सूर्य काव्य संगम

मिष्ठान प्रेम

यात्रा संस्मरण, ईश्वर की कृति यह मानव देह विभिन्न प्रकार की इच्छाएं समेटे हुए हैं । कुछ पाने की, कुछ बनने की, कुछ होने की। इसमें सारा दोष है इंद्रियों का। जी ललचाए,,, रहा न जाए। बस इसी पंक्ति से शुरू करते है यह रोचक संस्मरण..

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भारत का गौरव नालंदा

भारतीय संस्कृति का गौरवगाथा नालंदा विश्वविद्यालय कलम मेरी चिंगारी बन जा लिख देना अमर कहानी जुबा पर सबके इंकलाब हो जागे हर हिंदुस्तानी भारत के पूरब में स्थित है ज्ञानकोष का महा प्रांत इतिहास है गौरवशाली जिसका कहते जिसको है बिहार प्रांत राजा मह

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मातृ भाषा

अंतर्राष्ट्रीय विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर विश्व पटल पर अपनी अलग पहचान लिए अपनी मातृ भाषा का महिमा मंडन काव्य द्वारा प्रस्तुत है।

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शीत ऋतु की विवशता

शीत लहर से कांपती धरा, मनुष्य, आदि की विवशता का वर्णन करती काव्य रचना

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स्वागत है नववर्ष

नव वर्ष का स्वागत और वास्तविक चित्रण

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प्रेम गीत

मनुष्य जीवन में प्रेम का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है, प्रेम व्यक्ति को एक दूसरे के पास लाता है और जीवन जीने की कला सिखाता है। प्रेमी के लिए प्रेमिका का आलिंगन जैसे बादलों में चांद को छिपा लिया हो। प्रेम को परिलक्षित करती काव्य रचना प्रस्तुत है।

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उठ जाग मुसाफिर भोर भई

नव ऊर्जा का संचार हेतु प्रेरक कविता ऐसा भी क्या था कि आप तो सबको हंसाते गुदगुदाते लोटपोट करते करते खुद मौन हो गए, जैसे हमारी परीक्षा लेने के लिए इतने दिनों तक मौन होकर बिस्तर पर एकदम खामोश हो जम से गये। माना हमारी कोई बात तुम्हें चुभ गई या हमारे...

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उठो धनुर्धर

महाकाव्य रामायण के युद्ध कांड में जब लक्ष्मण को शक्ति लगी और वे मुर्छित हो गये उस समय ईस्वर होते हुए भी प्रभु श्री राम साधारण मनुष्य की भांति विलाप कर रहे हैं और भाई के साथ व्यतीत क्षणों को स्मरण कर रहे I

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शहीद ए आजम

आज़ादी के महानतम क्रन्तिकारी भगत सिंह जी की काव्यात्मक जीवनी। सुना कभी एक सोन चिरैया, रहती थी मधुबन में I फिरंगियों ने आग लगा दी, आकर उस उपवन में I क़ैद हो गयी भारत माता, लोहे की जंजीरों में I कब सोचा था ऐसा भी दिन, आएगा तकदीरो में I रौंद दिया था..

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बेटी जन्म की बधाई

बेटी भी बेटो के सामान हर कार्य कर सकती है, कोई भेद भाव न करने को प्रेरित करती कविता बेटियों को भी समान अवसर मिलना चाहिए...

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बसंत की बहार

बसंत ऋतू का विस्तृत वर्णन सरसों की महक सी, पंछियो की चहक सी I प्रेम के गीत सी, घास पर शीत सी I वर्षा की फुहार सी, बसंत की बहार ऐसी I लोहड़ी की आंच सी, मयूर के नाच सी I लहरों के तरंग सी, उडती पतंग सी I होली के त्यौहार सी, बसंत की बहार ऐसी I

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स्वागत है मधुमास

ऋतुराज बसंत का स्वागत गीत नवसम्वत्सर की बेला है, नवऋतुओ ने श्रृंगार किये I आमों पर हैं खिली मंजरी, स्वागत है मधुमास प्रिये II नवरात्रि का पावन उत्सव, पूजन से वर्षारम्भ करें I नवमी तिथि जन्में रघुनन्दन, हम सबका कल्याण करें II पुष्प सुसज्जि..

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