचा जइसन भारत सगरो विश्व के अपनी तरफ खिचेला।
भारत के खास बाती में एकरे खले खले के भाषा संस्कृति एव वोकरे अग्रणी विद्वत लोगन के तप त्याग हवे।
पूर्वांचल भारत उत्तर प्रदेश के पूरब के भाग ह जहाँ भोजपुरी भाषा बोलल जाले भोजपुरी भाषा पश्चिम बिहार, पूर्वी उत्तरप्रदेश ,पश्चिमी झारखंड और झारखंड के उत्तर पूर्वी भाग मध्यप्रदेश नेपाल के तराई में बोलल जाले।
भोजपुरी पूरब हिन्द आर्य भाषा हउए भोजपुरी स्वतंत्र भाषा ह जऊँन मगधी से उपजल ह बंगाली, उड़िया, असमिया ,मैथिली, मगही के बोली भाषा क भोजपुरी भाषा के भगिनी कहल जाला।
नेपाल ,फिजी ,मॉरीशस में भोजपुरी भाषा के कानूनी संवैधानिक इज़्ज़त
मिलल बा .भारतो में आदिवासी राज्य झारखंड में दूसरा भाषा क दर्जा मिलल बा भोजपुरी जाने अऊर समझे वालन क घर दुआर रहन सहन सगरो महाद्वीपन पर बा जेकरे पीछे ब्रिटिश राज में के गुलामी के बहुत बड़ा योगदान बा।
भारत के गुलामी समय अंग्रेज उत्तर अउर पूरब भारत से मेहनत मजदूरी करे वालन लोगन के गुलाम बनाके ले गइलन जे कर लड़िका नाती पोता परपोता हउवन जिनके पुरनीया के अंग्रेज ले गइल रहलन ऊ लोग वोही बस गइल उहे लोग हवे सूरीनाम, गुयाना ,त्रिदिनाद ,टोबैगो , फिजी आदि देशवा खास हुउवन।
2011 कि आबादी गिनती बतावेले भारत मे छः करोड़ लोंगन द्वारा भोजपुरी बोलल जाले भोजपूरी अऊर सगरो संसार मे लगभग बीस करोड़ लोग भोजपुरी बोलेले भोजपुरी पहीले कैथी लिपि मे लिखल जात रहे. भोजपुरी क्षेत्र देश के पहिला राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद दिहले बा प्रधान मंत्री चंद्रशेखर, लालू प्रसाद यादव ,बीरबहादुर सिंह आदि महान विभूति दिहले बा भोजपुरी क्षेत्र
बहुत ऐतिहासिक धरोहरन से भरल बा.यही माटी में भोजपूरी भाषा के तुलसीदास कहे जालन राम जियावन दास वावला जी जनमलन.
आप लोगन के वावला जी के विषय मे कुछ बतावे के बहुत छोट प्रयास करत हई काहे कि राम जियावन दास जी के भोजपुरी भाषा के प्रति त्याग और तपस्या के लिख पावल हमारे जईसन साधरण अदमी के बस के बात नाही बा. राम जियावन दास जी के बारे में कुछ भी लिखल सूरज के दिया दिखावल जईसन बा उहे प्रयास हम अपनी समझ से करत हई।
जनम करम-
पूर्वाञ्चल पहिले बनारस जहां भूत भाँवर बाबा विश्वनाथ जी हउवन कहल जाला कि बाबा विश्वेश्वर विश्वनाथ कि त्रिरशूली पर काशी बनारस बसल बा बड़ी पवन माटी हवे कहल इहो जाला कि काशी बनारस कबो महापुरुषं के बिना नाही रहल चाहे जऊनो समय रहल होखे जय शंकर प्रसाद कामायनी के रचे वाला उपन्यासकार कहानीकार मुंशी प्रेमचन्द्र ,विरजु महाराज ,उस्ताद विस्मिल्लाह खान केतना नाम हवे याद करत करत जिनगी बीत जाई जे काशी कि माटी में जनम लिहलन काशी के साथ साथ भारत देसवा के मान बढवलन सूफी सन्त कबीर इहे जनमलन और गोस्वामी तुलसी दास जी रामचरित मानस के काशी में लिखलन काशी जिला शहर से पैंतीस चालीस किलोमीटर दूर काशी कि चकिया तहसील में एको गांव बा भीषमपुर बहुते साधारण परिवार में राम जीवावन दास वावला जईसन भोजपुरी भाषा के तुलसीदास कहे जाए वाले एक जून सन उन्नीस सौ बाईस जनमलन।
रामनिवावन दास क बपसी राम देव जी अपने लोहारी के जातीय कार धार करत रहलन माई सुरेश्वरी देवी घरे क कार धार देखत रहलींन राम जीवावन जी चार भाई और दु बहिनन में सबसे बड़ रहलन ।
अक्षर पटरी-
राम जियावन कि परिवार में पढ़ाई लिखाई के कौनो चलन नाही रहल एकरे बादो राम जियावन जी गवही प्राइमरी पाठशाला में नाम लिखवलन दर्जा चार पास कईले बाद पढ़ाई लिखाई छोड़ दिहलन.
