कुसंग का लालच

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ब्लॉग प्रेषक: राजीव भारद्वाज
पद/पेशा: व्यंगकार
प्रेषण दिनांक: 17-05-2023
उम्र: 35
पता: Garhwa, Jharkhand
मोबाइल नंबर: 9006726655

कुसंग का लालच

एगो दिक्कत रहे तब न! ई जीवन दुखी कर दिहिस है। सुरेंद्र मोहन पाठक आऊ वेद प्रकाश शर्मा का उपन्यास खरीदना भी अब मुश्किल है, मिलबे नही करता है। मनोहर कहानियां और सरस सलिल का व्यस्क कहानी भी कहां नसीब होता है। हमन जैसन के हीरो मिथुन आऊ गोविंदा भी ससुरा बूढ़ा गया। भोजपुरी में मन लगने लगा था की सिनेमा हॉल भी  बंद हो गया। चस्का लगा था मोबाइल के !  बड़का मोबाइल जेकरा में गाना आऊ वीडियो सब चलता है। रमेसर काका के रेंगवा फेसबुक आऊ व्हाट्सएप बना दिया, तहियें से जिनगी कुछ रंगीन लग रहा था। एक से एक सुनर सुनर लड़की हमरा से फेसबुक में दोस्ती लगाई थी। मोबाइल से उवह तगड़ा यारी हुआ की पूछिए मत, शरीर के अंग जैसन हमेशा लटकल चलता था हमरा जोरे। मजाल है की एको मिनट जुदा हो जाता। हम तो रिंग टोन भी " आयल बाड़ा जहियां से जिनगी में " रख लिए थे। मेहरारू भी एतना खुश नही रख सकती थी जेतना मोबाइल के फेसबुक और व्हाट्सएप रख रहा था।

 एक रात फलनवा कुमारी का फ्रेंड रिक्वेस्ट आया, हम तुरते उनकर फ्रेंडशिप कबूल कर लिए। रात का दस बजा था, पेट भी गुड़गुड़ा रहा था। दिसा जैसन बुझा रहा था। उधर से "हाय जान कैसे हो" का मैसेज आया। हम मोबाइल लेके लैट्रिन में घुस गए और लगे दिसा फिरने। एतने में वीडियो कॉल आया, हम उठा भी लिए। उधर कोई महिला अश्लील हरकत कर रही थी, देखने में हमको भी मजा आ रहा था, लेकिन हम भुला गए की हम दिसा फिरते फिरते वीडियो का आनंद ले रहे थे। मुश्किल से एक मिनट चला वीडियो और कट गया। हम भी हाथ मुंह धो के कुल्ला करके सुते के तैयारी में लग गए। तभिये टन से एक मैसेज आया, मैसेज में वीडियो था। हम जैसे ही उसको डाउनलोड किए और देखे की हमर माथा ठनठनाया। वीडियो में एक तरफ हम थे चुकू मुकु बैठ के दिसा फिरते हुए दूसरी तरफ एक अति सुंदर नारी नग्न अवस्था में अश्लील हरकत करते हुए। फिर एक मैसेज आया - पांच हजार इसी नंबर पर फोन पे कीजिए नही तो आपका वीडियो वायरल कर देंगे। साला हमर जमाना में वायरल बोखार होता था आऊ ई जमाना में वीडियो।

 मन घबरा गया। एक तो पहले से ही जमाना के नजर में हम ठरकी थे ऊपर से साला ठरकपन के सबूत भी वायरल करने का धमकी मिला था। इयार दोस्त भी ई वीडियो देख के हमको ही दोष देता। कहता लैट्रिन में का जरूरी था मोबाइल ले जाने का, तूही गड़बड़ होगा। मेहरारू तो पहिले से शक करती थी, उसको बता नहीं सकता था। अभिभावक से पिटाये जमाना हो गया था, उनको बता के फिर से चप्पल नही खाना था। दिमाग काम नही कर रहा था। ऊपर से ससुरा मैसेज पर मैसेज कर रहा था। पुलिस के पास जाते तो ऊ अलग से दस हजार मांगता। मन रोआइन रोआइन हो गया। कहां जाए किस से कहें।

रात भर नींद नहीं आया। सुबह गांव के सबसे बड़े ठरकी बलेसर चा दिखाई दिए, सोचा इनसे अपना दुख बताऊं, साला कुछ तो कम होगा। मेरी कहानी सुन कर बलेसर चा बोले - ऊ सब छोड़ो मजा आया की नही। हम मन में सोचे की यही बलेसर चा हैं जिनको हीरोइन से भी ज्यादा न्यूज एंकर पसंद है। ई हमर समस्या को समस्या स्क्वायर में बदल देंगे। न भूख लग रहा था न प्यास। लग रहा था बदनाम हो जायेंगे, लोग इस हालत में हमको वीडियो में देखेगा तो समाज पर क्या असर होगा। 

लेकिन देखिए भगवान इस प्रकार का कष्ट सिर्फ हम गरीब के हिस्से में ही नही देता बल्कि...।

अगले दिन का समाचार पत्र देखा एक माननीय भी बेचारे इसी प्रकार के घोर षड्यंत्र के शिकार हुए थे। मेरा छाती बरबस ही बासठ इंच का हो गया। समझ रहे हैं न। जब जननायक न बचा तो जन कहां से बच पायेगा। मैने उस नंबर को ब्लॉक किया और अब खुद ही लोगो को बताते फिर रहा हूं की मेरे साथ ऐसा हुआ तो लोग कह रहे हैं तू तो मंत्री भी नही हो, फकीर तोरा जोरे ऐसा करके उसी को पैसा देना पड़ जायेगा। लेकिन बदनाम हुआ तो क्या नाम तो हो जायेगा। और डर के आगे जीत है।

बाकी सब फर्स्ट क्लास है।

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