| ब्लॉग प्रेषक: | श्री हिमांशु पाठक |
| पद/पेशा: | अध्यापन |
| प्रेषण दिनांक: | 13-05-2022 |
| उम्र: | 52 |
| पता: | उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित पिथौरागढ़ जिले, में गंगोली हाट स्थित पठक्यूड़ा गाँव |
| मोबाइल नंबर: | 7669481641 |
लेखक श्री हिमाँशु पाठक का जीवन परिचय
मेरा संक्षिप्त जीवन-परिचय।
आपका संक्षिप्त परिचयआप श्रीमान हिमाँशु पाठक मूल रूप से उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित पिथौरागढ़ जिले, में गंगोली हाट स्थित पठक्यूड़ा गाँव से हैं।
आप का जन्म अल्मोड़ा में एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार में 14 जुलाई 1970 को हुआ था आपकी सम्पूर्ण शिक्षा उत्तराखण्ड में हुई । आपके पिता श्रीमान हेम चन्द्र पाठक जी,संस्कृत भाषा के व ज्योतिषशास्त्र के प्रकाण्ड विद्वान थे व माता श्रीमती गोविन्दी पाठक एक सरल स्वभाव की साधारण गृहस्थी को सँभालने वाली महिला थी। पाँच भाई-बहिनों में आप सबसे छोटे थे व सबके लाडले रहे हैं।
वर्तमान में आप शिक्षण कार्य करते हैं।
आप की रूचि बचपन से ही लेखन,गायन अध्धयन व रंगमंच में रही है।
आपकी प्रमुख रचनाऐं-:
गद्य रचनाऐं-: मैं प्रकृति हूँ,आँखें,जडों से दूर, सूर्योदय उत्तराखंड का,ढलता हुआ सूरज,माँ गंगा ने बुलाया है, बचपन आँगन वाला,बचपन डिजिटल दुनिया से पहले,व्यक्ति का निर्माण या व्यक्तिव का निर्माण,काफल का पेड़, एक पुरोधा का अंत,एक मोड़ पर,भोर का तारा,उस मोड़ पर,मधु,वो लड़की,एक था बचपन,दीदी की जुबानी-कुमाऊं की कहानी,वो कौन थी,पाती प्रेम की, अंतर्द्वंद्व, और परदा उठ गया,सुशीला दीदी,अनन्त-पथ, वो भी क्या दिन थे, बेमिसाल प्रेम, अतीत के पथ पर, वो पागल, लौटें अतीत के पथ पर, तम, वैद्यराज नमस्तुभ्यं!, चंदेरी लाल के हसीन ख्वाब,खुशबु,कुसुमदी, सीप का मोती, प्रेम-पथ, व्यथा एक स्त्री की, तीन दोस्त, एक था बचपन, संस्कृति से दूर, अमिता की शादी ये कैसा इश्क, माँ, तेरहवी, बिष्टजी की जुबानी- कहानी आदि।
पद्य रचनाऐं-: ढलता हुआ सूरज,वो गरीब की बेटी,एक ही स्थल,दो छोर,युग आयेंगे,गांधारी,एक पुरोधा का अंत,चाय की चुस्की,तेरी यादों के साये में,पथिक,कोई रोता है,जिन्दगी,प्रतीक्षा,बैचैनी,सप्त-शर्त,पथिक,चिट्ठी,दीवार,कृष्ण बने द्वारिकाधीश ,मौन अधरों का,प्रिये तुम्हें में कैसे भूला दूँ,बाजीगरी, डर लगता है,मौन धरों ना,प्रेम के गीत,आज अगर आजाद,भगतसिंह, कोई रोता है,आपकी अदा, चाय पर चर्चा, उम्र अपने निशान छोड़ चली, यादें, अधुरी ख्वाहिश, गाय व गदहा,तू कैसे भूल गया,याद आती हो,यादों की महफिल, फुरसत के क्षण,प्रीत की रीत, काश,हम कब जीते हैं,आग्रह,एक पिता का, मधु-मिलन,सफर यादों का,वेदना, कुमाऊं की बेटी, मैं ठेठ पहाड़ी हूँ, कहानी! आम आदमी की, आह जिन्दगी!वाह जिन्दगी!, राम से श्री राम तक, कृष्ण बनें द्वारिकाधीश, आओ रंग मनाए,फागोत्सव, सरिता से सिंधु तक, आदि ।
पुस्तकें
काव्य संग्रह- मैं जब-जब देखता हूँ चाँद को!
कहानी संग्रह-तीन दोस्त, कुसुमदी और भोर का तारा।
उपन्यास- प्रेम के पथ पर ।
धारावाहिक रूपान्तरण- प्रेम के पथ पर।
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