पढ़े क मन रहे बनन ना जोग
कहे राम जियावन इहे कहल
जाला करम भागी क भोग।।
प्राइमरी पढ़ाई के समय ही राम जीवावन जी के कविता संगीत के शौख लग गइल कहावत मशहूर हवे सोहबत के असर आदमी पर जरूर पड़ेला राम जियावन जी के बड़े पिता राम स्वरूप विश्वकर्मा रामायण एव संगीत में रमल रहलन कविता गीत गवनई के साथी लोहार के परिवारिक कामो खूब मन लगा के करे लगलन राम जियावन जी ।
करम कुदारी खुरपा लोहा आग
राम जियावन सहे भोरे सांझ
निहाई क ताप।।
वियाह--
सोरहे वारिस कि उमीर में रामजियावन जी के वियाह मनराजी देवी से भइल अकेले रहलन निसफिकिर रहलन चिंता फिकिर रहे नाही वियाहे के बाद कपारे पर मेहरारू के जिममेदारी पड़ी गइल ।
रहे उमीरिया सोरहे साल
कौउनो फेर फिकिर ना
कौउनो हीत मीत ना
जानत रहलन
खाई पी दिन रहे बीतत।।
भइल वियाह
आपन कौनो नाही रहल ठिकान
बांधी दिहलन अऊर एक जिनगी
संघे माई बाप ।
का करे अब राम
जियावन गले
वियाहे के जय माल।।
आपन बोझ उतारी के
दिहले कई वियाह
माई बाप क लईका लड़की
क वियाह ह जिम्मेदारी
जिम्मेदारी दिहले निभाय ।।
माथे डारी दिहले
एक जिनगी अनजान
समझ राम जियावन
तू मनराजी क
करम अउर भाग।।
घर के माली हालत त ठीक ना रहल दू पईसा कमाए खातिर भैस पाले लगलन भैंस लेके भोरवे निकल जात रहलन गांव से बहुत दूर चल जात रहलन एहि सीलसिला में रामजियावन आम दरस कोल, भील, मुसहर समाज के लोगन से भइल इहे से भगवान राम पर भोजपुरी गीतन के लिखले के कार शुरू कइलन. राम जियावन जी के शुरू भइल भोजपरिया साहित्य के जिनगी ।
भईस चारवे जाई भोरवे
चरत भईस क पाछे चलत जाई
कहे रामजियावन भाई
कुल्ल भिल्ल समाज
मिलल मिताई।।
राम जब गईलें वन में
सेवक कुल्ल भिल्ल परिवार
रामजियावन में जंगल मे जागल
राम प्रेम मुसहर कुल्ल भिल्लन क
संगत साथ प्रभाव।।
वावला के किस्सा-
राम जियावन जी भगवान राम कि भक्ति के भोजपुरी में भजन लिखलन जेके छपवाए के खातिर अपनी हित दोस्त के साथे बनारस गईलें राम जियावन दास जी के नाम छः वरण के रहे तब भजन छापे वाले कहलन राम जियावन जी कौनो छोट नाव रखिल .राम जियावन जी पूरी रात उहापोह में खटिया पर एहर
वोहर होत सोचत का नाम धरि आपन भोरवे उठी के दशाश्वमेध घाट नहाए गइलन वहीं एक अनजान आदमी से टकरा गइलन जे से टकरईलन ऊ आदमी बहुत खिसियाईल और मुंह मे बुदबुदाए लागल राम जियावन जी के ऊ आदमी के खली वावला शब्द सुनाईल दिहलस तबे से राम जियावन जी आपन उप नाम वावला रख लिहलन।
भोजपुरिया भाषा और जीवन यात्रा--
सबसे पहले 1957-1958 में राम जियावन वावला जी क आकाशवाणी बनारस से ई कवि के रूप में
आपन लिखल भोजपुरी कविता वाचे के अवसर मिलल ऊंहा हरिराम द्विवेदी जी मिलनन राम जियावन जी कि नामे में दास जोड़ी दिहलन अउर पूरा नाम हो गइल राम जियावन दास वावला .
