आधुनिक भारत के निर्माण में सद्गुरु कबीर का योगदान नामक पुस्तक का समीक्षा।

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ब्लॉग प्रेषक: प्रकाश चंद टेलर
पद/पेशा: लेक्चरर
प्रेषण दिनांक: 16-05-2023
उम्र: 59वर्ष
पता: पारीक कॉलोनी कुचामन सिटी नागौर राजस्थान,341508
मोबाइल नंबर: 8233790476

आधुनिक भारत के निर्माण में सद्गुरु कबीर का योगदान नामक पुस्तक का समीक्षा।

     आधुनिक भारत के निर्माण में सद्गुरु कबीर का योगदान नामक पुस्तक के पठन के पश्चात महान संत  कबीरदास जी की जीवनी पर प्रख्यात साहित्यकार डा० अभिषेख जी के लिए मेरे मन की वाणी के उद्गार जिन्होने अपनी कठिन साधना ,परिश्रम ,समर्पित भाव से इस सुन्दर पुस्तिका का लेखांकन करके संत कबीर जी के सन्देश को पुरे विश्व पटल पर फेलाने का नेक सद्कार्य  किया है। मैं इनके उज्ज्वल भविष्य की एवं दीर्घायु होने  की कामना करता हूॅं।
                इस सुन्दर पुस्तिका मे देश-विदेश के विख्यात संत महात्माओं मै कबीर जी का उच्च कोटि का मानवता का सन्देश गया है। मानवतावाद को फेलाने का मानवता की महता,मानवता का सार आज विश्व मे फेलाने का श्रेय महान संत कबीर जी को जाता है। और तो और उनकी पवित्र वाणी को जन-जन तक पहुॅचाने का सद्कार्य  किया है- छोटी सी उम्र के प्रतिभा के धनी आदरणीयेडॉ० अभिषेख कुमार जी ने,जिन्होने कबीर जी की पूरी जीवनी को बचपन से लेकर समाधि तक के वृतान्त को संजो दिया।
                   इस सुन्दर पुस्तिका में लेखक डॉ० साहब ने कबीर जी के कई दोहो,साखियों एवं अमृत वचनो को एक माला में पिरोकर संदेश को सार गर्भित बना दिया तथा जनमानस के ह्रदयपटल पर पहुचाने का अनुपम
सद्गकार्य  किया है। यह सारा शुभ कार्य  डॉ० अभिषेख जी ने इनके सद्गुरु भारतभूषण डॉ० नानकदास जी महाराज सतगुरु कबीर आश्रम सेवा संस्थान बङी खाटू नागौर (राजस्थान) की असीम कृपा,आशिर्वाद,उनकी प्रेरणा एवं मार्ग  दर्शन में किया। इतना ही नही लेखक डॉ० ने लेखन कार्य  भारत की राष्ट्रीयभाषा हिंदी में किया,और अनोखी बात है कि इस पुस्तिका का देश की विभिन्न 27 भाषाओ में
अनुवाद करके अनुपम ऐतिहासिक कार्य  किया है। कबीर जी के उतम मानवता के संदेश को जनमानस तक पंहुचा कर अपने जीवन को सफल बनाया है।
                किसी भी कार्य  को गति तभी मिलती है जब
उसे चारों और से प्रेरणा,संबल,स्नेह,दुलार,प्यार मिले। आधुनिक भारत के निर्माण में सतगुरु कबीर का योगदान पुस्तिका के लेखक श्री अभिषेक जी को शुभ बधाई सन्देश देश की महान विभुतिया श्री सी आर चौधरी साहब पदमश्री हिम्मताराम जी भाम्भू डॉ० शौरम पांडेय जी,देश के कई मंत्री महोदय,राज्यपालो,प्रशासनिक अधिकारियो,संतमहात्माओ के द्वारा भेजे गए आशीर्वाद रूपी प्रेरणा से गति मिली। यही असली मानवता वादी कबीर जी की जीवन शेली को उजागर करती है।
जातपात,ऊँचनीच,भ्रष्टाचार जैसी सामाजिक कुरीतियों से उपर उठकर सभी ने मानवता का परिचय देकर भाईचारा,माधुर्य  प्रेम,देश की अखंडता,सभ्यता,संस्कृति को बनाए रखने का सन्देश दिया है  संत कबीरदास जी के बारे मे आदरर्णीये डॉ० अभिषेक जी द्वारा लिखित विचारो का सार मैं बताने जा रह हूँ।सतगुरू कबीर जी एक ओजस्वि ,तेजस्वी, परम पारखी, परमज्ञानी एवं आत्म बल की चट्टानी ताकत जैसे गुणों के धनी थे। पाखंड, ठगी,अन्याय पर अपने दिव्य ज्ञान से प्रहार, करने वालेव बनावटी चेहरा बेनकाब करने वाले गजब के पुरोधा थे।इनमें नीति, नियम, अनुशासन, सत्य, सौहार्द - आपसी ऐकता, सहयोग, प्रेम की भावना कूट कूट कर भरी थी । यही तोअसली मानवतावादी विचारधारा के प्रमुख तत्व जो है। कबीर जी अध्यात्म के साथ-साथ ज्ञानी पुरुष भी थे। उनकी वाणी में एकात्म मानवताबाद के उथान आर्थिक सामाजिक व बौद्धिक व  राजनीतिक विषमताओं पर तीखा प्रहार था। दूसरी तरफ उनकी साधना बहुत ही सरल थी। कोई भी इंसान किसी भी जगह, कभी भी साधना  करके प्रभु का दुलारा हो सकता है ।