| ब्लॉग प्रेषक: | राजीव भारद्वाज |
| पद/पेशा: | व्यंग्यकार |
| प्रेषण दिनांक: | 03-05-2022 |
| उम्र: | 35 |
| पता: | गढ़वा, झारखंड |
| मोबाइल नंबर: | 9006726655 |
सरकारी बाबू - सेवक नहीं साक्षात अवतार।
सरकारी बाबू - सेवक नहीं साक्षात अवतार।
सुबह उठकर नित्य क्रिया से निवृत होकर, माथे पर गेंदा के फूल से त्रिपुंड लगाकर, जब मनोहर जी भगवान के साधना में लिप्त होते थे, तो ऐसा लगता था मानो सुदामा अपने कृष्ण को पाने की लालसा में लगा है। ' सर्वजन सुखाय, सर्वजन हिताय ' ही उनका एकमात्र ध्येय था।
मनोहर जी सरकारी मुलाजिम थें, सरकार के नौकर। नौकरी कैसे लगी ? देखिए ये बड़ा ही जटिल प्रश्न है, हुआ ऐसा की मनोहर जी बचपन से ही होनहार थे, लंगड़ी और गुल्ली डंडा साथ में अंटेली खेलकर बालपन से किशोर होने को चले थे। हाथ पांव भी चला लेते थे जब खेल में उनका कोई विरोध करता था। उनके पिताजी भी सरकारी सेवक थे। लेकिन बड़े मनोहर जी को लगता था बेटा नालायकी के हद तक जा रहा है इस सोच में वो एक दिन दुनिया से चल बसे।
छोटे मनोहर जी को पिताजी के स्थान पर नौकरी में आने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ। चुकी छोटे मनोहर जी को बड़े मनोहर जी ने सरकारी कार्य कैसे करें, इस पर विस्तृत ज्ञान उपलब्ध करा दिया था, जिस कारण छोटे मनोहर जी को सर्वाइव करने में ज्यादा वक़्त नहीं लगा।
वो ज्ञान था -
*अगर कोई किसी काम से आपसे मिलने आता है तो उसे अपना समझो, और इतना अपना समझो कि हर दिन वो आपसे मिलने आए, और हां जब आए कुछ लेकर आए। इससे प्रेम बढ़ेगा और अपने लोग आप पर कोई आरोप भी नहीं लगा पाएंगे।
* आगंतुकों के आने के बाद चाय, चबेरण और खैनी पूछना मत भूलिए, ये तीनों दुर्लभ सामग्री भी आपके पूछने के बाद आगंतुक ही उपलब्ध कराएंगे।
* जब भी कोई सरकारी कार्य करवाने कोई महापुरुष अवतरित हो तो उसे ग्राहक समझिए क्यूंकि इंसान में भगवान दिखे न दिखे ग्राहक में भगवान जरूर दिखते हैं।
* किसी से रिश्वत की मांग कभी नहीं करना है, बस प्रति दिन उसे आश्वासन की दो बूंद पिलाते रहना है और बॉस के नकारेपन को उजागर करते रहना है, अर्थात काम बॉस की वजह से नहीं हो रहा है, ये बोलते रहना है। यकीन मानिए एक दिन जब आश्वासन की बूंदे भर जायेगी तो वो निरीह व्यक्ति नोटों की गड्डियों की उल्टी करेगा, और फिर उसे चाट जाइए। मांगने से पाप लगता है, चाटने से नहीं।
* कार्यालय में अपना एक आदमी जरूर रखें जो आपकी ईमानदारी को प्रतिदिन रामायण की भांति आने जाने वाले तथा कार्य करने वाले कर्मियों को सुना सके, ताकि आपकी छवि साफ सुथरी बनी रहे, और हां कहानी के बीच बीच में आपकी तुलना राम से हो, ऐसा बता कर रखें।
* हमेशा ध्यान बॉस के केबिन के तरफ नजर रखें और जब जब बॉस की नजर आप पर पड़े उन्हें श्रद्धा भाव से नमन करें।
* बॉस से मिलने कौन आता है कौन जाता है इस पर बारीक नज़र रखें ताकि बॉस के हर एक गतिविधि को आप नजदीक से समझ सकें। भगवान और बॉस में ज्यादा अंतर नहीं होता है।
बॉस आपके नमन करते ही भगवान में अचानक परिणित हो जाते हैं और फिर शाप और वरदान दोनों उन्हीं के हाथ में होता है।
* कार्यालय में कार्य करने वाले सभी प्रकार के कर्मी संविदा और सरकारी रहेंगे, हो सकता है कोई ज्यादा समझदार भी हो लेकिन आपको सिर्फ अपने को समझदार दिखाना है और ये कार्य आपका बॉस कर सकता है यदि आप तेल मालिश या चाटुकारिता में निपुण हो।
* बोलचाल में आपके श्री मुख से सदैव अमृत ही टपकना चाहिए भले ही कोई कितना भी मां बहन किया हो। हां इस प्रकरण को हमेशा याद रखें और समय आने पर प्रेम से बदला लें।