वावला जी भोजपुरी भाषा भाव कि कलम से गांव गिरांव किसान जीवन के मार्मिक सच्चाई लिखले हउवन कहल जाला कि आदमी पर वोकरे लालन पालन ,गांव गिरांव समाज समय परिस्थिति के बहुते गहीरा प्रभाव पड़ेला राम जियावन जी ए सच्चाई से अछूता नाही रहलन उनकर जनम गांव में बहुते साधारण परिवार में गुलामी के दौरान भइल रहे जेकर कारण ऊ गरीबी के दर्द किसानन के कराह गुलामी क घाव से घायल जिनगी रामजियावन जी जियले रहलन देखले रहलन जब कलम उठावे उहे भाव बनके उजागर होखे राम जियावन के भाव भाषा अऊर अभिव्यक्ति में।
जियले देखले जिनगी जऊँन
गांव गिरांव रोटी दाल
मिलत जब लगे
जाने केतना
जुगत जुगाड़
जियत आदमी लिहले
खाली भाव
कहे राम जियावन
बाकी सगरो अभाव।।
मजदूर किसान
गांव क इहे सच
सांस चलत रहे
दिखले में लागे जैसे
नर कंकाल
पेट भरे नाही
जांगर पिसे अईसे
जइसे जात
पीसत अनाज।।
मृत्यु--
जेकरे विषय मे वावला जी जिनगी भर सोचले आपन भाव भोजपुरी भाषा के गीतन में गवलन ठीक अंतराष्ट्रीय मजदूर दिवस पहली मई दू हज़ार बारह में नब्बे बारिस कि उमीरी में परिनिर्वाण कइलन।
जिनगी भर देत
रही गईलन सन्देश
लिखत रही गइलन
गांव देश के वेष
जेकरे खातिर जिनगी
वोकरे खातिर
खोतवा में
लुकाईल चिरई
जाने कौने देश।।
वावला जी क भोजपुरी में कृति गीतलोक----
वावला जी जब राम केवट प्रसंग के आपन लिखल भोजपुरी गीत गावे उनकी भर भर आँखी लोर निकले इतना रमी के भाव गहराई में डूबी जाए सुनवईया लोगन के त बात का ऊ लोगन के त आँखिन में लोर बहुत सिसकी आवत ई रामजियावन दास वावला के भोजपुरी भाषा लेखनी अभिव्यक्ति क वेदना संवेदना बा।।
(एसने भाव भोजपुरी भाषा के गीतकर मनोज तिवारियो जी वावला जी के बारे में कहीले)
गावे जब गीत वावरा
भर भर आँखिन लोर
भाव विभोर वावरा
भोजपुरी भाषा क
जैसे भौरा
भोरहि भजत राम के
खोजत राम के डुबल
राम नाम वावला
राम नाम के
दास राम के
सुनवाईया
बहिनी भईया
सजनी सईंया
सिसके
आँखिन से टपके
भर भर लोर।।
मान सम्मान---
1-
2002 कलकत्ता विश्व भोजपुरी सम्मेलन -- सेतु सम्मान।।
2-
2004 काशी रत्न अलंकरण।।
3-
एकता मंच-2009
पुरबिया गौरव सम्मान
4-
2009 अखिल भारतीय पूर्वा लोकरत्न संगीत महोत्सव -
(भोजपुरी तुलसी रत्न सम्मान)
5-
गाजीपुर -2011 ( भोजपुरी लोक रस सम्मान)
