| ब्लॉग प्रेषक: | शेख रहमत अली |
| पद/पेशा: | |
| प्रेषण दिनांक: | 08-03-2022 |
| उम्र: | 29 |
| पता: | बस्ती उ, प्र, (भारत) |
| मोबाइल नंबर: | 7317035246 |
मर्द का दर्द
ज़िंदगी ने मर्द पर कितना दर्द ढाया है
किसी स्त्री पर गलती से भी हाथ उठाया है
ग़लत सिर्फ़ मर्द नहीं दोनों ही होते हैं हर वक़्त
पर अकेले सारा इलज़ाम मर्द पर ही आया है
पूरी करता है सभी की ख्वाहिशें
पर बढ़ती जाती हैं सबकी फरमाइशें
वो बाप बन कर कभी पिता का फ़र्ज निभाता है
कभी पति बन कर सिंदूर की लाज बचाता है
वो हर रिश्ते को पा तो जाता है
पर एक-एक करके सबसे जुदा हो जाता है
काम से थक कर जब घर आता है
मायूसी से किसी कोने में बैठ जाता है
ममता के दूध और पत्नी के सिंदूर का कर्ज चुकाता है
बन कर पति और बेटा दोनों को संभालता है
पर कभी माँ-बाप के ताने तो कभी पत्नी की शिकायत में उलझ जाता है
मर्द ही एक सभी का हौसला बना है
देखो उस बिन जैसे खाली घौंसला बना है
कैसी होती ज़िल्लत की ज़िंदगी करीब से देखा उसने
दर्द और आंसू को अपनी मर्दानगी में समेटा उसने
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मौलिक स्वरचित
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शेख रहमत अली "बस्तवी"
बस्ती उ, प्र, (भारत)
@ariyen_poet
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