काला आदमी, गोरा कर्म।

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ब्लॉग प्रेषक: राजीव भारद्वाज
पद/पेशा: व्यंगकार
प्रेषण दिनांक: 18-05-2023
उम्र: 35
पता: Garhwa, jharkhand
मोबाइल नंबर: 9006726655

काला आदमी, गोरा कर्म।

करीवा जिनगी में एके बार जन्म के समय ललछहु गोर दिखा था, फिर जे करिया रंग उस पर चिपका से चिपकले रह गया। भैंस जैसा काला हमर करीवा, अपने रंग के बारे में सबको बताता की मैं श्याम वर्ण का हूं। कृष्ण और राम भी श्याम वर्ण के थे, सरवा के करिया बताने में लाज लगता था, कोई ज्यादा उपहास न उड़ाए इसलिए भगवान का उदाहरण देता था। करीवा जब आपन चेहरा पर टेलकम पाउडर लगाता तो ऐसा लगता मानो जामुन पर कोई नमक छिड़क दिया हो। गोर बने के चक्कर में कई गो फेयर लवली के फाइल आपन चेहरा में घस चुका था, लेकिन कहां कोई क्रीम काम करने वाला था।

करीवा रोड पर अगर अंधेरिया रात में निकलता तो गाड़ी वाला उसे स्पीड ब्रेकर समझकर ब्रेक लगा लेता, इतना करिया था हमन के करीवा।

हमन गोर थे, रूप रंग पर घमंड था, इसलिए पढ़ाई पर कम बाल सेट करवाने पर ज्यादा ध्यान देते थे। लड़की के बीच हीरो बन कर रहते थे, लेकिन करीवा बेचारा अंदर से उदास होकर खाली हमन के हीरोगिरी देखता और किताब में खोया रहता। करीवा के लिए किताब ही मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन था। स्कूल में हिमाद्रि तुंग श्रृंग से स्वतंत्रता पुकारती वाला कविता भी कंठस्थ करके मास्टर को सुनाता और हमलोग हवा हूं हवा का ही दो चार लाइन मुश्किल से याद कर पाते। हमलोग साधारण ब्याज का गणित बना के गणितज्ञ समझने लगे थे और करीवा साइन ठिठा का गणित ऐसे बनाता जैसे लिडो का गोटी फेंक रहा हो। अंग्रेजी में आवेदन लिखने को मिलता तो हमन खाली  "टू द प्रिंसिपल, सर मोस्ट हम्बली एंड रिस्पेक्ट फूली आई बेग टू से दैट" लिख पाते इसके आगे क्या लिखना है, सब ठन ठन गोपाल था। उधर करीवा इतना सजा के लिखता की मत पूछिए।

 इतिहास में अकबर बीरबल, गांधी जी और नेहरू जी ही हम लोग को इयाद थे लेकिन करीवा अरविंद घोष, ज्योतिबा फुले, दादा भाई नरोजी सबके बारे में विस्तार से जानता था। हां हमन के सब हीरो के नाम ईयाद था लेकिन करीवा किसी हीरो से ज्यादा महापुरुष के बारे में जानता था। ऐसा नहीं था की मनोरंजन करीवा नही करता था, हर रामलीला में उसे उसके रंग के कारण जांबवत का रोल मिलता था और वो उसे बड़ी शिद्दत से निभाता भी था।

हमन क्रेज बनावे के चक्कर में विधायक आऊ मंत्री जी के रैली में खूब उचक उचक के जिंदाबाद मुर्दाबाद के नारा लगाते, इसी क्रम में अगर मंत्री जी कंधा पर हाथ भी रख देते तो हमलोग खुद को भी मंत्री ही समझने लगते, लेकिन करीवा के जिनगी का मकसद स्पस्ट था, उसे किसी की चमचागिरी नही करनी थी, उसे अपने मेहनत पर भरोसा था।

 स्नातक करने के छः माह के बाद करीवा एसएससी निकाला और सेंट्रल का नौकरी लिया। और हमन गोर चमड़ा के चिकबानर पैरवी पर किसी तरह पांच हजार में कंप्यूटर पर लेटर टाइप करने वाला काम कर रहे हैं। विआह के लिए रिश्ता भी नही आ रहा है, अकेले चालीस बसंत पतझड़ में ही गुजार दिए। आऊ करीवा के किस्मत में ऐश्वर्या, हेमा, माधुरी के कॉकटेल लड़की जीवन संगिनी के रूप में मिली। करीवा जब मिलता है, बोलता कुछ नही बस देख कर एक हल्की मुस्कान देता है, इतने में ही जीवन का पूरा घटनाचक्र नजर के सामने आ जाता है। न कोई नेता काम आया न सिनेमा। बाकी सब फर्स्ट क्लास है।

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