नर हो न निराश करो मन को।

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ब्लॉग प्रेषक: राजीव भारद्वाज
पद/पेशा: व्यंगकार
प्रेषण दिनांक: 14-12-2022
उम्र: 35
पता: गढ़वा, झारखंड
मोबाइल नंबर: 9006726655

नर हो न निराश करो मन को।

: नर हो न निराश करो मन को।

मोहम्मद गौरी बार बार युद्ध हारने के बाद एक बार आखिर पृथ्वीराज चौहान को हरा ही दिया। एक हजार बार बल्ब के निर्माण में फेल होने के बाद भी एडिसन ने बल्ब बना ही दिया। मतलब साफ है की हिम्मत नही हारना चाहिए। लेकिन कुछ लोग इस धरा पर जन्म ही असफलता की नई नई कहानी लिखने को ही पैदा हुए। वो मैं था। बचपन से सुनते आया था, हर सफल मनुष्य के पीछे एक महिला का हाथ होता है लेकिन मेरी हर नाकामयाबी में महिला की भूमिका बढ़ चढ़ का रही। तीन बार मैट्रिक फेल हुआ, कारण एक  स्त्री। चौथी बार थर्ड डिविजन से पास हुआ, कारण स्त्री। बचपन मेरा स्त्री के साथ ही कित कीता खेलते बीता। साला गुल्ली डंडा खेलने का मौका ही नही मिला कारण एकमात्र स्त्री। खेल कूद में अव्वल दर्जे का निकम्मा। हां तास और जुआ में कुछेक बार चैंपियन रहा लेकिन औसत से असफल ही कह सकते हैं। फिल्मों में ट्राई मारना चाहा लेकिन यहां मेरे थोबड़े ने असफल कर दिया। नाटक करना चाहा लेकिन मंच नही मिला। कविता लिखी किसी ने नहीं पढ़ा। कहानी लिखी बहुत अच्छी वो इस प्रकार ' प्रथम पृष्ठ पर लिखा की चांदनी रात में घोड़े सरपट दौड़ रहे थे। बाकी के चालीस पृष्ठ में लिखा " या तुबड़क तुबडक तुबड़क। वो तो भले लोग थे जो मुझे पागलखाने से सर्टिफिकेट तक दिलवा दिए वरना कहां आज कल कोई प्रमाण पत्र देता है आसानी से। मैंने आलोचना लिखना प्रारंभ किया लेकिन आलोचना बेचारी आलू चना हो गई। स्थानीय स्तर पर मैंने विज्ञापन बनाए लेकिन इस उत्पाद की बिक्री शून्य हो गई। विद्यालय में पढ़ाना प्रारंभ किया, बच्चो ने विद्यालय आना बंद कर दिया। पत्रकार बनके समाचार पत्र में लिखना शुरू किया, वो समाचारपत्र ने दम तो दिया। हां हास्य रस का कवि बनने के बाद कुछ फायदा जरूर हुआ। आज मेरे पास लगभग सौ जोड़े जूते और चपल्ले संग्रहित है। जब भी घरवाले सब्जी लाने को कहते हैं मैं मार्केट में कविता सुनाने लगता हूं, टमाटर और अंडों का प्रबंध हो जाता है। शादी ब्याह में जब भी किसी घर में मदद किया, या तो शादी टूट गई नही तो लड़की भाग गई। बॉडी बनाने का सोचा तो चार महीना खटिया पर पड़ा रहा।

हाय री किस्मत क्रिप्टो ने लाखों को मालामाल बनाया लेकिन जैसे ही मैंने खरीदा कंगालों की बाढ़ आ गई। म्यूचुअल फंड में निवेश किया तो वो भी चर मरा गई। और तो और राज्य के प्रसिद्ध अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हुआ तो अगले ही दिन प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उसे भी सील कर दिया गया।

भगवान मुझ जैसे मुजसम्मा को बनाने की क्या जरूरत थी। किस खास मकसद के लिए मुझे अवतरित किया प्रभु। अब तो लगता है की यदि कफन बेचने का धंधा भी करूं तो लोग मरना भी छोड़ देंगे। 

जिस प्रकार आज कल के बाबा किस्मत बनाने का विज्ञापन छपवाते है उसी प्रकार किस्मत बिगाड़ने के लिए मुझसे संपर्क करे का विज्ञापन मैं भी छपवाकर नए धंधे में कदम रखता हूं। बस आप सबों का आशीर्वाद चाहिए।

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