भक्तों धैर्य धरो

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ब्लॉग प्रेषक: सुधीर श्रीवास्तव
पद/पेशा: निजी कार्य
प्रेषण दिनांक: 05-08-2022
उम्र: 53
पता: गोण्डा उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर: 8118285921

भक्तों धैर्य धरो

भक्तों धैर्य धरो

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गहरी नींद में मैं सो रहा था

मेरे कमरे के दरवाजे पर

कोई दस्तक दे रहा था,

न चाहकर मैं उठा,

दरवाजा खोला तो

ठगा सा रह गया।

दरवाजे पर औघड़दानी खड़े थे,

उन्हें देख मेरे तोते उड़े थे।

मैं कुछ बोल नहीं पा रहा था,

दरवाजे के बीच से 

हट भी नहीं पा रहा था।

पीछे खड़ा नंदी मुझे इशारे से 

हटने को कह रहा था,

पर मैं नाग की फुफकार से डर रहा था।

अब तो मैं डर से काँप उठा

भोलेनाथ ने त्रिशूल से 

मुझे हटने का इशारा किया,

विवश हो मैं पीछे हट गया।

शिव बाबा मेरे बिस्तर पर 

धूनी लगाकर बैठ गए,

उनके गण उन्हें देखकर

कुछ कुछ बेचैन से होने लगे।

मेरे तो डर के मारे

हाथ पाँव फूल गए।

त्रिशूलधारी ने मुझे इशारे से 

अपने पास बुलाया

सिर पर हाथ फेरकर

मेरा मन का डर दूर कर दिया।

फिर वे मुझसे कहने लगे 

तुम बस काम इतना कर दो

मेरी बात मेरे भक्तों तक पहुँचा दो।

उनके शब्दों में मैं आपको बताता हूँ,

उन्होंने जो मुझसे कहा 

आपको वही बताता हूँ।

आप भी सुनिए और मनन करिए

त्रिशूलधारी का वाणी को 

बहुत ध्यान सुनिए।

पर्वतवासी ने ये कहा है

ऐ मेरे प्यारे भक्तों

तुम सब चिंता मत करो,

सब चुपचाप सहते रहे हो

यह अच्छा है।

अब तुम्हारे धैर्य का बाँध 

टूट रहा है पता तो मुझे भी है।

अब तुम्हारी भुजाएं भी

फड़कने लगी हैं,

साफ साफ दिखने लगा है,

मेरा भी मन वजूखाने से

बाहर आने को मचलने लगा है।

तुम्हारा जोश देख अब

मेरा भी मन डोलने लगा है।

मौन नंदी, सुसुप्त नाग भी

अब अंगड़ाइयां लेने लगे हैं।

चाँद की धूमिल चमक

फिर से निखरने लगी है,

डमरु भी अब बजने को

धीरे धीरे हिलने लगा है,

त्रिशूल भी अब स्थान से 

अपने हिलने लगा है।

अस्त्र शस्त्र ही नहीं

गण भी अब बेचैन रहने लगे हैं,

मौन स्वरों में रोज रोज

उलाहना देने लगे हैं।

यही नहीं उनके मन की ज्वाला

अब मुझे भी झुलसाने लगी है,

मुझे भी डर लगता है,

ऐसा अहसास मुझे भी अब होने लगा है,

निर्णय करने की घड़ी 

अब जल्दी आने वाली है।

मैं मन से व्यथित हूँ सच ये कहता हूँ।

मगर राम की सहनशीलता का

मैं भी अनुसरण कर रहा हूँ,

पर विश्वास रखो उनके जितना

मैं धैर्य नहीं रख पा रहा हूँ।

निर्णय की घड़ी की बात मत करो

मेरा तीसरा नेत्र अब कब खुल जाये, 

बस ये इंतज़ार करो।

मैं अकेले आजाद नहीं होना चाहता

बंशीधर को भी खुली हवा में

विचरण करते देखना चाहता हूँ।

विश्वास करो अब बहुत दिन

मैं वजूखाने में नहीं रहने वाला,

लीक से हटकर हूँ मैं चलने वाला,

बस इंतज़ार थोडा और कर लो

तुम्हारा रुद्र है अब आजाद होने वाला।

मुरलीधर से वार्ता का बस

अब दौर अंतिम चल रहा है,

तुम्हारी मुरादों का फल है मिलने वाला,

तुम सबका भोले भंडारी

खुली हवा में साँस है लेने वाला।

कर लो तैयारियां हमारे स्वागत की

ऊँ नम: शिवाय का जयघोष 

बहुत जल्द है होने वाला,

हर हर महादेव के बीच शिव

साक्षात है आने वाला

तुम्हारे धैर्य का परिणाम है मिलने वाला,

तुम्हारा महादेव तुम्हारे बीच 

है आने वाला,

शिवशंकर का दर्शन है होने वाला।


सुधीर श्रीवास्तव

गोण्डा, उ.प्र.

8115285921

©मौलिक, स्वरचित

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