| ब्लॉग प्रेषक: | आर सी यादव |
| पद/पेशा: | |
| प्रेषण दिनांक: | 18-03-2022 |
| उम्र: | 48 |
| पता: | जौनपुर, उत्तर प्रदेश |
| मोबाइल नंबर: | 9818488852 |
शिक्षा संस्कार सियासत और धर्म
शिक्षा, संस्कार, सियासत और धर्म
_______ आर सी यादव
धर्मो रक्षति रक्षितः अर्थात जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। महाभारत और मनुस्मृति का यह प्रेरक संस्कृत वाक्यांश धर्म की रक्षा करने की प्रेरणा देता है। परन्तु वर्तमान समय में विभिन्न विचारधाराओं ने धर्म का वास्तविक अर्थ ही बदल कर रख दिया है। सभ्यता और शालीनता ने कट्टरपंथिता को ले अपना लिया है। राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण धर्म का वास्तविक स्वरूप ही बदल गया है। धर्म के नाम पर धर्म के ठेकेदारों ने समाज सीधे सादे के लोगों को अपने भ्रामिक विचारों और गैरजरूरी शिक्षाओं से अपने वश में कर लिया है । परिणामस्वरूप समाज में धर्म के प्रति सम्मान और समर्पण जरुरत से कुछ ज्यादा ही हो गया है । धर्म के प्रति लोगों का जुनून कुछ इस तरह बढ़ गया है कि जनमानस में धर्म की आड़ में नैतिकता और अनैतिकता का बोध नहीं रह गया है।
धार्मिक उन्माद की पराकाष्ठा यह रही कि पिछले कुछ दिनों से कर्नाटक स्कूल और कॉलेज में मुस्लिम छात्राओं द्वारा हिजाब पहन कर आने पर शुरू हुआ विवाद पूरे देश के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है कि आखिर शिक्षा मंदिरों में ज्ञान की जरूरत है या धार्मिक अनुष्ठान की । संविधान के अनुच्छेद 25 में वर्णित धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के मुताबिक देश के हर नागरिक को अपने धर्म को मानने और उसके अनुसार रहन-सहन की आजादी है , परन्तु इसका यह मतलब नहीं कि धार्मिक अधिकारों के नाम पर कहीं भी उन्माद पैदा किया जाए ।
हालांकि 15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट की जस्टिस ऋतुराज अवस्थी, जस्टिस केएस दीक्षित और जस्टिस केएम काजी की तीन सदस्यीय पूर्ण पीठ ने सर्वसम्मति से स्कूल और कॉलेजों में हिजाब पहने पर लगाई गई रोक को उचित ठहरा कर इस विवाद का अंत कर दिया है । पीठ ने कहा है कि हिजाब पहनना इस्लामी आस्था में अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है और स्कूल यूनिफार्म पहनना किसी भी रूप में अधिकारों का उलंघन नहीं है । इसे संवैधानिक रूप से स्वीकार किया जाना चाहिए।
कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला काबिले तारीफ है जिसमें तीन सदस्यीय पूर्ण पीठ ने सभी विवादों पर विराम लगा दिया है। परंतु सवाल आज भी यही है कि समाज के लोगों को धर्म के नाम अनुचित कदम उठाने प्रेरणा कौन देता है? धर्म के ठेकेदार , समाज के रहनुमा अथवा राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी? मेरा मानना है कि शिक्षा, संस्कार, सियासत और धर्म को एक सूत्र में बांधना गैर कानूनी, गैर जिम्मेदाराना और संविधान के विरुद्ध है । शिक्षा हर नागरिक को आत्मीय ज्ञान और सामाजिक पहचान देती है जिसकी बुनियाद पर वह शिक्षित, संवेदनशील, मानसिक रूप से परिपूर्ण, आर्थिक रूप से समृद्धिशाली और दैनिक जीवन में सफल होता है। शिक्षा देश के हर नागरिक की विरासत है जिसके बिना पर वह सामाजिक प्रतिष्ठा को प्राप्त करता है। शिक्षा से ही संस्कारों का सृजन होता है। हमारी शिक्षा जितनी ही श्रेष्ठ और ज्ञानपरक होगी हमारा संस्कार उतना ही प्रभावशाली और गौरवशाली होगा । शिक्षा की बुनियाद पर ही हमारा अस्तित्व टिका हुआ है। मानव जैसा संवेदनशील प्राणी अगर धर्म की आग में झुलसने लगे तो उसका भविष्य अंधकारमय हो जाता है। शिक्षा और संस्कार में राजनीति का तड़का समझ से परे और हास्यास्पद है। धर्म की आड़ में सियासत करने वाले राजनेताओं को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए कि वे अपने वोट बैंक की खातिर किस तरह का घिनौना खेल खेलते नजर आते हैं । समाज को भ्रमित करने वाले धर्म के ठेकेदार और सियासत के लोग मासूम जनता धर्म के नाम पर धार्मिक उन्माद में झोंक देते हैं। जनता राजनेताओं के इस खेल को समझ नहीं पाती और धार्मिक भावनाओं से प्रेरित होकर अपने आप को विवादों की आग में झोंक देती है।
कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा स्कूल और कॉलेज में हिजाब पहनने पर पाबंदी लगाने के साथ ही मुस्लिम छात्राओं की प्रतिक्रिया समझ से परे है। बिना हिजाब के स्कूल और कॉलेज न जाने का उनका फैसला तर्कसंगत नहीं है। शिक्षा और धर्म को एक पलड़े पर तौला नहीं जा सकता। धर्म हमारी आस्था, श्रद्धा और विश्वास है परंतु शिक्षा हमारी सफलता और सुखी जीवन की बुनियाद है। विचारों के आदान प्रदान और अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए हर इंसान को शिक्षित और योग्य होना जरूरी है। शिक्षा हमारे जीवन का आधार है जिसके बिना सफलता की रूपरेखा तैयार नहीं की जा सकती। समाज में अपना अस्तित्व बनाए रखने और सामाजिक प्रतिष्ठा को कायम रखने के लिए शिक्षा का अवलंबन आवश्यक है। शिक्षा प्राप्त करना हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है, फलस्वरूप स्कूल और कॉलेज जाने वाले किसी भी धर्म छात्र छात्राओं को चाहिए कि वे स्कूल और कॉलेज द्वारा निर्धारित यूनिफार्म ही पहने जिससे स्कूल और कॉलेज की गरिमा और सुचिता बनी रहे । शिक्षा के मंदिर में धार्मिक उन्माद को गति देना किसी भी रूप में उचित नहीं है। शिक्षालय सभ्यता, संस्कार और संस्कृति का उद्गम स्थल है। यहां जीवन की जटिल समस्याओं से निजात पाने का मार्ग दिखाया जाता है और उससे लड़ने के लिए शिक्षा रुपी अस्त्र -शस्त्र सिखाया जाता है । ज्ञानपरक शिक्षा से मानसिक रूप से सुदृढ़ और एकीकृत किया जाता है। शिक्षालय में धार्मिक उन्माद के लिए कोई जगह नहीं है। शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात जो ज्ञान प्राप्त होगा वह धर्म की आस्था, श्रद्धा और विश्वास से ही अभिभूत होगा । शिक्षा के बिना तो धर्म को समझना भी कठिन है लिहाजा स्कूल और कॉलेज के छात्र-छात्राएं बिना किसी धार्मिक और राजनीतिक प्रलोभन के उच्च शिक्षित होकर सभ्य और संस्कारी बने जिससे वे समाज और देश के उन्नति में अपना अतुलनीय योगदान दे सकें।
— आपको यह ब्लॉग पोस्ट भी प्रेरक लग सकता है।
नए ब्लॉग पोस्ट
02-12-2025
जलना ही तो चलना है।
आंखें धसती है धसने दे, दुनिया हंसती है हंसने दे। कर्तव्य पथ ना छोड़ देना, जीवन रथ ना मोड़ लेना। गति ऐसी हो आस न रहे, चाहत ऐसी हो प्यास न रहे। धुएं सी निंदा कितना ढंकेगी, जलेगी आग वो खुद छंटेगी। अंदर की लौ जब बाहर आए, धधक उठे फिर सबको हरषाए। अब .....
Read More27-10-2025
नेताओं की एक ही पुकार - हो हमारा विकसित बिहार।
बिहार चुनाव में वोटर और नेताओं की प्रजाति का मन जानने निकले थे हम। जी हां हम। एक तथाकथित व्यंग्यकार, जिसका गांव गर्दन का कुछ ठिकाना नहीं, अपने लिखते हैं, अपने पढ़ते हैं, और अपने ही, अपने लेख पर सकारात्मक टिप्पणी भी करते हैं। खैर अपनी प्रशंसा तो होते ही रह
Read More13-10-2025
कबीरा तेरे देश में ....।
हे ईश्वर, हे बऊरहवा बाबा, पीपर तर के बाबा तुमसे हाथ जोड़ कर बिनती है कि ई बार बिहार चुनाव में हमन लड़ोर सब के मान सम्मान रखना। 243 में बाकी जेकरा मन करे ओकरा जीतवा देना लेकिन हमन के पसंदीदा ई पांच उम्मीदवार के भारीमत से जीतवा कर मनोरंजन से लबरेज रखना।
Read More30-08-2025
राजनीति में गालीवाद का उदय...
राजनीति, जो कभी, समाज के पिछड़े, वंचितों के उत्थान, बिना भेदभाव के समाज की सेवा, समेकित विकास और न्याय की धुरी हुआ करती थी, आज विभिन्न प्रकार के 'वादों' की गिरफ्त में आ चुकी है। हमने राजनीति में जातिवाद देखा है, जहां जातीय पहचान को वोट बैंक के रूप में...
Read More20-08-2025
प्रेमग्रंथ -लव गुरु का ज्ञान।
🌺🌺 चटुकनाथ - अंतराष्ट्रीय लव गुरु।💐💐 "ये इश्क नहीं आसान, बस इतना समझ लीजिए फ़िनाइल की गोली है और चूसते जाना है"। हिंदी के प्रख्यात प्राध्यापक अंतराष्ट्रीय लव गुरु चटुकनाथ जी को प्रेम दिवस पर हमारे शहर में बुलाया गया, प्रेम पर व्याख्यान के लिए। उन्हों
Read More