गोरे के घर, काला धन।

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ब्लॉग प्रेषक: राजीव भारद्वाज
पद/पेशा: व्यंग्यकार
प्रेषण दिनांक: 07-05-2022
उम्र: 35
पता: गढ़वा, झारखंड
मोबाइल नंबर: 9006726655

गोरे के घर, काला धन।

उफ्फ कैसी निष्ठुर और निर्दई है ये ईडी। बेचारी नारियों की प्रेरणास्रोत आईएएस मैडम को बदनाम करने में लग गई। मैडम तो मोहन की राधा, कन्हैया की बंसी, नंदलाल की श्यामा, शंखपानि की तिर्थकन्या, पुरानपुरूष की नागरमनी, नवनीत की कृष्णाप्रिय, पार्थसारथी की श्यमाभारती जैसी थी। 

' जो न समझे एक स्त्री की सरल भक्ति,

उस पा लेना चाहिए जीवन से मुक्ति।'

और तो और पत्रकार भी उन्हें अपने सवालों के शूली पर टांग रहे हैं। मैडम बेचारी प्रसाशनिक सेवा की राखी सावंत बन गई इन दो दिनों में।

इडी का क्या है उसे तो गुलाब जल भी तेज़ाब दिखता है और दूध भी शराब दिखता है। कहने वाले तो ये भी कह रहें हैं कि हर बार रजिया गुंडों में फंसती थी आज मोहतरमा फंस गई। जांच टीम के शब्दों के नश्तर किस प्रकार मैडम के दिल में उतर रहा होगा, उन्हें कौन समझाए। 

बेचारी कितना मेहनत करके देश के सर्वोच्च पद पर चयनित हुई थी। साक्षात्कार में सरकार की योजनाओं को हर जरूरतमंदों को समय से पहुंचाने की बात बड़े बेबाकी से रखी होगी। गरीब और गरीबी पर बड़े बड़े शब्द बोले होंगे। जमीन पर कार्य करने का संकल्प लिया होगा। साक्षात्कार लेने वाले बुद्धिजीवी को आज उनकी अंतरात्मा धिक्कार रही होगी।

आज करोड़ों में जो माया का रूप मैंने देखा वो मुझे अपने पुत्र के भविष्य में आईएएस बनाने हेतु जबरदस्त प्रेरित किया है।

 अख़बार वाचन से ये भी पता चला की मैडम महंगे महंगे सोमरस को साप्ताहिक उत्सव में बड़े चाव से छलकाती थी। बेचारी अपने तो गई साथ में नौ हाथ के पगहा को भी ......। दही चूड़ा वाले की नज़रें मानो कह रही होगी कि हमरा का कसूर।

 वैसे भी कहा गया है ये कलयुग है, इस युग में आप सतयुग वाला कार्य अगर करेंगे तो युग के अस्तित्व पर संकट आ जाएगा। बोलते रहिए - गरीब, गरीब कल्याण, ईमानदारी और करिए वही जिसके लिए कलयुग बदनाम है। छल, प्रपंच, बेईमानी, षड्यंत्र, काला घन संग्रह। यकीं मानिए आपको कुछ नहीं होगा क्योंकि ये बदनामी का अनुभव आपको लोकतंत्र में उच्च पद पर आसीन करने को व्याकुल है।

लेकिन आपने उन होनहारों के दिमाग में सेवा नहीं, मेवा का जो कॉन्सेप्ट डाला मैडम इसके लिए पूरा समाज आपको कभी माफ कर पाएगा ! वैसे भविष्य कि शुभकामनाएं।

ठीक ही कहा था हरिशंकर परसाई ने -

'रोटी खाने से ही कोई मोटा नहीं होता, चंदा या घूस खाने से होता है। बेईमानी के पैसे में ही पौष्टिक तत्त्व बचे हैं।'

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