| ब्लॉग प्रेषक: | डॉ. श्याम लाल गौड़ |
| पद/पेशा: | शिक्षक |
| प्रेषण दिनांक: | 20-02-2024 |
| उम्र: | 40 |
| पता: | प्रवक्ता श्री जगदेव सिंह संस्कृत महाविद्यालय सप्त ऋषि आश्रम हरिद्वार पिन कोड़-249410 |
| मोबाइल नंबर: | 9368760732 |
मतदान (लघुकथा )
मतदान (लघुकथा)
मतदान हमारे लिए किसी मेला, महोत्सव से कम नहीं है। इस उत्सव को हम संपूर्ण राष्ट्र में बड़े धूमधाम से राष्ट्रपर्वों की तरह मनाते हैं। यह त्यौहार हमारे लिए कन्यादान, रक्तदान, नेत्रदान और भी जो श्रेष्ठदान हैं, उनसे बढ़कर के है, इसलिए मतदान के लिए हम सब अपनी शत-प्रतिशत शक्ति लगा देते हैं। मतदान से हमारी रीति-नीति, हमारा सुख,दुख, विकास, शिक्षा, रोजगार, भूत भविष्य और वर्तमान सब जुड़ा हुआ है। मतदान करना हमारी मजबूरी नहीं है, हम सबकी जरूरत है। इस विषय को लेकर एकांत में बैठे हुए, चार नवयुवक इस पर गहन मंथन कर रहे थे।
जिनका का नाम क्रमशः रघुवर, निपुण,रामदत्त, और असहाय।
रघुवर ने एकांत में बैठे अपने मित्रों के बीच में एक धधकता हुआ प्रश्न छोड़ा कि मतदान किसको होना चाहिए ? फिर क्या था, निपुण, रामदत्त और असहाय से रहा नहीं गया सभी उत्तर देने के लिए आतुर हो गए। सब एक दूसरे को रोककर, सर्वप्रथम अपनी बात रखने के लिए तत्पर हो गये ।
सर्वप्रथम निपुण ने अपनी बात रखी- भाई मतदान है मतदान, दान किसी को ऐसे ही थोड़े दिया जाता है, उसके लिए पहले पात्र और
कुपात्र का विश्लेषण करना जरूरी होता है, कहीं हमारा दान किसी कुपात्र के हिस्से में तो नहीं जा रहा है, यदि हमारे द्वारा दिया गया दान कुपात्र को मिलेगा तो निश्चित ही हमारे लिए भविष्य में घातक सिद्ध होगा, क्योंकि यह एक एेंसा दान है, जो हमको शिक्षा, विकास, रोजगार,न्याय, चिकित्सा, आदि के रूप में प्रतिफलित होता है, इसलिए मतदान किसको देना है, दान करने से पहले हमें तय जरूर करना होगा, हमें इस निष्कर्ष पर जरूर पहुंचना होगा, कि जो दान हम देने जा रहे हैं और जिसको दे रहे हैं। वह पात्र है अथवा कुपात्र।।
जैसे ही निपुण की बात समाप्त हुई, असाय ने अपना पक्ष रखना प्रारंभ किया- भाई मुझे तो लगता है, कि मतदान पहले भी बिकता रहा है और आगे भी बिकता रहेगा, केवल आप और हमारी चर्चा से मतदान किसको मिले,यह तय नहीं होगा। आप तो जानते हैं कि समाज में मतदान प्राप्त करने के लिए किस प्रकार के हथकंडो का इस्तेमाल होता है। मतदान को प्रभावित किया जाता है, मतदान दारू के नशे में होता है, मतदान एक डर्रे वाली सोच को मन में बिठाकर होता है, मतदान होता है स्वार्थ को देखकर, मतदान झंडे को देखकर, बैनर को देखकर और नेता की चमक-धमक को देखकर होता है, मतदान होता है लोक लुभावने मेनिफेस्टों पर। ऐसी स्थिति में पात्र और
कुपात्र के बारे में सोचना कहां तक न्यायोचित है।।
असाय कि बात को सुनकर रामदत्त बोले भाई आप मेरी बात का बुरा मत मानना आप सही कह रहे हैं, मैं आप को दोषी नहीं ठहरा रहा हूं और ना ही मैं आपकी बातों का बुरा मान रहा हूं,क्योंकि आप वही कह रहे हैं जो आपने देखा और सुना है, जिसको आपने महसूस किया है, इसमें झूठ कुछ भी नहीं है, परंतु मेरा मानना है, कि यदि हमारी दृष्टि बदलती है तो निश्चित है कि हमारी सृष्टी बदल रही है। जो आपने कहा वह अब तक होता आया होगा, लेकिन यदि हम उसे रोकेंगे नहीं तो, वह आगे भी होता रहेगा। आप क्या चाहते हैं? कि मतदान दिया जाना चाहिए या लिया जाना चाहिए । भाई दान देने की वस्तु होती है, छीन कर लेने की नहीं, इसलिए मतदान के लिए हम लोग स्वतंत्र हैं, बशर्त यह है, कि हमको अपनी ताकतों को समझना होगा। अपने मतदान की कीमत को समझनी होगी। हम को समझना होगा, हमें मत देना है अथवा बेचना है। मतदान राष्ट्र निर्माण के नाम पर, विकास के नाम पर, शिक्षा, चिकित्सा और समाज की आवश्यकताओं के नाम पर हो, मतदान हमारे बच्चों के भविष्य के नाम पर हो, मतदान शुद्ध, साफ, स्वच्छ नियति को हो, कर्मयोगी को मतदान प्राप्त करने का अधिकार है, मतदान है भाई मतदान ।इसकी ताकत को समझो, इसकी शक्ति से हम सबको परिचित होना होगा। यह मतदान राष्ट्र बनाता भी है और बिगड़ता भी है, इसी मतदान में हमारे राष्ट्र का उत्कर्ष और अपकर्ष दोनों ही छुपे हुए हैं।
आप क्या चाहते हैं?
राष्ट्रोदय,
एक भारत श्रेष्ठ भारत,
स्वच्छ भारत सुंदर भारत, शिक्षित भारत। यदि जो मैं सोचता हूं, वह हम सब सोचे तो निश्चित ही, हम अपने सुंदर सपनों को साकार होते हुए देख सकते हैं, परंतु हमें इसके लिए अपने मताधिकार का शत प्रतिशत प्रयोग करना होगा।
हमें मतदान करना होगा।
100% मतदान करना होगा। बढ़-चढ़कर मतदान करना होगा।
विकास के नाम पर मतदान करना होगा।
राष्ट्रोदय के लिए मतदान करना होगा।
सुंदर और श्रेष्ठ भारत के लिए मतदान करना होगा।।
शिक्षित और विकसित भारत के लिए मतदान करना होगा।
स्वस्थ और समृद्ध भारत के लिए मतदान करना होगा।।
मतदान होगा यदि पूरा पूरा, विकास नहीं रहेगा कभी अधूरा।
मजबूत मतदान की सोच से, होगा विकसित राष्ट्र का सपना पूरा।।।
©डॉ.श्याम लाल गौड़
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