| ब्लॉग प्रेषक: | स्नेहा सिंह |
| पद/पेशा: | रचनाकार |
| प्रेषण दिनांक: | 31-03-2022 |
| उम्र: | 30 |
| पता: | लखनऊ, उत्तर प्रदेश |
| मोबाइल नंबर: | 9453749772 |
दहेज हैं एक मानसिक विकृति
।। दहेज़ हैं एक मानसिक रोग ।।
# दहेज़ लोभी होना हैं एक
मानसिक विकृति ।
इसके कारण हो जाते हैं साधारण और धन से कमजोर मानव तंग ।।
बेटियां ब्याही जाती हैं एक वर से
और उसके घर और समाज वाले उसे (वर) बना डालते हैं सौदे बाजी और मानसिक तनाव का एक दंगल ।
बेटियां भी तो शिक्षित की जाती हैं बेटों के बराबर
बेटियां भी तो टकराती हैं हर चुनौती से बेटा बनकर ।
फिर, दहेज़ की तलवार क्यों लटकती हैं सिर्फ उनके गले का जैसे,फंदा बनकर ।।
पाई पाई धन बेटी का पिता बचपन से जोड़ता हैं
खून पसीने की जोड़ी कमाई बिटिया के ब्याह में खर्च करता हैं ।
इसके बावजूद,दहेज के लोभी
जोक की तरह चूस जाते एक गरीब और लाचार का धन रूपी खून ।।
क्या ! बेटी किसी लक्ष्मी से कम है
क्या,उसका एक घर से दूजे घर में जाना ही खुशकिस्मती की असली दौलत है ।
दो घरों का मान रखती हैं मर्यादा तहलीज भी कायम रखती हैं ।
उम्र तमाम,
रिश्तों के ताना बाना को सहेज के चलती हैं ।।
यही, वो बेटियां हैं जो परंपराओं,प्रतिष्ठा और संस्कारों की रेखा को कभी न पार करती हैं ।
बेटियां,
फिर क्यों, दहेज़ की कालिख से रंगी जाती हैं ।
ये,वो फूल हैं
जो खिलती हैं तो घर आंगन महका जाती हैं ।।
स्नेहा कृति
(रचनाकार,पर्यावरण प्रेमी और राष्टीय सह संयोजक)
कानपुर उत्तर प्रदेश
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