वो शुद्ध मानवता के पक्षधर थे। जाति पाति, मजहब के भेद्‌भाव से उपर उठकर इंसान को इंसान से प्यार करने को कहते थे। हिन्दू, मुस्लिम,ईसाई, बौध, यहुदी, जैन, पारसी सभी धर्मों केलोग कबीरजी के द्वारा बताये गये सत्य धर्म का सुगन्धित पुष्प बिछा हुआ विशाल राजपथ पर चल रहे हैं। वास्तव में देखा जाये वो कबीर जी किसी भी मानव की उम्मीद उमंग, जज्बे व प्रत्येक के सपनों को साकार करने वाले प्रणेता थे। जैसे भारत को धर्म निरपेक्ष राज्य कहते है उसकी आधारशिला कबीरदास ही है। विधा, ज्ञान, शिक्षा में कबीर जी ने  ज्ञान को सर्वोच्य बताया है। ज्ञान ही हौसला, उमंग, उत्साह एवं स्फूर्ति है। ज्ञान में ही अन्धेरे से प्रष्फुटित प्रकाशमय उजाले की ओर जाने का रास्ता तय होता है। इन्होंने अतिविशिष्ट साहित्यिक, सामाजिक सेवा में मानवतावाद की जो मशाल जलाई उसमें न तेल समाप्त होगा न ईंधन। 600 वर्ष बीत गये उनके दोहे, साकियाँ आज भी प्रत्येक भारतवासी के ह्रदय में गाये जा रहे है। इनके मानवतावादी सन्देश समय, काल एवं परिस्थितियों से परे है। जैसे श्रीमद्‌भागवत गीता क सन्देश है।कबीर जी ने सार्वभौमिक "सहज, आनंदमार्ग का सभी धर्मो के समन्वयन का कार्य किया।
कबीर जी ने निर्गुण निराकार उपासना पद्धति व सगुन साकार उपासना पद्धति दोनों का ज्ञान कराया | दोनों में तमाम मान्यतावाद है क्यों कि कबीर जी ने किसी भी धर्म,सम्प्रदाय मजहबी विचारधाराओं का विरोध नहीं किया है। बल्कि वहाँ की 'अज्ञानता, पाखंड, कट्टरता पर करारा प्रहार किया और सभी में एक ही परमपिता परमात्मा का अंश देखा। सभी मान्यताओं का निचोड़ मानवतावाद और दोनों के अंतत: मूल परिणामस्वरूप चारों दिशाओं का केन्द्र बिन्दु जहाँ एक साथ मिले, वहीं उनका  कबीर चौरा है।
कबीरदास जी ने एक बहुत ही सुंदर बात बतायी कि जो मानव दूसरों को दुःख देकर स्वयं को सुखी रखना चाहते है तो एक दिन उसके कुकर्मो का फल उसे 'अवश्य भोगना पड़ेगा। गलत तरीके से कमाई करके इंसान कुछ दिनों के लिए मौजमस्ती करलो मगर यह भष्टाचार की कमाई उसे गर्त में ले जाऐगी। आखिर उसके पास पछताने के अलावा और कुछ नहीं बचेगा। कबीरदास जी कहते है कि मनुष्य को लोभ व माया से सदैव दूर ही रहना चाहिए।
कबीरदास जी किसी धर्म,मजहब विषेश को महत्व नहीं देते थे हमेशा आडंबरों, अंधविश्वास, रुढिवादिता पर खुलकर तार्किक मत रखते थे। वो कहते थे ईश्वर एक है और सर्व शक्तिमान है । प्रत्येक मानव को मानवतावाद के सिद्धांत को  अपनाकर आपस में प्रेम को बढ़ावा देना चाहिए। कबीर जी ने प्रेम का स्थान बहुत ऊँचा बताया है।उन्होंने बताया किसी सुहागन के माथे पर सिंदूर विराजमान होता है उसी तरह आत्मा की माँग में प्रियतम ईश्वर के प्रेम का निशान विद्यमान है। उनकी आँखों में तो राम ही राम विराट स्वरूप बसे हैं । इसलिए काम,क्रोध मद मोह लोभ, अहंकार, ईर्ष्या द्वेष, छल कपट, प्रपंच रूपी सांसारिक काजल कहाँ लगाए, उसका कोई स्थान नहीं है।
पूरी पुस्तिका का मैंने हृदय से पठन किया और पाया कि संत कबीर दास जी ने प्रेम जो ढाई आखर का है,इसमें सारे विश्व को बसा दिया। प्रेम से पूरी दुनियाँ को जीता जा सकता है। संसार में निवास कर रहे सारे जीव, प्राणी इस प्रेम के सिद्धान्त को समझ लेंगे तो मै समझता हूँ कि कबीर जी के द्वारा बताये गये सतमार्ग के संदेशों का हमारे द्वारा सम्मान होगा, फिर इन संदेशों से आधुनिक भारत के निर्माण में एक बहुत बड़ा योगदान साबित होगा।
अंत में मै तो कबीर जी बारे में इतना ही कहूँगा इन  जैसा महान सन्त न हुआ  न होगा, क्यों कि उन्होंने मानवता का पूरा पक्ष रखा। आज 600 वर्ष बीत जाने के बाद उनकी वाणी की खुशबू वैसी की वैसी है। उनके दोहे आज भी प्रत्येक की जुबान पर है। यह सुन्दर पुस्तिका प्रत्येक समाज का मार्ग दर्शन करेगी तथा आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी
   "आदमी चाहे तो विश्वास बदल सकता है, यह धरती यह आकाश बदल सकता है।
   आदमी ही इतिहास का निर्माता है और
   आदमी चाहे तो इतिहास को भी बदल सकता है।

               जय हिंद जय भारत जय कबिराय नमः
                          प्रकाश चंद टेलर लेक्चरर
                          पोस्ट-कुचामनसिटी
                          जिला नागौर राजस्थान पिन
                          341508

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