| ब्लॉग प्रेषक: | surya prakaash |
| पद/पेशा: | block mission manager |
| प्रेषण दिनांक: | 22-12-2022 |
| उम्र: | 33 |
| पता: | siddharthnagar, uttar pradesh |
| मोबाइल नंबर: | 9580008185 |
आंगन का नीम
आंगन का नीम
वक्त का
प्रतिबिम्ब बनकर
नीम तरु आंगन
खड़ा,
मौसम कई थे देखे
इसने
फर्क न इसपर पड़ा
I
पंछियो के नीड़
कितने
बनके फिर गिरते
रहे,
सुनके सबकी
चहचहाह्ट
पुष्प भी खिलते
रहे I
एक दिन था बंद
जीवन
बीज में ठहरा
हुआ,
धरती का वो पा
के आंचल
अंकुर
प्रस्फुटित हुआ I
वर्षा की शीतल
सी छाया
जन्मी दो कोपल
नई,
जिसकी फिर
सखियाँ बनी थी
घास की झुरमुट
कई I
था समय अद्भुत
कि जिसमे
घर में नव
खुशियाँ मिली,
नीम के उस पौध
संग में
बेटी की मुस्कान
खिली I
शीट की वो ठंड सहकर
ग्रीष्म में
तपता रहा,
वर्षा के जल से
था सिंचित
वह सदा बढ़ता रहा
I
बेटी को थी गोद
माँ की
पल्लू भर संसार
उसका,
हासिल उसे थी
सुविधा सारी
डर उसे था किसका
I
नीम तरु के सम
ही बेटी
आहिस्ता बढने
लगी
झूलों की वो वेग
संग में
आसमा छूने लगी I
हो विदा एक रोज
आंगन
छोड़ बाबुल का
चली
माँ की बिटिया
लाडली थी
आज गृह लक्ष्मी
बनी I
वर्ष बीते थे कई
अब वृक्ष भी
बूढ़ा हुआ
दिल बंटे थे घर
के हिस्से
हर जमीन टुकड़ा
हुआ I
न रहे अब पेड़
कोई
न ही वो आंगन
रहे
दिख रहे है
दीवारे
घर व मन में बन
रहे I
आज मिलकर प्रण
करें
कि संस्कारी सुत
बनें
धैर्य, उर्जा,
धर्म, विद्या
गुण से वे सज्जित रहें I
अर्थ, माया,
काम, क्रोध
विश्व की न छू
सके
आज हमें है
फ़िक्र जिनकी
कल हमारी भी
करें I
-सूर्य
प्रकाश त्रिपाठी “वागीश”
सिद्धार्थनगर,
उ०प्र०
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