| ब्लॉग प्रेषक: | आर सी यादव |
| पद/पेशा: | शिक्षक/ मोटिवेशनल स्पीकर/ फ्रीलांस जर्नलिस्ट |
| प्रेषण दिनांक: | 01-04-2022 |
| उम्र: | 48 |
| पता: | डोभी, जौनपुर, उत्तर प्रदेश |
| मोबाइल नंबर: | 9818488882 |
माँ आदिशक्ति
धर्म हेतु मां धरी शरीरा ।
दीन-दुखी की हरती पीडा़ ।।
शंभु - निशुंभ
दुष्ट संहारे
।
दें वर, विप्र भक्त भव तारे ।।
सुर किन्नर
गंधर्व पुजते।
कर खप्पर त्रिशूल विराजते
।।
देवलोक में बसत भवानी।
अरिमर्दन करती जगरानी ।।
नवरात्रि परम सुख दाता ।
धर्म ज्ञान विज्ञान विधाता
।।
जो नर- जन जगराता
करता ।
पूजहिं चरण भजन है करता ।।
मातु कृपा वह सुखी सनेही।
यश-वैभव-बल-बुद्धि
विवेकी ।।
पद पंकज पूजहिं नर-नारी ।
मातु कृपा नहीं दीन दुखारी ।।
कमल नयन ,बल भुजा विशाला ।
रौद्र रूप विकट विकराला
।।
क्षमा - दया है देती माता ।
दानव - दुष्ट शरण जो आता ।।
पाप मिटा परलोक संवारती
।
भक्तों पर है स्नेह वारती ।।
जब पीड़ा मन घिरी घनेरी ।
मातु सहाय हुई बिन देरी ।।
शील -विनय -
गुण - धीरज देती ।
हर विपदा पल में हर लेती ।।
मन पुनीत निर्मल कर देती ।
सुख-समृद्धि
, धन-दौलत देती ।।
मन क्रम वचन ध्यान जो धरता ।
नित्य नियम से पूजा करता ।।
कृपा दृष्टि
रखती है अम्बा ।
पुण्य प्रताप
देती जगदम्बा
।।
जब मानव खुद से भय खाता ।
बुद्धिहीन बलहीन हो जाता ।।
बन सहाय निर्भय कर देती ।
बुद्धि विवेक पौरुष भर देती ।।
जो नर मां की सेवा करता ।
निशिदिन मां का ध्यान लगाता ।।
निर्भय निडर अमर हो जाता ।
मां का पुज्य परम पद पाता ।।
दुःख - दरिद्र
जब व्यथा सतावै ।
प्रतिदिन मां का ध्यान लगावै ।।
हो सहाय तब अम्बे रानी ।
सुख - संपत्ति
निधि घर आवै ।।
आदिशक्ति मां उमा भवानी।
महिमा तुम्हरी
वेद बखानी ।।
ब्रह्म शक्ति मां ज्ञान प्रणेता ।
दिव्य शक्ति मां परम पुनीता ।।
सुर - नर - मुनि जगराता
करते ।
ढोल - मृदंग
- करतार बजाते ।।
गाते गीत प्रेम रस पावन ।
करते नृत्य मयूर मनभावन
।।
जल -थल- नभ व्यापत
महरानी ।
विद्या -बुद्धि
-विवेक -गुण दानी ।।
तीनों लोक में डंका बाजत ।
स्वर्ण मुकुट सुंदर सिर साजत ।।
जय अम्बे
, जय हे जगरानी ।
हम मूरख निर्बल
अज्ञानी ।।
कृपा दृष्टि
फेरो हे अम्बे !
जीवन सुखकर दो महरानी
।।
दयानिधि सर्वग्य
तुम, अमूल्य
गुणों की खान ।।
रक्षक पालक जगत की, तुम हो कृपा निधान ।।
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