राम जियावन वावला जी क भोजपुरिया अनुष्ठान --
भोजपुरिया भाषा के लिए समर्पण त्याग तप करे वाला पहिला नाम आवेला भिखारी ठाकुर के जेकर जनम 1887 में सारण जिला बिहार में एक नाई परिवार में भइल रहे ।
भिखारी ठाकुर अपने नाटकन के मंचन से भोजपुरी भाषा के प्रति भोजपुरिया लोगन के अपनी भाषा संस्कृति के प्रति जागरूक करेंके भगीरथ प्रयास करे वाला पहिला आदमी हुउवन त राम जियावन बाबला जी भिखारी ठाकुर जी की पैंतीस बारिस बाद जनम लिहलन
और भोजपुरी भाषा के तुलसीदास कहईलन रामजियावन दास वावला के जनम लोहारे परिवार मे भइल जिनके भोजपुरी भाषा में भिखारी ठाकुर जी के बाद उनकर वारिस के दर्जा मिलल बा भिखारी ठाकुर और रामजियावन वावला जी मे एक समानता बहुते स्प्ष्ट दिखत बा एक त दुनो अति पिछड़ा समाज मे जनमलन दूसर दुनो के शिक्षा दीक्षा नाहीए के बराबर रहल भोजपुरी भाषा वालन के ई सोचे के परी कि भोजपुरी भाषा मे केहू सूरदास तुलसीदास कबीर काहे ना हो सकल सुर ,कबीर ,और तुलसी बहुते पढ़ल लिखल नाहि रहलन .आज के जरूरत भी इहे बा कि भिखारी ठाकुर और राम जियावन वावला जी के भोजपुरी भाषा खातिर कईल गइल त्याग तप के आगे बढ़ावल बहुते जरूरी बा भिखारी ठाकुर और रामजियावन दास वावला दुनो के जनम गुलामी के दौर में भइल. भिखारी ठाकुर त लगभग मुंशी प्रेम चंद जी के साथे ही जनमलन रामजियावन दास वावला जी मुशी प्रेम चंद की ही समय मे उनही कि जिला जवारे में जनमले.वावला जी भिखारी ठाकुर दुनो जनी अपनी मातृ भाषा भोजपुरी खातिर जियले मरले और आपन बोले वाली भाषा भोजपुरी के साहित्यिक भाषा बनावे खातिर जऊँन क गइल हवे ऊ त न भूतों न भविष्यति।
वावला जी के भाषा आपन मातृ भाषा भोजपुरी भले रहल बाकी उनकर भाव भारत के आम जन गरीब गुरबा किसान मजदूर के भोजपुरिया शब्द स्वर बनके गूँजल गुजतबा.
गुलामी के पीड़ा वोमे गरीबी भुखमरी जलालत जुलुम के देखले रहलन वावला जी अपने घर बाप दादा के लोहा पीटत निहाई पर तपत मन मारीके जियत जऊन देखलन जियलन वावला जी उहे लिखलन जनता तक पहुँचावे के कोशिश कइलन .वावला जनमवे बहुत मुश्किल समय मे भइल रहे तौनो समय मे केतनो परेशानी में आपन मातृभाषा भोजपुरी के उचित स्थान सम्मान दियावेके खातिर मरी खपि गइलन .
