| ब्लॉग प्रेषक: | डॉ. अभिषेक कुमार |
| पद/पेशा: | साहित्यकार व विचारक |
| प्रेषण दिनांक: | 17-08-2025 |
| उम्र: | 36 |
| पता: | ठेकमा, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश |
| मोबाइल नंबर: | 9472351693 |
मेरे मन का चांद..
मेरे मन का चांद
मेरे दरख़्त के ऊपर बादलों में अटखेलिया करता ये चांद,
तुम कितने शांत, शालीन हो, तुमसे नैन मिलाने को जी चाहता है।
ये चांद, तेरी चांदनी से बरसता नूर व शीतलता,
जिसमें अपनी तन्हा आंखों को डूबा देने को जी चाहता है।
तेरी किरणों का स्पर्श, जैसे माँ की गोद का आलिंगन,
हर धड़कन में बस जाता, एक अनमोल सा स्नेह-स्मरण।
तेरी रोशनी में डूबे, मन के सारे दर्द पिघलते हैं,
तेरे पास रातों में, बस खो जाने को जी चाहता है।
जब तारे तेरे सामने, अपनी चमक भूल मुस्कुराते हैं,
तेरी चांदनी में अपनी हसरतों को रंगकर हम सपने सजाते हैं।
तेरा जादू ऐसा बंधे, कि दिल की हर पुकार थम जाए,
तेरे सामने बस कुछ गुनगुनाने को जी चाहता है।
ऐ चांद, तू साक्षी है मेरे अनकहे अरमानों का साथी है,
तेरी किरणों में बिखर जाए, रात भर तुम्हे देखने को मन हर्षाए।
तेरे उजाले में बेसुध हो कर, मैं भूलूं सारी कसक पुरानी,
तेरे साथ चलते-चलते, बस तुझमें समाने को जी चाहता है।
तेरी शीतल बयारो में, हर अवसाद मिटाने को दिल करता,
तेरे नूर में डूबकर, ये दिल अंगड़ाई को उफनता।
ऐ चांद, तू मेरे मन का, एक अनछुआ सा सपना बन जा,
तेरी राहों में खोकर, बस तुझमें नैन मिलाने को जी चाहता है।
डॉ. अभिषेक कुमार
साहित्यकार व विचारक
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