| ब्लॉग प्रेषक: | स्नेहा सिंह |
| पद/पेशा: | Lecturer |
| प्रेषण दिनांक: | 11-05-2022 |
| उम्र: | Xx |
| पता: | Lucknow |
| मोबाइल नंबर: | 9453749772 |
दारु की जद में ज़माना या मगरुर खुद की हस्ती में इंसान
।। दारू की जद में ज़माना
या मगरुर खुद की हस्ती में इंसान ।।
मुश्किल , जरा कहना होगा
नशे में इंसान हैं सच में
या ये दारु,बेवजह ही हैं बदनाम ।।
बेवड़ो को मुबारक हो
ये महफ़िल नशे और जाम की
सुरूर,सच का हैं या हैं बोतल का भरम
या ये दारु फिजूल में हुई सरेआम ।
अरे,साहब
इंसान को हैं इन दिनों नशा
पद,औधा,दौलत,शोहरत और
उसकी चमक का ।
गरीब को गलीच बतलाते हैं ।
ये,ऊंची ऊंची इमारतों में रहने वाले
दिल के साफ़ और नीयत से ईमानदार को
सड़क छाप करार देते हैं ।
गुरुर,
कुछ इतना बड़ गया हैं ।
आम आदमी को,अपने पैरों तले
कुचलना चाहते हैं ।
नशा हैं किसी को ऊंची जाति का
हैं किसी को हैसियत का
और दारू के नशे में सराबोर को
नीच और ज़मीर से गिरा बतलाते हैं ।।
कोई, जाकर पूछे
इन,दौलत के पुजारियों से
खुद को किस हिसाब से,
फिर ,देवता साबित करना चाहते हैं ।
ना ईमान इनमे हैं ज़िंदा
ना करुणा का श्रोत हैं इनमें जरा सा बाक़ी
फिर ,किस हक से ये
खुद को साफ़ नीयत का साहूकार बतलाते हैं ।
ज़हर का घूट
हर,सताए हुए को पीने के लिए विवश करते हैं ।
और खुद को हमदर्द सबका ,कहते हैं ।।
ज़रा,कोई पूछे इनसे जाकर
पूछे ,कोई इनसे जाकर
किस,हक से ये,खुद को नशे की लिप्त से मुक्त मानते हैं ।।
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ज़रा विचार कीजिए!
स्नेहा कृति
साहित्यकार, पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक
कानपुर उत्तर प्रदेश
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