| ब्लॉग प्रेषक: | राजीव भारद्वाज |
| पद/पेशा: | व्यंगकार |
| प्रेषण दिनांक: | 16-01-2023 |
| उम्र: | 35 |
| पता: | गढ़वा झारखंड |
| मोबाइल नंबर: | 9006726655 |
दुर्भाग्य
*दुर्भाग्य*
मैं झारखंड हूं। धरती आबा का सपना, मरांग गोमके की सोच, शिबू सोरेन का आंदोलन, लालू यादव का हठ और इस राज्य में बसने वाले मेरे पुत्रों का दुर्भाग्य। मैं झारखंड हूं। अपने बारे में यही कह सकता हूं की
*"मेरी तिजारत का हाल न पूछो,*
*आइना बेचता हूं, अंधों के शहर में।*
मैं ऐसा नही था, एक समय मुझमें ऐश्वर्य था, मेरा इतिहास गौरव गाथाओं से भरी पड़ी थी। जल, जंगल जमीन में मेरी आत्मा बसती थी। मैं साक्षात भोले भंडारी का रूप था। मुझमें वास करने वाले लोग जरूरत से ज्यादा भोले भाले थे, और इतिहास भी साक्षी है की भोला हमेशा ठगा जाता है।
*इतिहास*
प्राचीन काल में मुझे कुक्कुट प्रदेश के नाम से जाना जाता था। झारखण्ड का इतिहास पाषाण काल से शुरू होता है. यहाँ से ताम्र-पाषाण युग के तांबे के बने उपकरण प्राप्त हुए है. एक स्वतंत्र भू-राजनीतिक क्षेत्र के रूप में इसकी पहचान मगध साम्राज्य की स्थापना से पूर्व की मानी जाती है.
मुगल काल के समय में यह क्षेत्र जहाँगीर तथा औरंगजेब के समय में यह प्रदेश मुगल साम्राज्य के अधीन आ गया था. ब्रिटिश काल में यह बंगाल प्रेजिडेंसी का हिस्सा रहा और बाद में बिहार राज्य का हिस्सा बनाया गया था. आजादी के बाद इसे स्वतंत्र राज्य बनाने की मांग उठी और 2000 ई. में इसे बिहार से अलग करके राज्य का दर्जा दिया गया था। इस प्रदेश के कुछ स्थानों पर जीवाश्म के कुछ अंश उन कलाकृतियों की ओर इशारा करते है जिससे यह पता चलता है की छोटानागपुर क्षेत्र में होमो इरेकट्स से होमो सिपियंस जाति के बदलाव को दर्शाता है. यहाँ के पत्थर व अन्य उपकरण सभ्यता के प्रारंभिक वर्षों से 3000 से अधिक वर्ष पहले के है.
छठी या सातवी शताब्दी ईसा पूर्व के महाकाव्य महाभारत युग के कीकट प्रदेश का उल्लेख ऋग्वेद में है जो पारसनाथ की पहाड़ियों में गिरिडीह जिला झारखण्ड में स्थित है.
झारखंड के कुछ भागों में पत्थर की कला, गुफा चित्र, भूवैज्ञानिक तथा शैलवर्णना समय बीतने का भी संकेत है. हड़प्पा की प्राचीन सभ्यता में मौजूदगी का भी प्रमाण है।यह आन्दोलन भारत के छोटा नागपुर पठार व उसके आस-पास के क्षेत्र जिसे झारखण्ड के नाम से जाना जाता है. यह अलग राज्य की मांग के साथ शुरू होने वाला सामाजिक व राजनीतिक आन्दोलन था. इस आन्दोलन की शुरुआत 20वीं सदी की शुरुआत में हुई थी। और १५ नवंबर २००० को बिरसा मुंडा के जन्म दिन पर पूर्ण राज्य के रूप में अस्तित्व में आया।
*खनिज संपदा*
मेरे अंदर संसाधनों की भरमार है, बस मुझे निखारने को जरूरत थी, लेकिन मुझे निजी स्वार्थ के लिए इतना निखारा गया की मेरा पूरा भूगोल ही खराब हो गया। मैं ऐसा दूल्हा हूं की हर साल मेरा व्याह होता है और दुर्भाग्य देखिए की आज भी मैं कुंवारा हूं। हमारे धरती के काले हीरे से भारत के अन्य राज्य जगमगाते हैं लेकिन मैं कितना सादा जीवन जीता हूं की आज भी हमारे अनेक गांवों में ढिबरी शान से जगमगाती है। प्राचीन धरोहर के प्रति इतना लगाव सिर्फ हम ही कर सकते थे।
खनिज संपदाओं से भरपूर झारखंड पूरे देश का सबसे अमीर राज्यों में से एक है। इस क्षेत्र में कोयला लौह अयस्क अभ्रक बॉक्साइट और चूना पत्थर और तांबा क्रोमेट एस्बेस्टस क्यानाइट चाइना क्ले मैंगनीज डोलोमाइट यूरेनियम आदि के असीम भंडार हैं। हम वो मजदूर हैं जो दूसरों के लिए घर तो बनाते हैं लेकिन खुद फुटपाथ पर सिकुड़ कर सोते हैं।