आज के भोजपुरिया लोगन के सोचे के पड़ी वावला जी के भोजपुरी भाषा खातिर कईल गइल तप चले पड़ी वावला जी के पथ पर त्यागे के पड़ी उच्छृंखलता और वावला जी के विनम्र शौम्य भोजपुरिया भाषा क्रांति शांति के एकजुट होंगे झंडा उठावे के पड़ी।।
चौरी चौरा के वीर सपूत तू जाग
जाग हो भारत रत्न राजिंदर जाग
जय जय जय प्रकाश तू जाग
कर्पूरी ठाकुर तू जाग
शेखर चन्द्र तू जाग
बीरबहादुर तू जाग
भोजपुरिया क माटी
करत पुकार
नही कौनो इज़्ज़त हमार
भाषा अनुसूची
अठ्ठारह में
नाही कौनो सम्मान
भिखारी ठाकुर वावला
भोजपुरी भाषा क सूरज
चांद क तप त्याग संवार
उठ जाग अपनी जियत
जिनगी क भिजपुरिया
आशीष तू मांग मान।।
भिखारी ठाकुर अउर रामजियावन
दास वावला के भोजपुरिया भाषा
सेवा के आज के समय मे बा दरकार--
भोजपुरी भाषा जेतना क्षेत्र में बोलल जाले वोके वर्तमान राजनीति के आँखिन से देकल जा त लगभग दू सौ विधानसभा और पचास ससदीय क्षेत्र होई खण्ड ब्लाक देखल जा त तीन सौ से अधिके खंड ब्लाक होई इतने क्षेत्र पंचाइत होई तीस से अधिक जिला पंचायत होई एक डेढ़ लाख गांवो होई भोजपुरिया क्षेत्र में .एकरे बादो भोजपुरी भाषा अपनी पहिचान खातिर दुआरे दुआरे भटकत बा अउर दुत्कारल जात बा एकर बड़ा कारण त इहे बा की भोजपुरी क्षेत्र बहुत पिछड़ल बा खासकर आर्थिक मामला में ना कौनो कल कारखाना ना कौनो व्यपार बट्टा के साधन जेकरे कारण भोजपुरिया लोगन के बहुत अच्छा नजर से कबो ना देखल गइल जब देश गुलाम रहे तब जेतना गिरमिटिया मजदूर गइल हवन ओमें भोजपुरिए भाषी ढेर हुउवन .भारत के अउरो कौनो कोना के लोग गिरमिटिया मजदूर नाहीए मिली. गुलामी के समय भोजपुरिया क्षेत्र गरीब अनपढ़ पिछड़ल रहे फिजी ,मॉरिशस, सूरीनाम त्रिदिनाद आदि देशन में झार रे झार मिलिहे भोजपुरिया जे गुलामी कि दौर में गुलामी कि वीभत्स स्वरूप में गुलाम बनिके गईलें उनकर घर दुआर समाज संस्कृति धर्म सब जबरन छीन लिहल गइल और उन्हें हजारों मील दूर बंधुआ जानवरन कि तरह पेट भर भोजन नाही पर खटावल जाय ई भोजपुरिया के पिछड़ेपन अशिक्षा गरीबी के दुर्दशा में गुलामी की दोहरा मार खइले भोजपुरिया देश त गुलाम रहबे कईल वोमे जे खाएं पीए लायक रहे वोके थोड़े गिरमिटिया मजदूर बनाके ले गईलें अंग्रेज जे निरक्षर रहे खइला पियला के मोहताज रहे ऊ भोजपुरिए क्षेत्र के लोग रहलन जिनके पकड़ी पकड़ी अंग्रज ले गइलन एसन एसन जगह जहां चिरई चूरूग के आता पता नही ले जाके छोड़ दिहलन जईसे रेगिस्तान में पानी निकाले के काम हो ऊ त धन्य हो भोजपुरिया लोगन के की ऊ आपन पहचान भाषा धरम संस्कृत बचवले रहलन जेकरे खातिर उन्हें केतना दुःख दर्द पीड़ा सहे के पड़ल तबो ऊ आपने माटी के पहिचान के बनाए रखलन आज हम सब भोजपुरिया बड़ा घमंड से कहिले कि मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम देशन में भोजपुरिया भाषा बहुते प्रचलित बा एकरे पीछे के दर्द जे जाने के जे कोशिश करी ऊहे भोजपुरिया भाव संस्कृति संस्कार के असली जानत बुझत बा।
