ई आदमी, आदमी हे

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ब्लॉग प्रेषक: अभिषेक कुमार
पद/पेशा: साहित्यकार, सामुदाय सेवी, प्रकृति प्रेमी, ब्लॉक मिशन प्रबंधक UP Gov.
प्रेषण दिनांक: 04-04-2022
उम्र: 32
पता: आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर: 9472351693

ई आदमी, आदमी हे

अंधेरे में रहे हे

दिया न जलावे हे

लबर-लबर करे हे

ई आदमी, आदमी हे..?


सुखले खेत पटावे हे,

बिन बुलाए कान में फुस-फुसा हे

ई आदमी, आदमी हे..?


बुझा कुछ न हे

नियम कानून के बात करे हे

बोल हूँ न आवे हे

ई आदमी, आदमी हे..?


अपना आगे केहू के न लगावे हे

दुसरो के भावनाओं के कद्र न करे हे

फिर गाली-बात सुने हे

और लबरा के माफी मांगे हे

ई आदमी, आदमी हे..?


हमरा हंसी आवे हे

एक ही फटकार में केहू से फिर न दुबारा लगे हे

तो फिर ई कामे काहे करे हे 

ई आदमी, आदमी हे..?


मूर्खो के पतन हो जा हे,

प्रेम मोहब्बत, आपसी एकता सौहार्द से भी काम होए हे

ई बात काहे न समझ में आवे हे

ई आदमी, आदमी हे..?


रौब देखा के शासन चलावेला चाहे हे

करनी-धरनी कुछ ना हे,

लबराहट से अनस लगे हे

बतावा ई आदमी, आदमी हे..?

जस करणी तस वैसही होये हे

अंधरे में चले हे दिया न जलावे हे ई आदमी-आदमी हे...?

दुसरो के दुःख दर्द न समझे हे

कमजोरन के सतावे हे

ई आदमी आदमी हे...?


पाप के जहर से घड़ा भर जा हे

अन्याय सर चढ़ के बोले हे 

तो फिर स्वतः अधोगति होये हे

तब समझ मे आवे हे कि आदमी आदमी होये के चाही...


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