| ब्लॉग प्रेषक: | Shri Satyaswaroop Saheb |
| पद/पेशा: | आध्यात्मिक रहस्य की खोज |
| प्रेषण दिनांक: | 19-06-2024 |
| उम्र: | 38 |
| पता: | हिमाचल |
| मोबाइल नंबर: | 09340336644 |
आक्सीजन प्राण नही है।
प्राण आत्मा का गुण है आत्मा(जीवन) की प्रतीति प्राण से ही है।प्राण अगर शरीर से निकल जाता है तो प्राणांत अर्थात मृत्यु हो जाती है,जीवित प्राणियों में जीवन सांसों पर आधारित है।जब तक सांस चलती है,जीव जिंदा रहता है,सांसों का रुक जाना ही मृत्यु है।शरीर में सांस प्राणवायु(oxygen) जीवित होने का प्रमाण है। लेकिन यह प्राणवायु प्राण नहीं है। दोनो में अंतर है।आपने देखा होगा कि ICU में वेंटीलेटर लगे होने के बावजूद रोगी मर जाता है।मतलब शरीर से प्राण निकलने के बाद अगर कितनी भी ऑक्सीजन दो कुछ नहीं होता।योग में प्राणवायु पर नियंत्रण की बड़ी महत्ता है। प्राण साधना को प्राणायाम कहते हैं। इसमें पारंगत योगी वातावरण में मौजूद तत्वों को साधने में समर्थ होकर शरीर के अवयवों के ह्रास को नियंत्रित कर लेता है।आप किसी मशीन की (regular) सर्विसिंग कर उसकी (life) बढ़ा सकते हैं।उसी प्रकार प्राणवायु को नियंत्रित कर शरीर की उम्र बढ़ा सकते हैं।शरीर आत्मा का वाहक है, जब तक ठीक है प्राणवान रहेगा। शरीर के प्रधान अंग या अंगों के नाश से प्राण शरीर छोड़ देता है।इसलिए प्राणायाम की बड़ी महिमा है। प्राणवायु पर नियंत्रण प्राण(आत्मा) के बोध की कुंजी है!!
@सत्यस्वरूप साहिब
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