जब देश स्वतंत्र भइल भोजपुरिया क्षेत्र में विकास के ज्योति जले में बहुते देरी भइल एकरे पीछे बहुते राजनीतिक तर्क दिहल जा सकेला बहुते राजनीति सामाजिक सरोकार जईसन मामला बा सबसे बड़ मामला भोजपरिया क्षेत्र में आपराधिक अधिकता भोजपरिया क्षेत्र में बहुते एइसन जवार जिला बा जहाँ घर घर नेता अपराधी बनेले अऊर बड़ आदमी समझेले अशिक्षा गरीबी के ई आलम बा कि मुम्बई भिवंडी पंजाब गुजरात आदि देश की सुदूर राज्यन में आजो भोजपरिया क्षेत्र से मजदूर जालन और ऊहाँ जाई के चाकरी करेमें भागी समझेले गुलामी कि दौर में जबरन गिरमिटिया मजदूर बनिके गइलन त आज कि दौर में मर्जी से अभाव में अंतर तब देश धरती दूसर रहे अब देशवो अपने बा भाषा वोही के सब स्वीकारे ला जे जन धन शिक्षा रुपया पईसा ताकत में जबर हो जईसे भारत के भाषा संस्कृत रहे मुगल आईले गुलाम बनवले ऊ हर मामला में ताकतवर रहले त आपन अरबी ,फारसी, उर्दू सिखवलन जऊँन एतना दिन बादो बहुते जगह बोल चाल में प्रचलित बा इहे प्रयोग अंग्रेजो कइलन जब ऊ भारत के गुलाम बनवलन त आपन अंग्रेजी भाषा सिखवलन काहे कि ऊ तब ताकतवर रहलन उनकर भाषा भारत के लोग सिखलस नतीजा ई भइल संस्कृत भाषा इतिहास हो गइल आज भारत के राष्ट्रीय भाषा नाही बा एकरे पीछे इहे सच्चाई बा जब संस्कृत भारत के भाषा रहे त कही कौनो दिक्कत ना रहे का पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण गुलामी के दौर के बाद भाषा के संक्रमण शुरू बा जाऊँन चलते बा ।
भारत जब आजाद बा तब देखल जा का स्थिति बा भारत की संविधान कि आठवी अनुसूचित में अठ्ठारह भाषा हई जेमे अइसनो भाषा बा जौऊँन एक दू लाखे लोगन बोले ले छः सात करोड़ लोगन के भाषा भोजपुरिया अबे त भारत के संविधान के आठवी अनुसूचित में आवे खातिर तरसती बा रोजे सुनगुन हो हल्ला उठेला ।
भारत की संविधान के आठवी अनुसूचित में उहे क्षेत्रीय भाषा बाड़ी जेके बोले वाला समाज रुपिया पैसा जन धन शिक्षा में सबल बा चाहे उनकर संख्या केतनो होखे ।।
उहे बाती बा कि भारत की आजादी कि लड़ाई में अंडमान निकोबार काला पानी सजायाफ्ता बहुते नगण्य लोग रहलन भोजपुरिया जबकि भोजपुरिया गिरमिटिया मजदूरन से देश बस गईलें जे पर भोजपुरिया लोगन के बहुते अभिमान बा एकरे मूल कारण के आजो ना त भोजपुरिया समाज सोचे के तैयाए बा ना चेतता खाली आपन आपन ढपली आपन राग बा।
ई त बतकही रहल ह भोजपुरिया भाषा के आजू और अतीत के अब एक और बहुत बड़ा कारण बा जऊँन भोजपुरिया भाषी लोगन के बहुते गंभीर होके सोचे के पड़ी ऊ बा भिजपुरिया भाषा मे भौंडापन अश्लीलता जेकरे कारण एतना मीठ बोली भाषा कहीं न कहीं से उच्छऋंखल लोगन के बोली भाषा बनत जात बा एसन छिछोरई भारत की कौनो क्षेत्रीय भाषा मे नाही बा ई बहुते बड़ चिंता बा जेपर भोजपुरिया भाषी लोगन के विचार करही के पड़ी नाही त उनकर आपन संस्कार अउरी पहिचान पर संकट बहुते जल्दी खड़ा होखे वाला बा जऊँन अच्छा लक्षण नाही बा भिजपुरिया लोगन अउर उनकी भाषा खातिर।।
जाग हो भोजपुरिया जाग
बाबू बबुआ बबुनी जागे
भईया बहिनिया जाग
साजन और सजनिया जाग
जाग जवान पुरनीया जाग।।
जाग हो भोजपुरिया जाग
जाग बाबा देवरहा जाग
जाग मंगल पांडे जाग
राघव बाबा दास जाग
भोजपुरिया के जाने वाला
माने वाला दिया और
चिराग जाग।।
वीर कुंअर तू
फिरसे जाग
गुरुवन के गुरु
शिव शंकर अवतारी
गुरु गोरक्षनाथ जाग
दिग्विजयी अविजित
बाबा अवैद्य नाथ जाग।।
जाग जाग जाग हो
भोजपुरिया जाग ।।
- नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर,
- गोरखपुर उत्तर प्रदेश
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