फिर कब दिखोगे।

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ब्लॉग प्रेषक: राजीव भारद्वाज
पद/पेशा: व्यंगकार
प्रेषण दिनांक: 29-03-2023
उम्र: 35
पता: गढ़वा झारखंड
मोबाइल नंबर: 9006726655

फिर कब दिखोगे।

ट्रेन के शौचालय से बटोर बटोर कर मग बेचने वाला रामध्यान भी उस समय भौचक्का रह गया जब उसे पता चला की पटना जंक्शन के प्लेटफार्म संख्या दस पर अश्लील फिल्म चल रहा है। विक्रमशिला एक्सप्रेस से चार मग ही खोल पाया था की हल्ला हुआ की चलो प्लेटफार्म संख्या दस पर। बेचारा रामधयान बदहवास दौड़ा। सब निठल्ले दौड़ दौड़ कर प्लेटफार्म संख्या दस पर दौड़ते हुए पहुंच रहे थे। उधर लड़कों के हॉस्टल तक ये बात पहुंच गई थी, ट्यूशन को छोड़ छोड़ कर मासूम विद्यार्थी प्लेटफार्म संख्या दस पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके थे।

 रिटायरमेंट के बाद डीएसपी साहेब गया जाने के लिए अपने पूरे परिवार के साथ प्लेटफार्म नंबर दस पर ट्रेन के इंतजार में थे, तभी उनकी अर्धांगनी बोली मुन्ना कहां है। डीएसपी साहेब मुन्ना को खोजने गए तो मुन्ना टीवी देखने में व्यस्त था, चल इंहा से, का देख रहा है, पापा ये दोनो क्या कर रहे हैं टीवी में। चुकी बचपन से ही मुन्ना के हर प्रश्न का जवाब डीएसपी साहेब देते थे ताकि मुन्ना के दिमाग में हर दुनियादारी की बात घुस जाए, लेकिन यहां डीएसपी साहेब उसका प्रश्न सुन कर निरुत्तर थे।

शादी का महीना और नए नए सुहागन जोड़ी के सामने जब ये दृश्य आया तो नजर झुका झुका के, पलकें उठा उठा के इडियट बॉक्स को निहार लिया जा रहा था।

स्टेशन के बाहर जैसे ही ये खबर वायरल हुआ, लोग गिरते पड़ते, बदहवास प्लेटफार्म नंबर दस पर पहुंचने लगे थे। कोई कह रहा था सनी लियोनी का चल रहा है कोई कह रहा था फलाने का। मुआ बेशरम लफंगा सब ताली बजा बजा कर इस वीभत्स दृश्य का आनंद ले रहे थे। इसमें से वही होनहार ज्यादा थे जिनका बाप मजदूरी कर के अच्छे शहर में अपने कुलबोरन को पढ़ने के लिए भेजे थे।

 पटना के गोलघर और तारामंडल देखने के लिए उतना हुजूम नही जुटा होगा जितना प्लेटफार्म नंबर दस पर टीवी देखने के आ गया। 

एक महीना पहले भी इसी तरह का प्रसारण पटना जंक्शन पर हुआ था लेकिन कुछ ही सेकंड के लिए, शायद वो टेस्टिंग था। लेकिन जो लोग उस टेस्टिंग को देखे थे, वो भी घाघ और आशावादी थे, जम गए थे जंक्शन  पर ही, और आखिर उनके धैर्यता ने उन्हें निराश नहीं किया। क्या हुआ जो एक महीने का समय लगा।

ऐसे धैर्यवान और जुझारू लोग की धरती बिहार को शत शत नमन।

बिहार की धरती कामुक धरती, माफ कीजिएगा कामगारों की धरती, हमे अपने भुजबल पर ज्यादा यकीन है, समझ रहे हैं न।

साला कलकत्ता से प्रसारित हुआ था, प्रसारण का काम क्या मिला की कामदेव वाला काम ही दिखाने लगा। इतना बड़ा मिस्टेक साला कैसे हो गया, हो सकता है काम के बोझ को मानसिक रूप से कम करने के लिए काम दिखाया गया हो। अब देखिए जी गांधीजी तो शुरू से ही कहते आए हैं की बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत बोलो लेकिन मनवा बड़ी चंचल है, अंखियां बंद तो करते हैं लेकिन पंजवा हल्का खोल के रखते हैं की कुछ दिख जाए।

सबसे आश्चर्य तो तब हुआ जब एक दिव्यांग भिखारी पर तरस खाकर स्टेशन के बाहर मैने उसे दस रुपए दिए थे और प्रसारण का खबर सुनते ही वो लगभग पचास आदमी को ओवरटेक करते हुए अस्सी के स्पीड से प्लेटफार्म नंबर दस पर पहुंच कर अपनी आंखों को चरम सुख प्रदान कर रहा था।

आज से दो साल पहले पटना जंक्शन के प्लेटफार्म पर ही एक विक्षिप्त महिला के साथ बलात्कार हुआ था और उसने बच्चे को जन्म दिया था, अश्लील फिल्म के प्रसारण से बड़ी खबर थी ये, जब इस पर कोई कारवाई नही हुई तो अब क्या होगा।

मौज कीजिए क्योंकि आपके हर सुख दुख का साथी आपका प्रतिनिधि आपको वो सब मुहैया कराएगा जो सोचते हैं।

बाकी सब फर्स्ट क्लास है।

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