* कार्यालय के हर गतिविधि मसलन किसका चक्कर किसके साथ है, कौन कितना पैसा लिया, कौन कब छुट्टी पर कहां और किसके साथ जा रहा है, किसकी बेटी या बहन किसके साथ भागने वाली है। सभी प्रकार की जानकारी से लबरेज़ होकर बॉस के सामने मुक्त कंठ से फुरसत के पल में उवाचिए। फिर देखिए भक्त और भगवान का मिलन कितना आसानी से हो जाएगा।
* बिना सौगात लिए किसी का काम नहीं करना है, कुछ ना हो देने को, तो एक खिल्ली खैनी ही लेना चाहिए लेकिन लेना चाहिए ताकि लेन देन का पावन परंपरा का भविष्य सुरक्षित रह सके।
* एक ऐसा कमजोर कर्मी को अपना भरोसेमंद जरूर बनाना चाहिए अर्थात पालना चाहिए जो कभी भी आपके गलती का ठीकरा अपने माथे पर फोड़ सके।
* आपके निचले कर्मी यदि बीमार पड़ें तो उन्हें कार्य की शक्ति और फुर्ती के बारे में नसीहत देकर छुट्टी देने से मना करें और यदि बॉस जरा सा छींक भी दे तो उस छींक को खींचकर भविष्य के कैंसर तक पहुंचाएं और बॉस को आदर सम्मान के साथ घर पहुंचाएं और हां साथ में सेव और रसगुल्ला लेना ना भूलें।
यदि बॉस की पत्नी पर नजर पड़े तो साक्षात दुर्गा का अवतार मान कर उनके सामने साष्टांग होएं, इसका प्रतिफल इतना शानदार होगा कि पूछे मत। और यदि बॉस के बच्चे दिखे तो उनमें लव कुश की छवि देख कर खुद को हनुमान बनाइए। यकीन मानिए अमर हो जाएंगे आप।
* हर कठिन और फंसने वाले कार्य करने के पहले कुछ खर्च कर दो तीन गवाह जरूर रखिए ताकि मौके पर गवाही से सके।
* हो सके तो प्रतिदिन एक गिरगिट कि हरकतों को दस से पंद्रह मिनट अवश्य गौर करें, रंग बदलने में सहूलियत होगा और आप एक शानदार कर्मी घोषित होंगे।
* तिलक और त्रिपुंड जितना गहरा होगा आपका चरित्र उतना साफ सुथरा। दो दिन श्लोक जरूर याद रखें ताकि आप भक्त और जानकार होने का प्रमाण तुरंत किसी को दे सकें। वाणी मृदुल, चित्त शांत, मन हल्का, हृदय शीतल, मुख पर ओज, बदन कसरती और मुस्कान कातिल हमेशा रखें, आपकी कामयाबी की गारंटी शत प्रतिशत होगी।
* साल भर में आपके कार्य का मूल्यांकन आपके बॉस द्वारा किया जाता है, इस संबंध में भी कुछ बातों का ध्यान रखें, मसलन -
* बॉस को आपके, सिर्फ आपके द्वारा ही पता चलना चाहिए कि उनमें कुछ विलक्षण गुण विद्यमान है। गलती या फिर पुनर्जन्म कि कुछ गलतियों की वजह से ही उन्हें इस भूलोक में फिर से आना पड़ा नहीं तो इन्द्र की कुर्सी उनका इंतज़ार कर रही थी।
* यदि वो ना हों तो कार्यालय चलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी होगा।
* किसी भी मुश्किल कार्य को चुटकी से अपने आइडिया के दम पर हल कर देना उनकी महानता को दर्शाता है।
* समय समय पर उनके घर में सब्जी, मछली पहुंचाकर भी आप अपने सलाना कार्य का मूल्यांकन सर्वोच्च रूप में पा सकते हैं।
* बॉस के बच्चों के भविष्य का प्लान प्रतिदिन अपने बॉस से पूछिए, वो दिल खोल कर बताएंगे। आप चिंतित ना होइएगा वो इतनी शिद्दत से कभी कार्यालय कार्य में रुचि नहीं लेंगे।
* दण्ड सलाम और पिछले बॉस की नाकामियों को उनके सामने उजागर कीजिए और उन्हें बताइए की आपकी ही जरूरत थी इस बिगड़ैल सिस्टम को ठीक करने में।
*बॉस के पहनावे का गुणगान करें।
*अगर बॉस के पास अल्टो कार हो तो उसे बीएमडब्लू से भी बेहतर बताएं।
*मूल्यांकन में आप टॉप इस बात की गारंटी है।
*आपके इन महान कार्य से आप बीच भंवर में ही दुनिया को रुखसत करेंगे और यही प्रवचन (संस्कार) आप अपने बच्चो को दें, उन्हें भी आपकी तरह बिना मांगे मिलेगा सरकारी नौकरी।
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