हम महात्मा गांधी के असली अनुयाई हैं, जिस प्रकार वो भारत की गरीबी देख कर आजीवन एक धोती में जीवन यापन करने का भीष्म प्रतिज्ञा लिए थे उसी प्रकार अमीर राज्य होते हुए भी हम खुद आजीवन नग्न रहने की प्रतिज्ञा लिए हैं। हां हमारे संसाधनों को कुतर कुतर का नोचने वाले लोग आलीशान जीवन जरूर जी रहे हैं लेकिन दुर्भाग्य देखिए उनके कफन में भी जेब नही बनाया गया है।
*जनप्रतिनिधि*
क्या आपने कभी सुना था की राज करने वाला राजा जब सत्ता से बेदखल हो जाए तो उसका पूरा मंत्रालय भ्रष्टाचार का आरोपी बनकर जेल की शोभा बढ़ाए।
यहां हर दूसरे घर में विकास के प्रति संकल्पित नेता आपको मिल जाएंगे, जो दृढ़ निश्चय लिए हुए हैं की मौका मिलते ही विकास की गंगा बहा देंगे और आप यकीन मानिए मौका मिलने के बाद साइकिल से चलने वाले इस प्रकार के महान जनसेवक, एक साल के अंदर ही फॉरचुनार की सवारी तथा करोड़ों के बंगले के मालिक होकर जनता को बता भी देते हैं की विकास की गंगा का सारा पानी उन्होंने जनता की भलाई के लिए अपने आवास में संग्रहित कर रखा है, ताकि अगले चुनाव में कुछ एक बाल्टी निकालकर जनता पर फुहारा मारा जा सके।
*जनता*
हमारे घर की जनता बेचारी भोली भाली मासूम, पांच लीटर महुआ का जरकिन या एक विदेशी शराब की बोतल या फिर मसालेदार का चार पाउच में लोकतंत्र का फैसला करने में यकीन करती है। नेताओं के पीछे पीछे जिंदाबाद और मुर्दाबाद इतनी शिद्दत से करते हैं की नारद मुनि भी इतनी शिद्दत से नारायण नारायण नही करते।
*युवा*
मोबाइल, फेसबुक, चैटिंग, मीम, इंस्टाग्राम पर अपने भविष्य को तैयार करने में लगे हैं। कुछ युवा भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की जद्दोजहद में इस काबिल लगें हैं की बेचारे रात रात भर फेसबुक पर लड़की बन कर दूसरों को धार्मिक संदेश देते पाए गए हैं। और आधे बेचारे जो सेकुलर हैं वो फर्जी लड़की से फेसबुक पर चैटिंग करने में।
*अगर फुरसत मिलती मुझे चैटिंग से तो*,
*मैं भी कुछ कर जाता जमाने के लिए*
*नौकरी के अवसर*
सामाजिक समरसता और परिवार की एकता की मिसाल इस राज्य में देखा जा सकता है। एक बेंच पर पिता और दूसरे बेंच पर बेटा एक साथ जेपीएससी का एग्जाम देते पाए गए हैं और मैं पूरे यकीन के साथ कह सकता हूं की दो चार साल बाद पिता, पुत्र और पोता तीनों एक साथ उक्त परीक्षा देते पाए जाएंगे तो कुछ आश्चर्य नहीं होगा।
*स्थानीय बनाम बाहरी*
हमारे राज्य की महानता देखिए की अमूमन एक बाहरी ही स्थानीय के लिए आंदोलन कर स्थानीय को उनका हक दिलाने की कोशिश में लगे हुए हैं। सच ही कहा है किसी ने
*उन्हे पसंद थी रोशनी,*
*हमने खुद को जला दिया*
हमारे यहां ठेके पर कर्मी, ठेके पर खनिज की निकासी, ठेके की सरकार, ठेके पर ठरकियो की भिड़, ठेकेदारों का निर्माण और ठेके की जिंदगी।
क्या मेरा दुर्भाग्य समाप्त होगा ? भगवान राम और पांडव दुर्भाग्य में वन गमन किए थे, लेकिन मैं तो साक्षात वनांचल ही हूं। मेरा क्या होगा। बस इतना ही की
*कश्तियाँ सब की किनारे पे पहुँच जाती हैं*
*नाख़ुदा जिन का नहीं उन का ख़ुदा होता है*
कैसे कह दूं कि मेरे राज्य में विकास की गंगा बह रही है। कर्मी रोज हड़ताल पर, नौकरशाह और नेता जेल में, युवा हक और अधिकार के लिए सड़क पर, अस्पताल खुद कोमा में, बिजली की हालत ऐसी की न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी, शिक्षा भीष्म और शिक्षक हस्तिनापुर। अपराध और अपराधी मस्त। हां जनसेवक की चांदी है यहां, बड़ी बड़ी गाडियां, रापचिक सुरक्षा, सुंदर महल, चाटुकारों की फौज। ये आज ही नही वरन बाइस सालों की कहानी है।
जिस दिन दान की चर्चा के साथ लूट का कबूलनामा भी जनता के सामने आ जाए उसी दिन हमारा प्रदेश साक्षात स्वर्ग हो जायेगा।
बाकी सब फर्स्ट क्लास है।
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