कविता/दोहा
जीवन के विविध रंग के दोहे
मन पुलकित, तन हर्षित हुआ, आए हैं ऋतुराज । दुल्हन सी धरती सजी, पिया मिलन की आस।। खुशबू फैली दिग-दिगंत में, बिखर गया परिमल चहुंओर। पुष्प की मनहर आभा से, हुई सुहानी भोर ।।
Read Moreगरीबों का दर्द कौन समझे
आधा नंगा बदन में, बदहोश जो होता रहा। सड़क पर होकर खड़ा,
Read Moreइस आसमां में उड़ने की अब बारी हमारी है
इस आसमां में उड़ने की अब बारी हमारी है। औरों से क्या लड़ना अभी तो खुद से लड़ने की बारी है। इन परिंदों से कहेंगे कि हमें अपना दोस्त बना लें,
Read Moreभावों संग होली के रंग
होली रंगों का त्योहार है आपस में मिलने जुलने शिकवा शिकायतें मिटाने का...
Read Moreनाम करूँगी रौशन मेरे पापा
बेटी हूँ तो क्या हुआ किसी का दिल नहीं दुखाना आता। नहीं किसी पर बोझ बनूँगी...
Read Moreनारी एक ज्वाला
ममता की मूर्ति नारी सृष्टि क्रम को गतिमान रखती नारी ममता,दया करुणा की प्रतिमूर्ति...
Read Moreमाँ की ममता, माँ से ही जहान है।
मां के बिना विरान ये सब संसार है, मां में ही तो समाया तीनों जहान है। मां का मिले लाड़ दुलार वो वरदान है..
Read Moreदिखावे की मोहब्बत
काम की बातें थे करते जाम उनको चाहिये मज़हबी नफ़रत फैला कर नाम उनको चाहिये...
Read Moreस्त्री जग जननी है
बे पर्दा रहना स्त्री को ये नहीं लिखा धर्म ग्रंथों में पर्दा का समर्थन क़ुरान करे...
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